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बांके बिहारी मंदिर में अब विदेशी भक्त भी खुलकर दे सकेंगे दान, मिला FCRA लाइसेंस - BANKE BIHARI TEMPLE

बांके बिहारी मंदिर को FCRA का लाइसेंस मिल गया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब विदेशी भक्त मंदिर में खुलकर दान दे सकेंगे.

Banke Bihari temple
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु एकत्रित हुए. (File Photo) (IANS.)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 25, 2025, 3:21 PM IST

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में अब विदेशी भक्त खुलकर दान दे सकेंगे. गृह मंत्रालय ने न्यायालय की मंजूरी के बाद बांके बिहारी मंदिर को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस को मंजूरी दे दी. बता दें कि कोई भी 'व्यक्ति' एफसीआरए पंजीकरण और केंद्र सरकार से अनुमति के साथ एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम के लिए विदेशी योगदान प्राप्त कर सकता है.

किसने दिया था लाइसेंस के लिए आवेदनः गृह मंत्रालय ने शनिवार को कहा "न्यायालय की मंजूरी के बाद मंजूरी दी गई है. आवेदन के अनुसार, उन्हें अपने खजाने में बहुत सारी विदेशी मुद्राएं मिलती हैं और वे विदेशों से दान प्राप्त करने का इरादा रखते हैं." बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन वर्तमान में न्यायालय द्वारा किया जाता है. न्यायालय ने एक प्रबंधन समिति का गठन किया है. न्यायालय की मंजूरी के तहत इस प्रबंधन समिति ने एफसीआरए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था.

बांके बिहारी मंदिर. (File Photo) (ETV Bharat)

तीन और संगठनों को मिला लाइसेंसःठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज के साथ ही उत्तर प्रदेश के तीन और गैर सरकारी संगठनों को गृह मंत्रालय से एफसीआरए लाइसेंस मिला है. संस्कृति और शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले अन्य तीन गैर सरकारी संगठनों में नेशनल यूथ फाउंडेशन, एसोसिएशन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस और द गैलेक्सी एजुकेशनल एंड सोशल डेवलपमेंट चैरिटेबल ट्रस्ट शामिल हैं.

किस राज्य में सबसे अधिक एफसीआरए लाइसेंसः सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 16089 सक्रिय गैर सरकारी संगठन और संघ हैं जिनके पास एफसीआरए लाइसेंस है. जिनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक तीन शीर्ष राज्य हैं, जहां सबसे अधिक एफसीआरए लाइसेंस धारक हैं. आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में एफसीआरए लाइसेंस वाले 2382 संगठन हैं. इसके बाद महाराष्ट्र में 1744 और कर्नाटक में 1441 संगठन हैं.

एफसीआरए का उद्देश्यः एफसीआरए, 2010 को संसद द्वारा कुछ व्यक्तियों या संगठनों या कंपनियों द्वारा विदेशी योगदान या विदेशी आतिथ्य की स्वीकृति और उपयोग को विनियमित करने और राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक किसी भी गतिविधि और उससे जुड़े मामलों के लिए विदेशी योगदान या विदेशी आतिथ्य की स्वीकृति और उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कानून को मजबूत करने के लिए अधिनियमित किया गया है.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वृंदावन में बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु एकत्रित हुए. (File Photo) (IANS.)

कौन प्राप्त कर सकता विदेशी योगदानः एफसीआरए, 2010 की धारा 3(1) में विदेशी योगदान स्वीकार करने से प्रतिबंधित व्यक्तियों या संगठनों का वर्णन किया गया है. चुनाव के लिए उम्मीदवार, संवाददाता, स्तंभकार, कार्टूनिस्ट, संपादक, मालिक, पंजीकृत समाचार पत्र के मुद्रक या प्रकाशक; लोक सेवक, न्यायाधीश, सरकारी कर्मचारी या किसी निगम या सरकार द्वारा नियंत्रित या स्वामित्व वाली किसी अन्य संस्था का कर्मचारी; किसी विधानमंडल का सदस्य; राजनीतिक दल या उसका पदाधिकारी; केंद्र सरकार द्वारा धारा 5 की उपधारा (1) के अंतर्गत निर्दिष्ट राजनीतिक प्रकृति का संगठन और साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (आर) में परिभाषित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मोड या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म या जनसंचार के किसी अन्य मोड के माध्यम से ऑडियो समाचार या ऑडियो विजुअल समाचार या समसामयिक मामलों के कार्यक्रमों के उत्पादन या प्रसारण में लगे संघ या कंपनी.

पंजीकरण प्रदान को क्या है मानदंडः एफसीआरए, 2010 के तहत पंजीकरण प्रदान करने के लिए, एसोसिएशन को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 या कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8) आदि जैसे मौजूदा क़ानून के तहत पंजीकृत होना चाहिए. एसोसिएशन कम से कम तीन वर्षों से अस्तित्व में होनी चाहिए. उस समाज के लाभ के लिए अपने चुने हुए क्षेत्र में उचित गतिविधि की होनी चाहिए जिसके लिए विदेशी योगदान का उपयोग करने का प्रस्ताव है.

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