पटना: गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में सोमवार 7 अक्टूबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक होनी है. इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं होंगे. इससे पहले भी नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे. अमित शाह की अध्यक्षता में हो रही बैठक से दूरी बनाने पर एक बार फिर से सियासी चर्चा शुरू है.
सम्राट चौधरी लेंगे हिस्साः सोमवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में बिहार, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को शामिल होना है. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से केंद्र सरकार की बैठक में शामिल नहीं होंगे. जो जानकारी मिल रही है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्थान पर बिहार की ओर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, मुख्य सचिव और डीजीपी बैठक में शामिल होंगे.
क्या है रणनीतिः केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह से समाप्त करने की रणनीति पर काम कर रही है. साथ ही बैठक में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को विकास सहायता को लेकर चर्चा भी होगी. बैठक में पांच केंद्रीय मंत्रालयों के मंत्री भी शामिल होंगे. उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और केंद्र, राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.
वामपंथी उग्रवाद क्या है: वामपंथी उग्रवाद उन राजनीतिक विचारधाराओं और समूहों को संदर्भित करता है, जो क्रांतिकारी तरीकों के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन की वकालत करते हैं. भारत में वामपंथी उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत वर्ष 1967 के पश्चिम बंगाल में नक्सलबाड़ी से हुई थी. गृह मंत्रालय के अनुसार देश के 10 राज्यों के 90 ज़िले वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित हैं. ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल.
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