कानपुर: कॉमेडी इज अ सीरियस बिजनेस...मेरा मानना है कि पूरी जिंदगी में जो जीवन में मसरा होता है, उसी के अंदर सबसे गंभीर मशवरा होता है. कॉमेडी सच में एक सीरियस बिजनेस है और जिसने भी इसको सीरियस ले लिया, वह कलाकार बन गया. इसका सबसे ताजा उदाहरण पूरी दुनिया में एक ही है, वह हमारे चार्ली चैपलिन साहब है. यह बातें बुधवार को कानपुर पहुंचे हास्य अभिनेता राजपाल यादव ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कहीं. इसके साथ ही उन्होंने फिल्म जगत में अपने 25 साल पूरे होने पर सिल्वर जुबली को लेकर भी कुछ यादगार लम्हे साझा किए.
फिल्म जगत में 25 साल पूरे होने पर राजपाल यादव ने कहा कि उनकी हर एक फिल्म का हर एक किरदार उनके दिल के काफी करीब है. 25 सालों की फिल्म जगत का यह उनका जो सफल रहा, वह बेहद ही शानदार और यादगार रहा. फिल्म के जरिए ही उन्हें करीब 200 जिंदगियां जीने का मौका भी मिला. इसके साथ ही थिएटर और नुक्कड़ नाटक में भी उन्हें अभिनय का मौका मिला. अभी तक वह 25 चरित्र यानी किरदारों को निभा भी चुके हैं. उनकी यह जो हाफ सेंचुरी थी उसमें उन्हें काफी कुछ सीखने को भी मिला. मैं अपनी इस सिल्वर जुबली को दिल से सैल्यूट करता हूं. यह मेरी ताकत है और इसको लेकर मैं अब आगे भी काम करता रहूंगा.
राजपाल यादव से खास बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat) एक सवाल के जवाब में राजपाल ने कहा कि भूल भुलैया फिल्म के पार्ट 1 से लेकर तीन तक के जो भी उनके अलग-अलग किरदार थे, वह एक अलग मानसिकता और अलग एक थीम के साथ थे. अक्षय कुमार के उसे पानी वाले डायलॉग पर कहा कि वह हमारे डायरेक्टर के द्वारा ही तैयार किया गया एक किरदार था इसके अलावा यह हमारे भारत मुनि जी के नाट्यशास्त्र में एक विदूषक चरित्र भी है, जो हास्य रस प्रधान में आता है तो हमें ऐसा लगता है कि मेरा यह किरदार उससे ही इंस्पायर करने वाला था. छोटा पंडित किसी को बुरा ना लगे हंसी सबको आए... वही चुप-चुप के रोटी काटने के लिए आरी वाले किरदार पर कहा कि जब भी उसे किरदार को वह खुद भी देखते हैं तो अपनी हंसी रोक नहीं पाते. अपने इस कैरियर में उन्हें काफी अच्छे डायरेक्टर मिले. काफी अच्छे डायलॉग मिले. साथ ही उन्हें इस फिल्म में एक अच्छा कैरेक्टर निभाने का मौका भी मिला.इंडियाज गॉट लेटेंट शो में अश्लील टिप्पणी को लेकर राजपाल ने कहा कि पिछले करीब 5 से 10 सालों से एक अलग ही मंच बनता जा रहा है. कुछ चंद लोगों का और उसके कारण जो कला है वह बदनाम हो रही है. कला का स्तर गिर रहा है. मेरा कला से मतलब है क्लास साथ में उसके मांस...मांस का मतलब है किचन और किचन का मतलब है बूढ़ा, बच्चा, नौजवान. हमारा भारत संस्कृति वाला देश है. यहां बेटी-बेटे, भाई-बहन माता-पिता यानी परिवार का हर एक सदस्य सब एक समान है. अब ऐसे में यह जो कंटेंट है, वह हमारे रिश्तों पर सवाल उठाते हैं. हमारा मन प्रफुल्लित करने की वजह उसे दुखी करते हैं. ऐसी कला को हम कला का विनाश मानते हैं. इसे कला के स्तर में नहीं देखा जा सकता है.
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