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गैंगस्टर मामले में अब्बास अंसारी को हाईकोर्ट से झटका, कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की - HC REJECTS ABBAS ANSARI BAIL PLEA

माफिया मुख्तार अंसारी का बेटा और मऊ विधायक अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में बंद है.

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मऊ विधायक अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में बंद है. (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

प्रयागराज: माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ से विधायक अब्बास अंसारी को गैंगस्टर में दर्ज मुकदमे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर न्यायमूर्ति समित गोपाल ने यह आदेश दिया.

राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता एके संड और अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय मौजूद थे. अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में बंद है. 3 अगस्त 2024 को अब्बास और चार अन्य लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया . उनको 6 सितंबर 2024 को गैंगस्टर मामले में रिमांड पर लिया गया. इसमें जमानत के लिए अब्बास अंसारी ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी.

अब्बास के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय का कहना था कि याची मऊ से विधानसभा का सदस्य है. उसके गैंग चार्ट में एकमात्र मुकदमा दर्शाया गया है, जिसमें उनको जमानत मिल चुकी है. याची पर 10 अन्य मुकदमे हैं. इनमें से आठ में वह जमानत पर है. दो मुकदमों की कार्रवाई अदालत से रद्द हो चुकी है. यह भी दलील दी गई कि याची का चित्रकूट से कोई लेना-देना नहीं है. उसे कासगंज जेल से स्थानांतरित कर चित्रकूट जेल लाया गया.

वहीं राज्य सरकार की ओर से जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि गैंगस्टर के तहत दर्ज मुकदमा एक स्वतंत्र केस है. याची डी 01 गैंग का सरगना है. उसके गैंग में चार अन्य लोग हैं. उसका 11 मुकदमों का आपराधिक इतिहास है. इनमें से नौ मुकदमों में चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है. वह संगठित अपराध में शामिल है. इसकी उम्मीद एक जनप्रतिनिधि से नहीं की जा सकती है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गैंगस्टर मामले में अभी जांच चल रही है. बिना किसी मुकदमे के भी गैंगस्टर एक्ट के तहत प्राथमिक की दर्ज की जा सकती है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह को सुनने के बाद कहा कि याची के विरुद्ध दर्ज गैंगस्टर मुकदमे की अभी जांच चल रही है. उन्हें जमानत पर रिहा कर किए जाने पर वह साक्ष्य को प्रभावित कर सकता हैं. अपराध की पुनरावृति करने की संभावना है. कोर्ट ने कहा कि याची पर यह भी आरोप है की जेल में रहने के दौरान जेल अधिकारियों ने उसे अपनी पत्नी के साथ निजी समय बिताने का समय दिया जो की एक गंभीर अपराध है. कोर्ट ने जमानत का कोई आधार न पाते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी.

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