जमशेदपुरः आप एक अलग सोच के साथ समाज को नई दिशा और दशा दे सकते हैं. नजरिया अलग हो तो इंसान गोबर में भी अपने आराध्य को ढूंढ लेता है. ये कहानी ऐसी ही एक अलग और नयी सोच की है. जिनके विचार ने लोगों को नयी दिशा दिखाई, सकारात्मक और कलात्मक तरीके से चीजों को देखने का नजरिया दिया.
स्टील सिटी ग्रीन सिटी और क्लीन सिटी के नाम से पहचान बनाने वाले शहर में कई ऐसे व्यक्तित्व हैं. जिन्होंने अलग अलग क्षेत्र में कुछ अलग कर राज्य और देश में शहर का मान बढ़ाया है. कुछ ऐसा ही काम शहर के एक शख्स ने किया है, स्वच्छ भारत अभियान में एक मुहीम चलाकर कुछ अनोखा काम किया है, शहर के लोग उन्हें ब्लेड मैन के नाम से जानते हैं.
जमशेदपुर शहर के गोलमुरी क्षेत्र में रहने वाले टीनप्लेट टाटा स्टील के कर्मचारी अखिलेश चौधरी, जिन्होंने इलाके के सैलून में इस्तेमाल किया हुआ रेजर ब्लेड को जमा कर उसे रीसायकल कर प्रतिमा बनाते हैं. हाल में ही उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी, साथ ही नाई समाज को एक नया संदेश दिया है. इसके अलावा अखिलेश चौधरी ने रीसाइकिल्ड रेजर ब्लेड के स्टील से कई चीजों का निर्माण किया है. उनके इस अभियान से नाई समाज के साथ युवा पीढ़ी भी प्रेरित हो रहे हैं.
रेजर ब्लेड जमा करने की सोच कैसे आईः अखिलेश चौधरी उन यादों को दोहराते हुए कहते हैं कि बात 2014 की है, जब वो एक सैलून के बाहर खड़े थे तभी उन्होंने देखा कुछ दुरी पर एक गाय कुछ खा रही है और उसके मुंह से खून निकल रहा था. उन्होंने वहां जाकर गाय के मुंह से खाने की चीज निकालने की कोशिश की तो पाया कि गाय के मुंह में ब्लेड का टुकड़ा था और गाय उसे चबा रही थी, जिससे खून निकल रहा था.
इस घटना से अखिलेश चौधरी आहत हुए और संकल्प लिया कि सैलून में इस्तेमाल रेजर ब्लेड को वो जमा करेंगे, जिससे फेंके गये ब्लेड से ना किसी पशु या मानव को नुकसान ना पहुंचे. इसके बाद उन्होंने तत्काल अपनी सोच को अमलीजामा पहनाते हुए इलाके के सैलून वालों को एक-एक डस्टबीन देकर उन्हें इस्तेमाल किया हुआ रेजर ब्लेड रखने को कहा. सैलून में इससे संबंधित जानकारी और अपना मोबाइल नंबर कागज पर लिख कर चस्पा किया.
अखिलेश चौधरी बताते हैं कि उनके मन में विचार आया कि सैलून के रेजर ब्लेड से कुछ ऐसा किया जाए, जिससे नाई समाज को प्रेरणा मिल सके. उन्होंने इस अभियान में शहर के बड़े बड़े फ्लैट में स्टीकर भी लगाया और लोगों को इस्तेमाल किया हुआ ब्लेड जमा करने की अपील की. उनकी ये मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे 10 साल में छह क्विंटल से अधिक ब्लेड जमा हुआ, जिनकी संख्या 17लाख से ज़्यादा थी.
रेजर ब्लेड जमा होने के बाद अखिलेश चौधरी सरायकेला जिला के गम्हरिया मे रहने वाले अपने एक मित्र से संपर्क किया. अखिलेश बताते हैं कि मैंने अपने मित्र से रेजर ब्लेड रीसायकल करने की बात कही, पहले तो मित्र ने मना कर दिया लेकिन उनके अभियान से प्रेरित होकर ब्लेड को उन्होंने अपने प्लांट में पिघलाया. जिसमें एक क्विंटल ब्लेड से करीब 80 किलो का स्टील निकला. जिसे उन्होंने स्व. कर्पूरी ठाकुर की आकृति की लकड़ी का सांचा बनाकर पिघला स्टील डालकर उनकी प्रतिमा बनाई. इसके अलावा उन्होंने हनुमान जी का गदा बनाया जिसकी वजन 98 किलो और व्यायाम के 10-10 किलो का डंबल, लोहे का डस्टबीन बनाया है. इस पूरे मिशन मे उन्होंने किसी से कोई राशि मदद में नहीं ली.