बिहार

bihar

ETV Bharat / bharat

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण : एक ऐसा शख्स जिसने आइंस्टीन को दी थी चुनौती, नासा के कंप्यूटर से तेज थी कैलकुलेशन - Vashishtha Narayan Singh

International Mathematics Day 2024 : बिहार के महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को कौन नहीं जानता. कभी आइंस्टीन को चुनौती देने वाले वशिष्ठ बाबू का मानसिक बीमारी से निधन हो जाएगा कोई नहीं जानता था. अंतिम समय में करीब रहे पवन टून ने कभी उनपर कार्टून बनाए थे लेकिन जब दोनों मिले थे तो एक रिश्ता बन गया था. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पवन भावुक हो गए. उन्होंने बताया कि वशिष्ठ बाबू अंतिम समय में क्या क्या करते थे. पढ़ें पूरी खबर.

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 14, 2024, 6:13 AM IST

Updated : Mar 14, 2024, 8:21 AM IST

पटनाः आज वर्ल्ड मैथमेटिक्स डे है. आर्यभट्ट और डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे कई महान गणितज्ञ हमारे बिहार के थे, जिन्होंने पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा की डंका बजायी. डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह ऐसे गणितज्ञ रहें जिन्होंने अमेरिका में नोबेल विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी थी. इनकी इन उपलब्धि से दुनिया हैरान रह गई थी. इनकी थ्योरी पर आज भी रिसर्च चल रहा है.

गणित के सवालों को चुटकियों में सुलझाने वाले वशिष्ठ बाबू :गणित के सवालों को चुटकियों में सुलझाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 1942 में भोजपुर के बसंतपुर में हुआ था. बचपन से भी दक्षिण प्रतिभा के धनी थे. 1998 में नेतरहाट से पढ़ाई पूरी करने के बाद 1963 में उन्होंने हायर सेकेंडरी की शिक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया. इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने बीएससी ऑनर्स किया जिसमें सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया.

एक साल में पूरा कर लिए थे स्नातकः पटना विश्वविद्यालय ने वशिष्ठ नारायण सिंह के लिए नियम बदल दिया था. 3 साल का स्नातक पाठ्यक्रम एक साल में पूरा कर लिए थे. 1965 में आगे की शिक्षा के लिए अमेरिका के बर्कले यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए दाखिला लिए. 1967 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी आफ मैथमेटिक्स के डायरेक्टर बने.

अपोलो मिशन में कंप्‍यूटर्स को दी थी मात :1969 में वशिष्ठ बाबू ने आइंस्‍टीन का फॉर्मूला E=mc2 को चैलेंज किया. इसी थ्योरी पर इन्हें पीएचडी की उपाधि मिली थी. गौस थ्‍योरेम को भी चुनौती दी. ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी’ पर रिसर्च किया. नासा में भी काम किया, लेकिन यहां काम करते हुए उन्होंने अपनी काबिलियत और मेहनत से लोगों को हैरान कर दिया.

जीनियस ऑफ जीनियस का दर्जाःएक बार अपोलो मिशन की लॉंचिंग के दौरान अचानक से 31 कंप्यूटर बंद हो गए, तभी वहां मौजूद वशिष्ठ नारायण ने कैलकुलेशन शुरू किया, जिसे बाद में सही माना गया. इसके बाद बर्कले यूनिवर्सिटी ने उन्हें जीनियस ऑफ जीनियस का दर्जा दिया.

साल 1971 में वशिष्ट बाबू भारत लौटे और 1972 में उन्होंने आईआईटी कानपुर में गणित के प्राध्यापक के तौर पर काम शुरू किया. 1973 में उनकी शादी होती है. लेकिन 1974 में वे मानसिक रूप से बीमार हो गए. उनका इलाज रांची मनोरोग अस्पताल में चला. यहीं से एकेडमिक करियर का ढलान शुरू हो जाता है.

कभी कचरे के ढ़ेर पर कागज चुनते थेः जिस वक्त वशिष्ठ नारायण सिंह बीमार चल रहे थे. उस समय वे कूड़े के ढे़र पर कुछ चुनते नजर आते थे. यह सब काफी सुर्खियों में रहा था. इनपर एक कार्टूनिस्ट ने व्यंग्यात्मक कार्टून बनाया था. वे प्रख्यात कार्टूनिस्ट पवन टून हैं. पवन टून वशिष्ठ नारायण सिंह के जीवन के आखिरी दिनों में बेहद करीब रहे थे.

