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चाय बागान के गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए छोड़ी पुलिस सब-इंस्पेक्टर की नौकरी, बन गए शिक्षक - Policeman quits job for teacher

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2024, 10:46 PM IST

Policeman quits job for teacher: जयब्रत 1999 में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त किए गए. हालांकि वे बचपन से ही शिक्षक बनना चाहते थे. नतीजतन, पुलिस की नौकरी के साथ-साथ वे शिक्षक बनने का सपना भी संजोना नहीं भूले.

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जयब्रत भट्टाचार्य (Etv Bharat)

अलीपुरद्वार: पश्चिम बंगाल के चाय बागानों के इलाकों में शिक्षा की भारी कमी है. यहां स्कूल छोड़ने वालों की संख्या भी चिंताजनक रूप से बहुत अधिक है. नतीजतन, प्राथमिक शिक्षा के अभाव में पीढ़ी दर पीढ़ी हाशिए पर पहुंच जाती है. इस इलाके का आर्थिक, भौगोलिक और सामाजिक महत्व चाय उद्योग पर टिका हुआ है. नतीजतन, जब चाय बागान बंद हो जाते हैं, तो पढ़ाई भी रुक जाती है. यहीं से जयब्रत भट्टाचार्य ने अंधेरे में रोशनी लाने का काम शुरू किया.

भट्टाचार्य के करियर की शुरुआत पुलिस की नौकरी से हुई, जहां उन्होंने तीन साल तक सब-इंस्पेक्टर के तौर पर काम किया. हालांकि, उन्होंने चाय बागान के लोगों में शिक्षा के प्रति उदासीन रवैये को देखते हुए उन्होंने यहां शिक्षा की रोशनी लाने की ठानी. इसलिए उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर बच्चों को पढ़ाने के लिए निकल पड़े.

तब से लगभग दो दशक बीत चुके हैं. वे 22 साल से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें इस साल शिक्षा पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है.

दरअसल, जयब्रत 1999 में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त किए गए. हालांकि वे बचपन से ही शिक्षक बनना चाहते थे. नतीजतन, पुलिस की नौकरी के साथ-साथ वे शिक्षक बनने का सपना भी संजोना नहीं भूले. अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने 2002 में सरकारी परीक्षा दी और उसमें उत्तीर्ण हुए. यहीं से जयब्रत के शिक्षण जीवन की शुरुआत हुई.

अलीपुरद्वार जिले के मदारीहाट प्रखंड के बीरपारा इलाके में कई चाय बागान हैं. वे उन सुदूर इलाकों में शिक्षा की रोशनी फैलाने के लिए दृढ़संकल्पित हैं. इलाके में जब कोई चाय बागान बंद हो जाता है, तो वहां पढ़ाई बंद हो जाती है. इस स्थिति से निपटने के लिए यह शिक्षक छात्रों को स्कूल ला रहे हैं. जयब्रत भट्टाचार्य ने कहा, "मैंने शिक्षण को पेशे के रूप में इसलिए चुना क्योंकि मैं मनुष्य और समाज का निर्माण करना चाहता हूं... अपने छात्रों को आगे बढ़ते देखकर मुझे गर्व होता है... मेरा सम्मान सभी के लिए है."

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