प्रयागराज : जिले में शनिवार को पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की अहम बैठक हुई. बैठक में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभाग द्वारा संचालित कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान गोवंश संरक्षण, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा गोबर व गोमूत्र के व्यावसायिक उपयोग को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. सूचना विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, निराश्रित गोवंश की भरण पोषण राशि 50 रुपये बढ़ा दी गई है. बैठक में गो संरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा विस्तृत रणनीति बनाई गई. प्रदेश के सभी गो आश्रय स्थलों के आर्थिक स्वावलंबन के लिए कृषि विभाग के सहयोग से वर्मी कम्पोस्ट इकाई स्थापित की जाएगी.
जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रदेश के सभी जनपदों में गोबर, गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद तैयार किये जाने के लिए तकनीक का विकास एवं पशुपालकों व गो आश्रय स्थल संचालकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. गाय और गो पालन को स्कूल पाठ्यक्रम में सम्मिलित किये जाने पर भी प्रदेश सरकार विचार कर रही है. प्रदेश सरकार द्वारा गो संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए 7,713 गो आश्रय स्थलों में 12,43,623 निराश्रित गोवंशों को आश्रय प्रदान किया गया है. इनके भरण-पोषण के लिए दी जाने वाली धनराशि को 30 रुपये प्रतिदिन प्रति गोवंश से बढ़ाकर 50 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है. वहीं, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1,05,139 लाभार्थियों को 1,62,625 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किए गए हैं, जिसके तहत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है.
जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, बैठक में बताया गया कि मकर संक्राति के अवसर पर विशेष अभियान चलाकर चिहिन्त कुपोषित परिवारों को 1511 निराश्रित गोवंशों की सुपुर्दगी की गयी. प्रदेश में वृहद गो संरक्षण केन्द्रों की इकाई निर्माण लागत 120 लाख रुपये से बढ़ाकर धनराशि 160.12 लाख रुपये करते हुये 543 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी तथा 372 केन्द्रों का निर्माण पूर्णकर क्रियाशील कर दिया गया है. जनपदों में संचालित गो संवर्धन कोष की धनराशि से राजमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे पशुपालकों के पशुओं में रेडियम बेल्ट व गो आश्रय स्थलों में सीसीटीवी लगाये जाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है.
गो आधारित अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा : सरकार की ओर से गाय के गोबर व गोमूत्र को ग्रामीण अर्थव्यस्था से सीधे जोड़ने की पहल की है. गोबर व गोमूत्र से बने उत्पादों के विपणन से गो आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने एवं ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन की अपार सम्भावनायें हैं. 38 जनपदों में महिला स्वयं सहायता समूहों एवं एनजीओ की भागीदारी से गोकास्ट, गमले, गोदीप, वर्मीकंपोस्ट और बायोगैस उत्पादन जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. मुजफ्फरनगर जनपद के तुगलकपुर कम्हेटा गांव में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से 5,000 गोवंश की क्षमता वाली काऊ सेंचुरी और सीबीजी प्लांट की स्थापना की गई है. साथ ही, कृषि उत्पादकता बढ़ाने हेतु गोबर से तैयार वर्मीकंपोस्ट का उपयोग किया जा रहा है.
अन्य महत्वपूर्ण फैसले : जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, प्रदेश में 9,450 हेक्टेयर गोचर भूमि को गो आश्रय स्थलों से जोड़ा गया है. इसके साथ ही 5,977 हेक्टेयर भूमि को हरा चारा उत्पादन के लिए चिह्नित किया गया है. साथ ही 50,000 हेक्टेयर भूमि पर हरा चारा उत्पादन करने की कार्ययोजना बनाई गई है. इसके तहत जई, बरसीम और नेपियर घास की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा. वहीं कृत्रिम गर्भाधान के लिए सेक्सड सीमेन डोज की कीमत ₹700 से घटाकर ₹100 कर दी गई है. इसके अलावा 8,000 युवाओं को पैरावेट के रूप में प्रशिक्षित किया गया है. साथ ही 100 साहीवाल भ्रूण आयात कर उन्हें उत्तर प्रदेश में प्रत्यारोपित किया जा रहा है. साथ ही, आईवीएफ और ईटीटी तकनीकों का प्रयोग कर उच्च गुणवत्ता वाले गोवंश प्रजातियों का संवर्धन किया जा रहा है. 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट वैन तैनात की गई हैं. प्रदेश के छह करोड़ से अधिक पशुओं को कृमिनाशक दवाइयों व उपचार की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.
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