देहरादनू( उत्तराखंड): कांग्रेस के सीनियर नेता, एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इन दिनों चर्चाओं में हैं. खबरें हैं कि कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के साथ जल्द ही बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. कमलनाथ कांग्रेस के ओल्ड गार्ड माने जाते हैं. कमलनाथ को कांग्रेस ने सांसद, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष के अलावा कई ऐसे पदों से नवाजा जिसकी वो कभी सोच भी नहीं सकते थे. इन सबको भुलाकर अब कमलनाथ की BJP में एंट्री की खबरें सोशल मीडिया से लेकर समाचार पत्रों में छाई हुई हैं. हर कोई कठिन वक्त में कमलनाथ के कांग्रेस छोड़ने पर उन्हें संशय भरी नजरों से देख रहा है, मगर कांग्रेस के इतिहास में कमलनाथ अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जो मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद भी दूसरी पार्टी में जा रहे हो. कांग्रेस में ऐसे नेताओं की लिस्ट बड़ी लंबी हो जिन्हें कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया, बाद में ये नेता सत्ता या फिर पुत्र मोह के कारण दूसरे दलों में शामिल हो गये.
विजय बहुगुणा ने बेटे के साथ ज्वाइन की बीजेपी:बात अगर उत्तराखंड की करें तो इस लिस्ट विजय बहुगुण और नारायण दत्त तिवारी का नाम आता है. विजय बहुगुणा परिवार के कारण कांग्रेस में आगे बढ़ाये गये.विजय बहुगुणा कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में शामिल थे. विजय बहुगुणा मई 2016 में वह राज्य के आठ पूर्व विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने वालों में उनका बेटा सौरभ बहुगुणा भी शामिल थे. विजय बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदद बहुगुणा के बेटे हैं. विजय बहुगुणा की बहन रीता बहुगुणा भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई.
सीएम बनकर शिफ्ट होने वालों में नारायण दत्त तिवारी:नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस शुरूआत में ज्वाइन की. उसके बाद कांग्रेस के कारण ही नारायण दत्त तिवारी तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद वे एक बार उत्तरखंड के भी मुख्यमंत्री बने. आखिर में 53 साल कांगेस में रहने के बाद साल 2017 में बीजेपी में शामिल हुए.नारायण दत्त तिवारी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल थे. नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूटी गांव में हुआ. तब उत्तर प्रदेश का गठन नहीं हुआ था. . तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे. महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर पूर्णानंद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. नारायण दत्त तिवारी की शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी, बरेली और नैनीताल से हुई. अपने पिता के तबादले की वजह से उन्हें एक से दूसरे शहर में रहते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी.