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'यहां लंगोट ही चढ़ावा, लंगोट ही प्रसाद', पूरे देश में अनोखा है यह मंदिर, इंदिरा गांधी सहित कई हस्ती हो चुकी हैं नतमस्तक - LANGOT MELA

Baba Maniram Temple: प्रसाद का नाम सुनते ही स्वादिष्ट मिठाई और मीठे-मीठे फल का ध्यान आने लगता है. पूजा के दिन तो प्रसाद की खुशबू से वातावरण सुगंधित हो जाता है. दुनियाभर मंदिरों में भगवान का भोग प्रसाद से लगाया जाता है लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने में जा रहे हैं, जहां लंगोट ही चढ़ावा है और लंगोट ही प्रसाद है. इंस मंदिर में भक्त भगवान को प्रसाद के रूप में लंगोट चढ़ाते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

LANGOT MELA
बाबा मणिराम अखारा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 26, 2024, 2:34 PM IST

Updated : Jun 26, 2024, 3:05 PM IST

बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति के उपाध्यक्ष अमरकांत भारती (ETV Bharat)

नालंदाः कैसा लगेगा जब किसी मंदिर में जाएं और प्रसाद के रूप में लंगोट मिले. जी हां, ऐसा मंदिर बिहार में है. इस मंदिर में भगवान को प्रसाद के रूप में लंगोट चढ़ाया जाता है. बिहार ही नहीं, बल्कि राज्यों से आकर भी इस मंदिर में लंगोट चढ़ाते हैं. बिहार के नालंदा जिले में बिहारशरीफ के पंचाने नदी किनारे स्थित बाबा मणिराम अखाड़ा मंदिर है, जो अपने आप में अनोखा है. जानकार बताते हैं कि भारत में ऐसा मंदिर कहीं और देखने को नहीं मिलेगा.

मंदिर में लंगोट चढ़ाते भक्त (ETV Bharat)

इस परंपरा के पीछे की वजह क्या है? बता दें कि लंगोट ब्रह्मचर्य का प्रतीक है. खासकर पहलवानों को कुश्ती के दौरान पहनना होता है. बाबा मणिराम भी पहलवान थे जिन्होंने अखारा के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया था. बाबा ने एक कुश्ती के लिए अखारा का भी निर्माण कराया था. बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति के उपाध्यक्ष अमरकांत भारती बताते हैं कि अखारा परिसर में ही बाबा ने समाधि ली थी. 1952 से यहां बाबा को लंगोट चढ़ने की परंपरा की शुरुआत हुई.

नालंदा का बाबा मणिराम मंदिर (ETV Bharat)

"पटना में उत्पाद निरीक्षक कपिलदेव प्रसाद के प्रयास से 6 जुलाई 1952 में बाबा के समाधि स्थल पर लंगोट मेले की शुरुआत हुई थी. इसके पहले रामनवमी के मौके पर श्रद्धालु बाबा की समाधि पर पूजा-अर्चना करने आते थे. तब से हर वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के दिन से सात दिवसीय मेला यहां लगता है. कपिलदेव बाबू को पांच पुत्रियां थी. बाबा की कृपा से उन्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी. बाबा की कृपा इतनी कि उनके दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है."- अमरकांत भारती, उपाध्यक्ष, बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति

क्या मान्यता है बाबा मणिराम को लेकर? अमरकांत भारती ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि यहां की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नि:संतान महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ति होती है. बाबा मणिराम का नालंदा में 1248 ई आगमान हुआ था. 1300 ई. में भक्तों को शांति व स्वास्थ्य का संदेश देकर बाबा ने समाधि ले ली थी. जानकार बताते हैं कि बाबा अयोध्या से चलकर यहां आएं थे. मान्यता है कि इस मंदिर में आकर कोई सच्चे मन से मन्नतें मांगता है तो जरूर पूरी होती है. मन्नत पूरी होने के बाद भक्त बाबा को लंगोट चढ़ाते हैं.

नालंदा का बाबा मणिराम मंदिर (ETV Bharat)

सनातन धर्म का बने प्रचारकः अमरकांत भारती ने बताया कि बाबा ने शहर के दक्षिणी छोर पर पंचाने नदी के पिस्ता घाट को अपना पूजा स्थल बनाया था. वर्तमान में यही स्थल ‘अखाड़ा पर’ के नाम से प्रसिद्ध है. ज्ञान की प्राप्ति और क्षेत्र की शांति के लिए बाबा घनघोर जंगल में रहकर मां भगवती की पूजा-अर्चना करते थे. साथ ही लोगों को कुश्ती भी सिखाते थे. इसी के ज़रिए सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भी करते थे.

राजनीतिक हस्ती भी नतमस्तकः नालंदा स्थित बाबा के दरबार में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, बाबू जगजीवन राम, लाल कृष्ण अडवाणी, सिकंदर बख्त के अलावा बिहार के शीर्ष नेतृत्व चाहे वह किसी भी दल के हों सभी को बाबा का आशीर्वाद प्राप्त है. सभी नेता इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना कर चुके हैं और मन्नत भी मांगी है.

नालंदा का बाबा मणिराम मंदिर (ETV Bharat)

इंदिरा गांधी की भी मन्नत हुई पूरीः बाबा के दरबार के ठीक बगल में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रतिमा भी स्थापित है. इसके पीछे दिलचस्प कहानी है. 15 अगस्त और 26 जनवरी को अखाड़ा समिति और कांग्रेस पार्टी की ओर से इस प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाया जाता है. अमरकांत भारती ने बताया कि भारत की तीसरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से यहां का इतिहास जुड़ा है. यहां इंदिरा गांधी की भी मन्नतें पूरी हुई है.

लंगोट बाबा का मंदिर (ETV Bharat)

दोबारा सत्ता में आने की मन्नत मांगी थीः अमरकांत भारती बताते हैं कि 25 जून 1975 को आपातकाल लागू होने के बाद 1977 में इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर हो गयी थी. इसी दौरान पटना के बेलछी नरसंहार के पीड़ितों से हाथी पर सवार होकर मिलने के लिए पहुंची थीं. उस वक्त कांग्रेस के नेता स्व. आर ईशरी अरशद के घर में रुकी थी. वहां से लौटते समय बाबा मणिराम के अखारे के बारे में आर ईशरी ने बताया था.

बेलछी जहां पहुंची थी इंदिरा गांधी (ETV Bharat)

इंदिरा गांधी ने किए थे दर्शन : इसके बाद इंदिरा गांधी ने बाबा मणिराम से मन्नत मांगी थी कि दोबारा सत्ता में आएंगी तो पूरे परिवार के साथ आकर पूजा-अर्चना करेंगी. दोबारा सरकार बनने के बाद इंदिरा गांधी बहु बेटे के साथ अखाड़ा पहुंची थी और बाबा मणिराम की पूजा की थी.

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Last Updated : Jun 26, 2024, 3:05 PM IST

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