मुजफ्फरपुर : कभी घूंघट की आड़ में रहने वाली महिलाओं ने अब अपने पंख खोल दिए हैं. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं चूल्हे चौके से बाहर निकलकर, अब अपने हौसले से आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार हैं. वे रोजगार के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर नई इबारत लिख रही हैं. दरअसल, बिहार में छोटी जोत वाले किसानों के लिए 'सोलर दीदियां' वरदान बन गईं है.
मुजफ्फरपुर की सोलर दीदी :ये कहानी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बोचहां प्रखण्ड के लोहसरी पंचायत के रतनपुरा गांव की दो महिला उद्यमी बालेश्वरी देवी और उषा देवी की है. 2023 में सौर ऊर्जा सिंचाई प्रणाली अपनाने के बाद, इन दोनों महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है. पहले ये महिलाएं घर और मवेशियों की देखभाल करती थीं, लेकिन अब वे न केवल खेती-बाड़ी कर रही हैं, बल्कि सोलर से अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रही हैं. अब इलाके में बालेश्वरी और उषा सोलर दीदी के नाम से पहचानी जाती हैं.
मुजफ्फरपुर की सोलर दीदी (ETV Bharat)
मेहनत से गांव में बन गईं सफल उद्यमी : सौर ऊर्जा सिंचाई अपनाने के बाद, न केवल इन महिलाओं की जिंदगी में सुधार आया है, बल्कि उन्होंने अपने आसपास के छोटे किसानों की भी मदद करना शुरू कर दिया है. अब ये महिलाएं सौर ऊर्जा पंपों के माध्यम से आसपास के किसानों को कम दर पर पानी उपलब्ध करा रही हैं. पहले डीजल या बिजली से चलने वाले पंपों का खर्च काफी अधिक था, लेकिन सौर पंपों के कारण सिंचाई लागत में भारी कमी आई है.
सस्ते दर पर पानी की सप्लाई :सोलर दीदी उषा देवी बताती हैं कि ''बिहार में किसानों के पास जमीन कम है, किसी के पास एक कट्टा तो किसी के पास दो कट्ठा यानी बहुत छोटी जोत है. जिनके पास जमीन कम है, उन्हें सिंचाई के लिए काफी परेशानी होती है. ऐसे में छोटे किसानी पड़ोसी किसान से पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं.''
सोलर दीदी उषा देवी (ETV Bharat)
''बिजली वाले पंप से पानी की आपूर्ति की लागत करीब 125 से 150 रुपये प्रति घंटा, जबकि डीजल वाले पंप से 150 से 200 रुपये प्रति घंटा आती है. वहीं एक घंटे में 3 से 4 कट्ठा सिंचाई हो जाती है, इसमें एक घंटे के लिए मात्र 100 रुपये चार्ज किया जाता है. जबकि बिजली से 60 रुपये और डीजल से 75 रुपये खर्च आता है''- उषा देवी, सोलर दीदी, मुजफ्फरपुर
सौर ऊर्जा सिंचाई से बढ़े लाभ और विकास : उषा देवी और उनके पति मुकेश साह का कहना है कि सौर पंपों के कारण अब किसानों को बिजली की कटौती या डीजल की बढ़ी हुई कीमतों से परेशान होने की जरूरत नहीं है. सौर पंप 5 हॉर्स पावर के होते हैं, जिससे अधिक पानी की आपूर्ति होती है. इसके परिणामस्वरूप, किसान अब धान, मक्का और अन्य खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ नकदी फसलें भी उगा कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
गांव में लगा सोलर पैनल (ETV Bharat)
महिला उद्यमिता की बढ़ती लहर : सौर ऊर्जा सिंचाई की कहानी अब सिर्फ इन दो महिलाओं बालेश्वरी और उषा तक ही सीमित नहीं है. बल्कि 90 से ज्यादा महिला उद्यमी हैं, जिनकी जिंदगी सौर ऊर्जा सिंचाई अपनाने से बदल गई है. इन महिलाओं ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है, बल्कि वे 3,000 से अधिक किसानों की मदद भी कर रही हैं. इन सोलर दीदियों की सफलता में कुछ गैर सरकारी संगठन, गेट्स फाउंडेशन, जीविका और एकेआरएसपी (AKRSP, आगा खान ग्रामीण सहायता कार्यक्रम) भी शामिल है.
सोलर दीदी बालेश्वरी देवी (ETV Bharat)
''कुछ साल पहले तक किसान डीजल सेट से पानी खरीदते थे, क्योंकि बिजली उपलब्ध नहीं थी. जब बिजली आई तो बिजली से चलने वाले पंप से पानी खरीदते थे. लेकिन जब से सोलर पंप आया, तो उन्हें सस्ते दर पर पानी मिलने लगा. सोलर पंप में बिजली कटौती की चिंता नहीं रहती है और यह ज्यादा पानी खींचने में भी सक्षम हैं.''- मुकेश कुमार, टीम लीडर, AKRSP
सौर ऊर्जा.. आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम : बोचहां प्रखण्ड में सोलर पंपों का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं अब न केवल अपने घर-परिवार के लिए मुनाफा कमा रही हैं, बल्कि वे पूरे प्रखण्ड में आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश कर रही हैं. बागेश्वरी और उषा देवी के नेतृत्व में कई महिलाएं इस मुहिम से जुड़कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.
किसानों के लिए वरदान बनीं 'सोलर दीदियां' : इस बदलाव के साथ बिहार की महिलाएं न केवल अपने परिवार की बेहतरी के लिए काम कर रही हैं, बल्कि वे अपनी मेहनत और उद्यमिता के जरिए पूरे समुदाय को प्रगति की राह दिखा रही हैं. इस बदलाव का असर आने वाले दिनों में और भी तेज होगा.