नई दिल्ली:गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुरुवार को एंटी टेरर कॉफ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल हो चुके हैं. अब तक देश की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए 36 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगाई है. मैं उन सभी को प्रणाम करता हूं और सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. इसके साथ-साथ मैं पीएम मोदी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के 10 साल के अंदर आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनाई. बता दें, एनआईए द्वारा यह दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने आगे कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के नारे को आज भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है. भारत के अंदर आतंकवाद से लड़ने के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार हुआ है. उद्घाटन समारोह में बोलते हुए गृह मंत्री ने आतंकी खतरों के प्रति आगाह किया और इनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अत्याधुनिक तकनीक की जरूरत पर बल दिया. 'आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024' के सम्मेलन में बोलते हुए शाह ने कहा कि आतंकवादी हमले और उनकी साजिश सीमाहीन और अदृश्य तरीके से हमारे खिलाफ हैं. अगर हमें इससे सटीक तरीके से निपटना है तो हमारे युवा अधिकारियों को उच्चतम तकनीक से लैस करना होगा, उन्हें प्रशिक्षित करना होगा. हम आने वाले दिनों में इसे प्रशिक्षण का अहम हिस्सा बनाएंगे.
शाह ने घोषणा की कि गृह मंत्रालय आतंकवाद से निपटने के लिए अपने सक्रिय दृष्टिकोण में अगला कदम उठा रहा है और एक राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी नीति और रणनीति लेकर आएगा. शाह ने कहा कि पुलिस राज्य का विषय है और लड़ाई राज्य पुलिस को ही लड़नी होगी. सूचना देने से लेकर कार्रवाई करने तक सभी (केंद्रीय) एजेंसियां आपका साथ देंगी. गृह मंत्रालय के अनुसार, सम्मेलन का मुख्य फोकस 'संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण' की भावना से आतंकवाद के खतरे के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए चैनल स्थापित करके विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल विकसित करना और भविष्य की नीति निर्माण के लिए ठोस जानकारी प्रस्तुत करना है. शाह ने आगे कहा कि 2006 से लेकर 2013 और 2014 से लेकर 2021 तक के समय को देखें तो आतंकवादी घटनाओं में करीब 70 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
गृह मंत्रालय के अनुसार, दो दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श और चर्चाएं विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित होंगी, जिनमें आतंकवाद-रोधी जांच में अभियोजन और कानूनी ढांचा विकसित करना, अनुभवों और अच्छे तरीकों को साझा करना, उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित चुनौतियां और अवसर, अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहयोग और भारत भर में विभिन्न आतंकवाद-रोधी थिएटरों में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने की रणनीतियां शामिल हैं.
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