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ में पवन टून

पवन टूल्स से खास बातचीतः ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में कई बातें कही. उन्होंने बताया पहले वे इनके बारे में नहीं जानते थे. साल 2013 में उनके पास सूचना आयी कि वशिष्ठ बाबू आपसे मिलना चाहते हैं. उन्होंने पूछा कि कौन वरिष्ठ बाबू? उन्हें बताया गया कि गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह. उनके छोटे भाई बुलाने के लिए आए थे. उन्होंने बताया कि वशिष्ठ बाबू अखबार में छपे आपके कार्टून देखते हैं. बार-बार यही कहते हैं इस कार्टून को बनाने वाले आदमी से मिलना है.

कभी पवन टून ने लिखा था व्यंग्यः पवन ने बताया कि जब उन्हें ये सारी बात बतायी गई तो उन्हें अचानक साल 1993 याद आ गया जब उन्होंने वशिष्ठ नारायण सिंह के हाल पर एक व्यंग लिखा था. पवन बताते हैं कि 1993 वह साल था जब वशिष्ठ नारायण सिंह दीमागी बीमारी के कारण कूड़े के ढेर पर कुछ चुनते नजर आए थे. सरकार ने बेहतर इलाज कराने की बात कही. लेकिन यह सब काफी हद तक सरकारी दिखावेबाजी तक ही रहा.

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ में पवन टून

एक बांसुरी को अपने साथ रखते थेः पवन 2013 से 2019 तक वह वशिष्ठ नारायण सिंह के निरंतर संपर्क में रहे. जब वे वशिष्ठ नारायण सिंह के पास जाते तो वे उन्हें पहचान लेते थे. और उन्हें बांसुरी सुनाते. वशिष्ट बाबू ने पूरा जीवन एक बांसुरी को अपने साथ रखा. इसके अलावा एक पॉकेट साइज श्रीमद्भागवत गीता को भी अपने साथ रखते थे. अक्सर गीता उलट-पुलट कर देखते रहते थे और लगता था कि पढ़ रहे हैं. फिर पास में पड़े कोई भी कागज पर कुछ लिखते रहते थे.

सरकार ने नहीं निभायी जिम्मेदारीः पवन टून ने बताया कि सरकार वशिष्ठ नारायण सिंह के इलाज के लिए बड़े-बड़े दावे की लेकिन उनकी मृत्यु के समय जो कुछ भी दृश्य उत्पन्न हुआ कि वह सभी सरकारी दावे को फेल दिखा रहा था. वशिष्ट बाबू का जब पीएमसीएच अस्पताल में निधन हो गया तो उनके डेड बॉडी को अस्पताल के बाहर रख दिया गया. एक स्ट्रेचर नहीं मिला. उनके भाई ने उन्हें फोन कर सूचित किया जिसके बाद हम पहुंचे. तमाम मीडिया जगत के साथियों को सूचना दी. 5 घंटे लग गए. इसके बाद सरकार ने मामले को ढ़कने के लिए राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया.

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ में पवन टून

उनके छात्र पवन से लेते थे हालचालः पवन टून ने कहा कि वशिष्ठ बाबू एक अलग भाषा में अखबार पर और सादे कागज पर कुछ ना कुछ लिखते रहते थे. यह लिपि समझने में बेहद कठिन है और इस पर शोध होनी चाहिए. उनकी समझ से कुछ लोग इस शोध कार्य में लगे हुए हैं, क्योंकि उनके भाई सभी कागजों को संभाल कर रखे हुए हैं. वशिष्ट बाबू के साथ मिलने जुलने का जब भी वह सोशल मीडिया पर कोई अपडेट करते थे तो उनके देश दुनिया में पढ़ाये हुए हजारों छात्र उनसे संपर्क कर हाल-चाल जानने की कोशिश करते थे.

बीमारी के कारणों का नहीं चला पताः उन्होंने बताया कि उनको लेकर एक बात कही जाती है. उनके गांव में सभी यही कहते हैं कि 1973 में जब उनकी शादी हुई तो अधिकांश समय वह गणित के रिसर्च में ही व्यस्त रहते थे. ऐसे में एक बार गुस्से में उनकी पत्नी ने उनके सभी रिसर्च कागजों में आग लगा दी थी. इसके बाद से उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई और 1974 से उनका मानसिक इलाज चलने लगा.

आज भी उनकी थ्योरी पर हो रहा शोधः पवन टून बताते हैं कि वशिष्ट बाबू पर काम करते हुए उनके कई साथियों से उनके बारे में जानने की कोशिश की लेकिन यही पता चला कि वह छात्र जीवन में भी पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान छात्रों से अधिक नहीं मिलते थे. वे सारा समय गणित के सवालों को हल करने में व्यस्त रहते थे. यही कारण 1 साल में उन्होंने 3 साल का स्नातक पाठ्यक्रम पूरा कर लिया. उनका चक्रीय वेक्टर स्पेस थ्योरी आज भी वैज्ञानिक जगत के लिए शोध का विषय है.

यह भी पढ़ेंः

Last Updated : Mar 14, 2024, 8:21 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details