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संजौली में अवैध मस्जिद पर सरकार के ही मंत्री के तेवर तीखे, जानिए, क्यों सदन में मंत्री अनिरुद्ध ने पूछा, क्या ये रोहिंग्या हैं? - Sanjauli illegal mosque case

Cabinet Minister Anirudh Singh on Sanjauli illegal mosque issue in Himachal Assembly: हिमाचल विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान सुक्खू सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने संजौली अवैध मस्जिद के मुद्दे पर बात करते हुए प्रदेश में अवैध रूप से विशेष समुदाय की एंट्री पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि इन बाहरी लोगों का वेरीफिकेशन होना चाहिए कि क्या ये लोग रोहिंग्या हैं. पढ़िए पूरी खबर...

संजौली में अवैध मस्जिद पर मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने उठाए सवाल
संजौली में अवैध मस्जिद पर मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने उठाए सवाल (Himachal Assembly)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 4, 2024, 10:18 PM IST

Updated : Sep 4, 2024, 10:32 PM IST

संजौली अवैध मस्जिद मामले पर मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने उठाए सवाल (Himachal Assembly)

शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में इन दिनों एक अवैध मस्जिद विवादों के केंद्र में है. मामला इतना आगे बढ़ गया कि इस पर हिमाचल विधानसभा में चर्चा हुई. सदन में नियम-62 के तहत लाई गई चर्चा के दौरान सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह के तीखे तेवर देखने को मिले. ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हिमाचल में पहले ऐसी घटना नहीं हुई. अब आखिर ये क्यों देखने को मिल रहा है. यहां हिमाचल में अब रोज नए लोग आ रहे हैं. कहीं से जमात वाले आ रहे हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है. क्या ये रोहिंग्या मुसलमान हैं? मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आगे खुलासा किया कि वे खुद एक-दो लोगों को जानते हैं, जो बांग्लादेश से आए हैं. उन लोगों की वेरिफिकेशन होनी चाहिए.

क्या मस्जिद के लिए कोई मंजूरी ली गई?
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सवाल किया कि क्या मस्जिद के निर्माण के लिए कोई मंजूरी ली गई? मंत्री ने कहा कि संजौली में वर्ष 2010 में बिना परमिशन के मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया है. इस समय यहां 2500 वर्ग फुट गैर कानूनी निर्माण किया गया है. बाद में वर्ष 2012 में इस मामले की निगम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई. फिर भी ये लोग नहीं माने और अवैध निर्माण निरंतर जारी रहा. मंत्री ने कहा कि यदि कोई लोकल आदमी कंस्ट्रक्शन करता है तो उसको उसी दिन तोड़ दिया जाता है. मंत्री ने कहा कि 26 जून 2013 को मामले की सुनवाई में मस्जिद को प्रस्तावित प्लान में माना गया और उसमें कमियां पाई गई. मस्जिद कमेटी ने फ्रेश ड्राइंग मांगी गई. हैरानी की बात है कि 2010 से केस चल रहा है और 2019 तक चार अतिरिक्त मंजिलों का अवैध निर्माण कर दिया गया. सोचने वाली बात है कि नगर निगम प्रशासन कहां सोया हुआ था. अवैध निर्माण को उसी समय क्यों नहीं तोड़ा गया? फिर अब सुनवाई कर रहे हैं कि अवैध कंस्ट्रक्शन क्यों की गई?

6357 वर्ग फुट अवैध निर्माण
ग्रामीण विकास मंत्री यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने आगे खुलासा किया कि अब तक 6357 वर्गफुट अवैध निर्माण हो गया है. इससे भी बढ़कर चिंता की बात है कि जो व्यक्ति केस की सुनवाई में आ रहा था, उसके बारे में वर्ष 2023 में निगम को पता चलता है कि उसका केस से लेना-देना ही नहीं है. क्या निगम के अफसरों ने उसके कागज चेक नहीं किए? अचानक 2023 में निगम को पता चलता है कि जिसके खिलाफ केस चल रहा है, वह तो प्रतिवादी बन ही नहीं सकता. अब इस केस को वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर किया गया है.
सरकार का है जमीन का मालिकाना हक
मंत्री ने कहा कि जो जमीन प्रतिवादी की बताई जा रही है, उसका मालिकाना हक सरकार का है. प्रतिवादी केवल कब्जाधारी है. ग्रामीण विकास मंत्री ने सीएम से आग्रह किया कि उस जमीन से कब्जा हटाया जाए. ये जांच की जाए कि जमीन किसकी है. क्या वह नक्शा जमा करवाने के लिए अधिकृत है? पिछले दस साल में उन्होंने कितनी मंजिलें बनाई? काम रोकने के लिए इनका बिजली-पानी क्यों नहीं काटा गया? मंत्री ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से आग्रह किया कि इस मामले में कार्रवाई की जाए.

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Last Updated : Sep 4, 2024, 10:32 PM IST

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