नई दिल्ली:भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा था कि, अगर हमारी देश की सीमाएं अधिक सुरक्षित होतीं तो भारत की आर्थिक प्रगति की गति और ज्यादा तेज होतीं. पिछले हफ्ते, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अलंकरण समारोह में बोलते हुए अजीत डोभाल ने इस बात की जानकारी दी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने देश के विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र बलों के बीच तालमेल और एकजुटता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि, सीमाओं पर तैनात सैन्य बलों के कंधों पर अत्यधिक भार आ गया है. उन्होंने कहा कि, देश के सैनिकों को हमेशा सतर्क रहना होता है. उन्हें हर वक्त देश के राष्ट्रीय हितों और देश की सुरक्षा का ध्यान रखा होता है. अजीत डोभाल का मानना था कि, सीमाओं के सुरक्षित नहीं होने से खर्च में वृद्धि होती है. उन्होंने साफ तौर पर देश की सीमाओं की मजबूती पर बल दिया. उनका मानना था कि, बिना सीमांकित सीमाओं के कारण इन पर स्थायी तौर पर निगरानी रखनी पड़ती है, जिसके कारण खर्च का भार अधिक बढ़ जाता है. इसका उत्कृष्ट उदाहरण यूरोप है, जहां खुली सीमाएं, राज्यों के बीच कोई क्षेत्रीय विवाद नहीं होने के कारण सुरक्षा बजट कम हो गया है.
देश की सीमाएं सुरक्षित होतीं तो....
डोभाल ने पड़ोसी देश का जिक्र करते हुए कहा था कि, पाकिस्तान की तरह विवादित सीमाओं के कारण पड़ोसियों के साथ व्यापार भी प्रतिबंधित हो जाता है, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. उनका मानना था कि, भारत के साथ व्यापार का रास्ता खोलने से जहां पाकिस्तान जैसे देश को फायदा पहुंचेगा, वहीं भारत को भी अतिरिक्त बाजार तक पहुंच मिलेगी. उन्होंने कहा कि, पाक नेतृत्व की सोच की वजह से उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है. उनका कहना था कि, पाकिस्तान ने भारत को अपने भूमि मार्गों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी है, जिससे नई दिल्ली को अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार के ईरानी बंदरगाह में निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इससे आने वाले वर्षों में पाक का महत्व कम हो जाएगा.
दक्षिण एशियाई देशों में भी राजनीतिक और आर्थिक असुरक्षाएं
कुछ दक्षिण एशियाई देशों में भी राजनीतिक और आर्थिक असुरक्षाएं हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी आबादी भारत में प्रवास कर रही है, जिससे जनसांख्यिकी प्रभावित हो रही है. पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के सीमावर्ती जिलों के साथ-साथ मणिपुर और मिजोरम में भी जनसांख्यिकीय परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं. इससे आबादी के भीतर असुरक्षाएं बढ़ती हैं. इस पर अजीत डोभाल ने कहा कि, सीमा सुरक्षा का देश की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा पर भी असर पड़ता है. उन्होंने इस दौरान कट्टरपंथ का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, देश में काफी संख्या में रोहिंग्या है. अरकान (म्यांमार) इलाके से भी लोग भारत में आते हैं. अन्य देशों से भारत में माइग्रेशन को रोकने की जिम्मेदारी बांग्लादेश की सीमा पर बीएसएफ और म्यांमार की सीमा पर असम राइफल्स की है. साथ ही एक सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि, सभी सीमाएं बाड़ लगाने और सुरक्षा के योग्य नहीं हैं. जैसे नदी वाले इलाके, पर्वतीय नदियां और घाटियों में बाड़ लगाना और उनका रखरखाव के साथ-साथ निगरानी करना भी चुनौतीपूर्ण है. इस तरह की चुनौतियों का फायदा उठाया जा सकता है. इस तरह की विकट चुनौतियों से निपटने का एकमात्र तरीका भौतिक गश्त और निगरानी के साथ-साथ प्रोद्योगिकी को नियोजित करना है. सीमाओं की निगराने के लिए उच्च तकनीकों वाले उपकरण इस्तेमाल में लाए जाते हैं, जिसके लिए हमें ज्यादा खर्चे उठाने पड़ते हैं.
इजरायल में क्या हुआ था?
इस पर डोभाल का कहना था कि, इस तरह की परिस्थितियों में अगर आपके पास बेहतर गुणवत्ता वाले सेंसर, रिमोट सेंसिंग तकनीक हैं, तो आप अच्छा रिस्पांस दे सकते हैं. पिछले साल 07 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले ने इजराइल की हर सुरक्षा चुनौती को दरकिनार कर दिया था. गाजा बाड़ टेक्नोलॉजी के हिसाब से काफी उन्नत माना जाता रहा है. इसमें सेंसर, सीसीटीवी कैमरे, विद्युतीकरण और इसी तरह की अन्य चीजें थीं, जिनकी निगरानी चौबीसों घंटे की जाती थी. हालांकि, उसके बावजूद सबसे मजबूत चक्रव्यूह को तोड़ दिया गया और बड़े पैमाने पर इजरायलियों को हताहत होना पड़ा.
सीमाओं की सुरक्षा को लेकर क्या है चुनौती
भारत के अधिकांश सीमावर्ती क्षेत्र विशेषकर उत्तरी क्षेत्र रिमोट एरिया में हैं. वे अविकसित हैं. यहां ऐसी धारणा थी कि यदि बुनियादी ढांचा विकसित किया गया तो संघर्ष की स्थिति में दुश्मन इसका फायदा उठा सकता है.इ ससे स्थानीय आबादी अलग-थलग पड़ गई और सुरक्षा बलों की आवाजाही पर भी असर पड़ा. वर्तमान में बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है. सीमावर्ती और दूरदराज के क्षेत्रों में विकास लोगों को भारतीय समाज की ओर आकर्षित करेगा. इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा. इस पर डोभाल ने कहा कि बुनियादी ढांचे का विकास सिनेमाघरों और सड़कों के लिए विशिष्ट होना चाहिए, मोबाइल टावर बनाया जाना चाहिए. लेकिन हर थिएटर की अपनी एक अलग तरह की चुनौती होती है.
बॉर्डर से सटे गांव देश की आंख हैं
डोभाल ने अपने संबोधन में बार्डर से सटे गांवों को देश की आंख कहा. उन्होंने सीमावर्ती गांवों को इजरायल की नियोजित टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ा. उन्होंने कहा कि, सीमा पर इजरायल की अत्याधुनिक खुफिया जानकारी शून्य थी. इजरायल के पास उच्च तकनीकें होने के बाद भी उन्हें हजारों की संख्या में हमास के लोगों की घुसपैठ की जानकारी नहीं हुई. डोभाल ने कहा कि, भारत इस मामले में भाग्यशाली है, क्योंकि हमारे गांव के रहने वाले लोग ही देश की आंखें हैं. वे सीमा पर नजर रख सकते हैं.