पटना : बिहार में भी 2004 से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम के माध्यम से चुनाव हो रहा है. 2004 से लेकर 2019 तक चार लोकसभा के चुनाव ईवीएम से हो चुके हैं, लेकिन किसी भी चुनाव में 60% भी वोटिंग नहीं हुई है. इस बार भी वोटिंग 60% से कम ही हो रहा है, लेकिन पहले जब बैलेट पेपर से वोटिंग होती थी तो 60% से अधिक वोटिंग होती थी.
बैलेट पेपर Vs ईवीएम से वोटिंग : आंकड़ें देखें तों 1998 में तो 64% तक वोटिंग हुई थी. बैलेट पेपर से अधिक वोटिंग के पीछे बिहार में बूथ पर लूट, बोगस वोटिंग बड़ा कारण बताया जा रहा है, विशेषज्ञ ईवीएम को सबसे सही और निष्पक्ष वोटिंग का माध्यम बता रहे हैं. यह भी कह रहे हैं कि ईवीएम में उतना ही प्रतिशत वोट दिख रहा है, जितना हो रहा है. जरूरत लोगों में जागरूकता लाने की है, जिससे बिहार का वोटिंग प्रतिशत 60% से अधिक हो सके.
बैलेट पेपर से वोटिंग 60 फीसदी पार : बिहार में 2000 से पहले बैलेट पेपर से वोटिंग होता था. बैलेट पेपर से वोटिंग के दौरान वोटिंग प्रतिशत 60% या उससे अधिक देखने को मिला है. लेकिन 2004 के बाद पूरे देश में ईवीएम से वोटिंग शुरू हो गया बिहार में भी ईवीएम से वोटिंग हुआ. जहां 1999 में बैलेट पेपर से हुई वोटिंग में 61.48% वोटिंग हुई थी, वहीं 5 साल बाद जब ईवीएम से वोटिंग हुई तो यह घटकर 58% के करीब पहुंच गया.
ईवीएम से वोटिंग होने पर गिरा प्रतिशत : ईवीएम से वोटिंग होने पर प्रतिशत बढ़ने की जगह घट गया. 2004 से लेकर 2019 तक चार लोकसभा के चुनाव हुए, चारों लोकसभा के चुनाव में ईवीएम का प्रयोग हुआ लेकिन कभी भी वोटिंग प्रतिशत 60 या 60 प्रतिशत से अधिक नहीं हुआ. बैलेट पेपर से और ईवीएम से वोटिंग का कुछ सालों का आंकड़ा देखकर आसानी से समझा जा सकता है. देखें GFX.
बोगस वोटिंग ईवीएम से बंद: 2024 लोकसभा चुनाव में भी चार चरण के चुनाव हो चुके हैं लेकिन किसी भी चरण में बिहार में 60% के करीब वोटिंग नहीं हुई है. जदयू के वरिष्ठ नेता निहोरा यादव का कहना है कि जब बैलेट पेपर से वोटिंग होता था तो बूथ कैपचरिंग बहुत होती थी. बोगस वोटिंग होती थी और इस कारण ही उस समय वोट प्रतिशत बढ़ जाता था. ईवीएम में बोगस वोटिंग का सवाल ही नहीं है. लेकिन बिहार के लोगों में जागरूकता की भी कमी है और इस बार तो गर्मी भी बहुत अधिक पड़ रही है, इसके कारण भी वोटिंग कम हो रही है.
आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमदका कहना है कि ''बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव से अधिक निकाय और वार्ड के चुनाव में वोटिंग अधिक होता है. इसके पीछे वजह यह है कि लोगों को घर से बूथ तक ले जाया जाता है. सभी दलों के साथ चुनाव आयोग को भी इस दिशा में काम करना होगा और बैलेट लिस्ट में भी जो गड़बड़ियां है उसे दूर करने की कोशिश होनी चाहिए.''
'चुनाव का बेहतर उपाय है EVM' : राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है सैद्धांतिक रूप से या व्यवहारिक रूप से ईवीएम चुनाव का सबसे बेहतर उपाय है. पहले बैलेट पेपर से जब चुनाव होता था उसमें अधिक वोटिंग का सबसे बड़ा कारण धांधली था. बोगस वोटिंग खूब होती थी और उसके कारण ही वोट प्रतिशत बढ़ता था. लेकिन ईवीएम में जितना वोटिंग होती है उतना ही दिखता भी है. विश्व स्तर पर इसे सराहा गया है. लेकिन जागरूकता की अभी भी काफी कमी है, उस दिशा में और काम करने की जरूरत है.