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कौन हैं मिल्कीपुर के नवनिर्वचित विधायक चंद्रभानु पासवान, जानिए साधारण कार्यकर्ता से इस मुकाम तक कैसे पहुंचे? - MILKIPUR BY ELECTION RESULT

समाजवादी पार्टी की गढ़ माने जाने वाली अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट को आखिर चंद्रभानु ने कैसे ढहाया, जानिए...

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चंद्रभानु पासवान. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 8, 2025, 10:33 PM IST

अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में चंद्रभानु पासवान विधायक चुने गए हैं. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत कुमार को 60 हजार से अधिक वोटों से हराकर लोकसभा चुनाव में हार का बदला ले लिया है. यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाती है. यहां से अधिकतर समाजवादी पार्टी के विधायक चुने जाते रहे हैं. 2017 में इस सीट पर मोदी की लहर ने भाजपा के खाते में गई थी लेकिन 2022 की चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपना अधिकार ले लिया था. ऐसे में आइए जानते हैं कि भाजपा का परचम लहराने वाले चंद्रभानु का राजनितिक सफर कैसा रहा है.

पहले पत्नी, फिर पिता और अब खुद राजनीति में रखा कदमः बता दें कि चंद्रभानु पासवान का रुदौली के परसौली गांव के रहने वाले हैं, जो पासी समाज से ताल्लुक रखते हैं. चंद्रभानु पिता राम लखन करीब 15 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं. अपने पिता के साथ संघ के विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहे हैं. इस बीच चंद्रभानु के कार्यों के कारण समाज में लोकप्रियता बड़ी तो 2015 में अपने पत्नी कंचन को राजनीति में उतार दिया. पत्नी ने रुदौली पंचम सीट पर 8396 वोट हासिल कर जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं. इन दोनों बढ़ती लोकप्रियता के कारण 2021 में पिता राम लखन दास प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लेकिन जब अयोध्या नगर निगम बनने के बाद सीमा विस्तार किया गया तो परसौली नगर निगम में शामिल हो गया और उनके पिता को भाजपा से पार्षद के लिए प्रत्याशी बने लेकिन हार गए.

इसे भी पढ़ें-मिल्कीपुर उपचुनाव परिणाम; भाजपा को 60.81 और सपा को 34.81 फीसदी वोट मिले, जानिए क्यों साइकिल हुई पंक्चर?

भाजपा ने प्रत्याशी क्यों बनायाःभारतीय जनता पार्टी ने चंद्रभानु की कार्यशाली को देखते जिला कार्यसमिति का सदस्य बना दिया. 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा के समर्थन खुलकर प्रचार प्रसार किया लेकिन समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल कर ली. इस कारण उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं रही. इनके कार्यों की प्रशंसा को देखते हुए भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव 2024 में अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख बना दिया. इसमें उन्होंने जमकर भागीदारी ली इसके बावजूद चुनाव को नहीं जीत सके. हालांकि प्रत्याशी रहे लल्लू सिंह के काफी करीबी होने के नाते मिल्कीपुर के उपचुनाव में संगठनात्मक सर्वे के बाद प्रत्याशी के लिए चंद्रभानु पासवान खुलकर सामने आए. जिसके कारण मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा दांव लगाया.

वकील से बने विधायकः चंद्रभानु पासवान बी कॉम, एम कॉम और एलएलबी किया है. पेशे से अधिवक्ता के साथ कपड़ों के कारोबार में बड़ी रुचि रखते हैं. रुदौली मेनका एक कपड़े का बड़ा शोरूम है. जहां पर अहमदाबाद और सूरत कपड़े को मंगाने का कार्य करते हैं. अपनी लोकप्रियता के कारण एक बार जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं. पहली बार उन्हें इतने बड़े स्तर पर चुनाव में शामिल होने का मौका मिला है.

इसे भी पढ़ें-मिल्कीपुर उपचुनाव में क्या सपा का परिवारवाद भाजपा के लिए साबित हुआ ट्रंप कार्ड?

अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में चंद्रभानु पासवान विधायक चुने गए हैं. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत कुमार को 60 हजार से अधिक वोटों से हराकर लोकसभा चुनाव में हार का बदला ले लिया है. यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाती है. यहां से अधिकतर समाजवादी पार्टी के विधायक चुने जाते रहे हैं. 2017 में इस सीट पर मोदी की लहर ने भाजपा के खाते में गई थी लेकिन 2022 की चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपना अधिकार ले लिया था. ऐसे में आइए जानते हैं कि भाजपा का परचम लहराने वाले चंद्रभानु का राजनितिक सफर कैसा रहा है.

पहले पत्नी, फिर पिता और अब खुद राजनीति में रखा कदमः बता दें कि चंद्रभानु पासवान का रुदौली के परसौली गांव के रहने वाले हैं, जो पासी समाज से ताल्लुक रखते हैं. चंद्रभानु पिता राम लखन करीब 15 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं. अपने पिता के साथ संघ के विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहे हैं. इस बीच चंद्रभानु के कार्यों के कारण समाज में लोकप्रियता बड़ी तो 2015 में अपने पत्नी कंचन को राजनीति में उतार दिया. पत्नी ने रुदौली पंचम सीट पर 8396 वोट हासिल कर जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं. इन दोनों बढ़ती लोकप्रियता के कारण 2021 में पिता राम लखन दास प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लेकिन जब अयोध्या नगर निगम बनने के बाद सीमा विस्तार किया गया तो परसौली नगर निगम में शामिल हो गया और उनके पिता को भाजपा से पार्षद के लिए प्रत्याशी बने लेकिन हार गए.

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भाजपा ने प्रत्याशी क्यों बनायाःभारतीय जनता पार्टी ने चंद्रभानु की कार्यशाली को देखते जिला कार्यसमिति का सदस्य बना दिया. 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा के समर्थन खुलकर प्रचार प्रसार किया लेकिन समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल कर ली. इस कारण उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं रही. इनके कार्यों की प्रशंसा को देखते हुए भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव 2024 में अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख बना दिया. इसमें उन्होंने जमकर भागीदारी ली इसके बावजूद चुनाव को नहीं जीत सके. हालांकि प्रत्याशी रहे लल्लू सिंह के काफी करीबी होने के नाते मिल्कीपुर के उपचुनाव में संगठनात्मक सर्वे के बाद प्रत्याशी के लिए चंद्रभानु पासवान खुलकर सामने आए. जिसके कारण मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा दांव लगाया.

वकील से बने विधायकः चंद्रभानु पासवान बी कॉम, एम कॉम और एलएलबी किया है. पेशे से अधिवक्ता के साथ कपड़ों के कारोबार में बड़ी रुचि रखते हैं. रुदौली मेनका एक कपड़े का बड़ा शोरूम है. जहां पर अहमदाबाद और सूरत कपड़े को मंगाने का कार्य करते हैं. अपनी लोकप्रियता के कारण एक बार जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं. पहली बार उन्हें इतने बड़े स्तर पर चुनाव में शामिल होने का मौका मिला है.

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