पटना : बिहार में लोकसभा की 40 सीट पर हलचल बढ़ने लगी है.सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है. उसे साधने की कोशिशें सभी पार्टियां लगातार कर रही हैं. सीमांचल अब AIMIM का बिहार में गढ़ बन चुका है. 2020 में एआईएमआईएम को 5 सीटों पर विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी. उससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में भी किशनगंज में AIMIM ने कड़ी टक्कर दी थी. सीमांचल में लोकसभा की चार सीट है और विधानसभा की 24 सीट. आरजेडी माय समीकरण के सहारे सीमांचल में लंबे समय तक अपना दबदबा बनाए रही, लेकिन अब ओवैसी की एंट्री से मुश्किलें बढ़ रहीं हैं.
तीन दिन की बिहार यात्रा पर ओवैसीः असदुद्दीन ओवैसी आज से तीन दिन बिहार के सीमांचल में रहेंगे. वो 2023 में भी सीमांचल में यात्रा कर चुके हैं. अब इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी ओवैसी सीमांचल पहुंच रहे हैं, जहां वो अपने पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे. असदुद्दीन ओवैसी आज किशनगंज में ठाकुरगंज के पौआखाली मेला ग्राउंड में दोपहर 2 बजे एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे. उसके बाद कल 17 फरवरी को वो पूर्णिया में भी जनसभा करेंगे.
सीमांचल की राह नहीं है आसान: सीमांचल की चार लोकसभा सीटों में से केवल एक ही महागठबंधन के पास है. तीन एनडीए के पास है और इस बार भी एनडीए की चारों सीटों पर नजर है. लेकिन कांग्रेस, राजद और ओवैसी भी अपनी पूरी ताकत सीमांचल में लगा रहे हैं. राहुल गांधी की यात्रा के बाद अब ओवैसी की यात्रा से मुस्लिम बहुल सीमांचल चर्चा में है. चर्चा यह हो रही है कि ओवैसी सीमांचल में किसका खेल बिगाड़ेंगे? केवल बिहार ही नहीं पश्चिम बंगाल और असम में भी सीमांचल से ओवैसी अपना मैसेज देंगे.
सीमांचल ओवैसी की प्रयोगशाला?: बिहार में 13 करोड़ से अधिक आबादी में 17.7% के करीब मुस्लिम है. इसमें से भी बड़ा हिस्सा सीमांचल इलाके में रह रही है. बिहार के सीमांचल का इलाका असम और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ लगा हुआ है. यहां पर 40 से 70 फीसदी तक मुस्लिम आबादी है. ओवैसी ने बिहार में इसी सीमांचल के इलाके को अपनी सियासी प्रयोगशाला बनाया है. 2015 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने बिहार में सीमांचल के माध्यम से एंट्री की थी. 2015 के चुनाव में सफलता नहीं मिली, उसके बाद मशक्कत कर सीमांचल में अच्छा खासा जनाधार बनाया है, जिसका नतीजा 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान किशनगंज सीट पर दिखा था. यहां ओवैसी की पार्टी की ओर से अख्तरुल इमान को करीब 3 लाख मत मिले थे, जो 26.78 प्रतिशत था.
ओवैसी की पार्टी बनी चैलैंज : 2019 में किशनगंज सीट पर AIMIM नहीं जीत सकी, लेकिन ओवैसी के लिए एक उम्मीद जरूर जगा दी थी. 2019 में किशनगंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में AIMIM की प्रत्याशी कमरुल होदा की शानदार जीत के साथ बिहार में खाता खोलने में कामयाब रही थी. इसके बाद 2020 में ओवैसी की पार्टी के पांच विधायक सीमांचल के इलाके से जीत दर्ज किए थे, अब असदुद्दीन ओवैसी 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सीमांचल पर फोकस करा है.
गढ़ जीतने की जुगत: बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 4 लोकसभा सीटें और 24 विधानसभा सीटें आती हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए के साथ रहते हुए जेडीयू को दो सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने एक सीट पर कब्जा जमाया था. जबकि एक सीट कांग्रेस को मिली थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 विधानसभा सीटों में से बीजेपी आठ, कांग्रेस पांच और जेडीयू चार सीटें जीती थीं. आरजेडी और भाकपा माले ने एक-एक सीट जीती थी. एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीती थीं, जिनमें से चार पिछले साल आरजेडी में शामिल हो गए हैं. ऐसे में आरजेडी के पांच और ओवैसी की पार्टी के एक विधायक सीमांचल में अभी है.