बिहार

bihar

ETV Bharat / bharat

AIMIM उन सीटों पर उम्मीदवार उतार रहा, जहां लाख-दो लाख हैं मुस्लिम वोटर...जानिए किसका गेम बिगाड़ेंगे ओवैसी - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. इससे उत्साहित होकर इस बार ओवैसी ने बिहार में 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ये वो लोकसभा सीट है जहां लाख-दो लाख मुस्लिम वोटर हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि ओवैसी किन-किन सीटों पर किसका-किसका खेल खराब कर सकते हैं. पढ़ें, विस्तार से.

ओवैसी
ओवैसी

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 1, 2024, 5:55 AM IST

पटना: बिहार देश में राजनीति की प्रयोगस्थली रही है. इसी प्रयोग की वजह से देश की दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां भी बिहार में आकर प्रयोग करती रहती है. हैदराबाद से बिहार पहुंचे एआईएमआईएम के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी का प्रयोग सफल भी हो रहा है. ओवैसी की पार्टी पहले तो एक सीट पर विधानसभा का उपचुनाव जीती थी. उसके बाद पिछले बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 5 सीटों पर जीत हासिल की.

16 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणाः इस बार ओवैसी एक दो या पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं बल्कि बिहार में 16 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं. ये वो लोकसभा सीट है जहां लाख-दो लाख मुस्लिम वोटर हैं. ओवैसी की पार्टी वैसे तो प्रो मुसलमान की पार्टी कही जाती है लेकिन, असदुद्दीन ओवैसी बिहार में अपनी छवि बदलने वाले हैं. यहां मुसलमान के अलावा गैर मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में उतारेंगे.

ओवैसी की पार्टी से लड़ने वाले सीटों का समीकरणः

दरभंगा- दरभंगा लोकसभा सीट ओवैसी के लिए खास है. यहां सबसे अधिक मुस्लिम वोट है. उसके बाद दूसरी जातियां आती हैं. यहां साढ़े तीन लाख मुस्लिम वोटर हैं. जबकि यादव लाख और ब्राह्मण तीन-तीन लाख हैं. ऐसे में यादव और ब्राह्मण जिस तरफ जाएंगे उसका पलड़ा तो भारी रहेगा लेकिन, यदि यह दोनों बंट जाएंगे और मुसलमान ने एक मुश्त वोट दे दिया तो उस पार्टी का फायदा हो जाएगा. लालू यादव ने यादव उम्मीदवार उतारा है तो वहीं भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में ओवैसी यदि मुसलमान उम्मीदवार देते हैं तो बहुत फायदा नहीं होगा. क्योंकि इसके अलावे और भी जातियां हैं जो लालू यादव की पार्टी और भाजपा को वोट देगी और वही निर्णायक हो जाएगी.

पाटलिपुत्र- पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से भी ओवैसी की पार्टी अपने उम्मीदवार को उतारने की तैयारी कर रही है. इस लोकसभा सीट पर मुसलमान का वोट 8.022 प्रतिशत है. जबकि यादव 24.37 प्रतिशत है. ऐसे में यदि मुसलमान एकमुश्त ओवैसी को वोट दे भी देते हैं तो बहुत बड़ा फायदा नहीं हो पाएगा. जबकि लालू यादव और बीजेपी ने यादव उम्मीदवार दिए हैं. बीजेपी की तरफ से रामकृपाल यादव चुनाव लड़ रहे हैं तो, वहीं राजद की तरफ से लालू यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में यहां भूमिहार और कुर्मी डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. भूमिहार लगभग सारे 10 फ़ीसदी है तो वहीं कुर्मी का लगभग 7 फ़ीसदी वोट है.

किशनगंज- एआईएमआईएम के लिए किशनगंज दिलचस्प सीट होने वाली है. यहां 70 फ़ीसदी मुसलमान वोटर हैं. तो वहीं 30 फीसदी हिंदू वोटर हैं. ऐसे में डिसाइडिंग फैक्टर मुस्लिम वोटर ही हैं. लेकिन, जो बिहार की दूसरी पार्टियों है वह किशनगंज में मुसलमान उम्मीदवार ही उतरती हैं. ऐसे में मुसलमान का वोट बंट जाता है और 30 फ़ीसदी हिंदू वाटर डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. फिर ओवैसी के लिए यह सीट महत्वपूर्ण भी है और चुनौती भरा भी साबित होने वाला है.

