देहरादून: वन क्षेत्र में पानी की कमी को लेकर राजाजी टाइगर रिजर्व लंबे समय से जल संरक्षण पर काम कर रहा है. इसके अलावा भी वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन के लिए टाइगर रिजर्व नई पहल करता रहा है. इसी को लेकर देशभर के भारतीय वन सेवा से जुड़े अधिकारी राजाजी टाइगर रिजर्व पहुंचे. यहां भारतीय वन सेवा के 70 अधिकारियों ने राजाजी टाइगर रिजर्व में विभिन्न योजनाओं को जाना.
70 आईएफएस अधिकारी पहुंचे राजाजी टाइगर रिजर्व: दरअसल देशभर के 70 भारतीय वन सेवा के अधिकारी मिड केयर ट्रेनिंग के लिए उत्तराखंड पहुंचे थे. यहां उन्होंने राजाजी टाइगर रिजर्व में जाकर वाइल्डलाइफ को लेकर चल रही योजनाओं के बारे में जाना. इस दौरान खासतौर पर टाइगर रिजर्व में जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों को इन अफसरों ने बारीकी से समझा. राजाजी टाइगर रिजर्व में w3 यानी वेल्स वाटर हॉल्स मॉडल शुरू किया गया है. यह मॉडल राजाजी टाइगर रिजर्व में पानी की कमी को दूर करने के लिए शुरू हुआ है. भारतीय वन सेवा के 2012 से 2016 बैच के अधिकारियों ने यहां तमाम योजनाओं को जानकर इसके फायदों को समझा.
कई राज्यों में वन क्षेत्रों के लिए होगा मददगार: राजाजी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर महातिम यादव ने बताया कि विभिन्न अधिकारियों ने जिस तरह से योजनाओं को समझा है. उसके बाद यह अधिकारी अपने राज्यों में भी इसका अनुसरण कर सकते हैं और खासतौर पर जल संरक्षण के क्षेत्र में काम किया जा सकता है.
35 वाटर होल से राजाजी क्षेत्र में पहुंच रहा पानी: राजाजी टाइगर रिजर्व में चिल्लावाली रेंज में 6 कुएं, धौलखंड में 2 कुएं, बेरीबाड़ा में 2 कुएं और हरिद्वार रेंज में 1 कुआं इस तरह कुल 35 वाटर होल से पानी राजाजी क्षेत्र में पहुंचाया जा रहा है. पानी की कमी के बावजूद जल संरक्षण करते हुए राजाजी के बड़े क्षेत्र में पानी पहुंचाने की इसी स्कीम को तमाम भारतीय वन सेवा के अधिकारियों ने समझा, जबकि जरूरत के लिहाज से बाकी क्षेत्रों में भी इसी मॉडल पर काम किया जा सकता है.
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