शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में इन दिनों एक अवैध मस्जिद विवादों के केंद्र में है. मामला इतना आगे बढ़ गया कि इस पर हिमाचल विधानसभा में चर्चा हुई. सदन में नियम-62 के तहत लाई गई चर्चा के दौरान सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह के तीखे तेवर देखने को मिले. ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हिमाचल में पहले ऐसी घटना नहीं हुई. अब आखिर ये क्यों देखने को मिल रहा है. यहां हिमाचल में अब रोज नए लोग आ रहे हैं. कहीं से जमात वाले आ रहे हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है. क्या ये रोहिंग्या मुसलमान हैं? मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आगे खुलासा किया कि वे खुद एक-दो लोगों को जानते हैं, जो बांग्लादेश से आए हैं. उन लोगों की वेरिफिकेशन होनी चाहिए.
क्या मस्जिद के लिए कोई मंजूरी ली गई?
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सवाल किया कि क्या मस्जिद के निर्माण के लिए कोई मंजूरी ली गई? मंत्री ने कहा कि संजौली में वर्ष 2010 में बिना परमिशन के मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया है. इस समय यहां 2500 वर्ग फुट गैर कानूनी निर्माण किया गया है. बाद में वर्ष 2012 में इस मामले की निगम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई. फिर भी ये लोग नहीं माने और अवैध निर्माण निरंतर जारी रहा. मंत्री ने कहा कि यदि कोई लोकल आदमी कंस्ट्रक्शन करता है तो उसको उसी दिन तोड़ दिया जाता है. मंत्री ने कहा कि 26 जून 2013 को मामले की सुनवाई में मस्जिद को प्रस्तावित प्लान में माना गया और उसमें कमियां पाई गई. मस्जिद कमेटी ने फ्रेश ड्राइंग मांगी गई. हैरानी की बात है कि 2010 से केस चल रहा है और 2019 तक चार अतिरिक्त मंजिलों का अवैध निर्माण कर दिया गया. सोचने वाली बात है कि नगर निगम प्रशासन कहां सोया हुआ था. अवैध निर्माण को उसी समय क्यों नहीं तोड़ा गया? फिर अब सुनवाई कर रहे हैं कि अवैध कंस्ट्रक्शन क्यों की गई?