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कॉलेज में नकाब, बुर्का और हिजाब पर जारी रहेगा बैन, बॉम्बे HC से मुस्लिम छात्राओं की याचिका खारिज - Bombay HC junks plea on Hijab

By IANS

Published : Jun 26, 2024, 10:34 PM IST

Bombay HC junks plea of Muslim Students: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के एक कॉलेज की 9 मुस्लिम छात्राओं द्वारा परिसर में नकाब, बुर्का और हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि वे चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और चेंबूर (पूर्व) स्थित डीके मराठे कॉलेज द्वारा लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं.

Ban on niqab, burqa and hijab will continue in college
कॉलेज में नकाब, बुर्का और हिजाब पर जारी रहेगा बैन (IANS)

मुंबई:बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के कॉलेज परिसर में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज की 9 छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया.

दरअसल, कॉलेज ने अपने एक फैसले में कॉलेज परिसर में नकाब, बुर्का और हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था. कॉलेज के फैसले को चुनौती देते हुए 9 मुस्लिम छात्राओं ने इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट का रुख किया था. छात्राओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वे चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी (CTES) के एनजी आचार्य और चेंबूर (पूर्व) स्थित डीके मराठे कॉलेज द्वारा लिए गए निर्णय में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों में नियमों का पालन सर्वोपरि है. हाईकोर्ट के फैसले पर समाजवादी पार्टी नेता अबू आजमी की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि, क्लास में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की इजाजत होनी चाहिए. हाईकोर्ट ने अगर इसे नकारा है तो हमें लगता कि सुप्रीम कोर्ट से हमें अपने धर्म पर चलने की जो इजाजत है, उसको देखते हुए हमें सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलनी चाहिए.

बता दें कि, मुंबई के चेंबूर में स्थित आचार्य कॉलेज में हिजाब बैन के खिलाफ 9 छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हिजाब से बैन हटाने की मांग की थी. छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन पर धर्म के आधार पर पक्षपात करने के आरोप भी लगाए थे. कॉलेज की ओर से लागू ड्रेस कोड के तहत छात्राओं को कैंपस में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी गई. छात्राओं का दावा है कि नया ड्रेस कोड गोपनीयता, गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

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