मधुबनी-मधुबनी में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. वजह साफ है भाजपा अपने पुराने उम्मीदवार को उतार रही है तो, वहीं राजद की तरफ से निर्णय नहीं हुआ है. उम्मीद जतायी जा रही है कि किसी मुसलमान उम्मीदवार को यहां से उतारा जाएगा. सबकी निगाह यहां की 19 फ़ीसदी मुसलमान वोटरों पर है. जबकि इस इलाके में 35 फ़ीसदी ब्राह्मण वोट है. निषाद वोट 10 फीसदी है. लेकिन, पिछले कई बार से भाजपा अपने यादव उम्मीदवार को यहां से उतारती रही है और वह वहां जीत हासिल करते रहे हैं. ऐसे में यह सीट ओवैसी की पार्टी के लिए चुनौती भरा तो रहेगा ही यहां का चुनाव काफी दिलचस्प हो जाएगा.

कटिहार- कटिहार लोकसभा सीट पर मुसलमान वोटरों का दबदबा रहा है. लगभग 54 फ़ीसदी मुसलमान वोटर हैं. इसके बावजूद यहां से हिंदू उम्मीदवार जीतते रहे हैं. जेडीयू ने पिछली बार दुलालचंद गोस्वामी को यहां से टिकट दिया था और उसने जीत हासिल की थी. इस बार भी दुलाल चंद्र गोस्वामी पर जेडीयू ने अपना दांव खेला है. ऐसे में ओवैसी की पार्टी यहां भी किसी मुसलमान उम्मीदवार को उतारेगी. लेकिन, जो ट्रैक रिकॉर्ड है उसके मुताबिक बाकी 46% वोटर डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. और वह वोटर हिंदू होते हैं जो हिंदू प्रत्याशी को जीत दिला देते है.

मुजफ्फरपुर-असदुद्दीन ओवैसी अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बदलने की कोशिश मुजफ्फरपुर में कर सकते हैं. यहां हिंदू उम्मीदवार दे सकते हैं. क्योंकि यहां 3.50 लाख सवर्ण और मतदाता है. 2 लाख के करीब यादव मतदाता है. मुसलमान दो लाख हैं. वैश्य भी ढाई लाख के करीब हैं. ऐसे में दूसरी पार्टियों यदि हिंदू उम्मीदवार उतरती है तो ओवैसी मुसलमान के चेहरा होने के साथ-साथ किसी मजबूत हिंदू उम्मीदवार को अपना टिकट देते हैं तो यहां का मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा.

गोपालगंज - गोपालगंज सीट भले आरक्षित सीट हो लेकिन, यहां मुस्लिम, यादव, राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार का दबदबा रहा है. ओवैसी यहां किसी दलित महादलित उम्मीदवार को टिकट दे सकते हैं. यदि, वह यहां हिंदू उम्मीदवार देते हैं तो मुस्लिम उनके लिए डिसाइडिंग फैक्टर हो जाएगा और यह सीट दिलचस्प हो जाएगा.

शिवहर - शिवहर में यदि दूसरी पार्टियां हिंदू उम्मीदवार देती हैं और ओवैसी की पार्टी हिन्दू उम्मीदवार उतारती है तो यहां मुसलमान का वोट बैंक 18 फ़ीसदी है. तो वहीं वैश्य 25 फीसदी वोट रखते हैं. अनुसूचित जाति जनजाति के 20 फीसदी वोट है और पिछड़ी जातियों के 20 फीसदी वोट हैं. तो ऐसे में यहां चुनाव दिलचस्प हो जाएगा. एनडीए और महागठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.

पूर्णिया- पूर्णिया लोकसभा सीट पर काफी दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं वहां से राजद की तरफ से बीमा भारती चुनाव लड़ रही हैं. जेडीयू की तरफ से संतोष कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में ओवैसी यदि यहां से मुसलमान उम्मीदवार देती हैं तो वह डिसाइडिंग फैक्टर होगा. क्योंकि यहां 40 फीसदी मुस्लिम वोट है और 60 फ़ीसदी हिंदू वोट है. हिंदू वोट आपस में बंट जाते हैं और मुसलमानों का एकमुश्त वोट ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार को मिल सकता है.

अररिया-भले अररिया से हिंदू उम्मीदवार जीतते रहे हों लेकिन, यहां डिसाइडिंग फैक्टर मुसलमान वोटर हैं. 32 फ़ीसदी मुस्लिम वोट बैंक है. जिस पर ओवैसी की निगाह है. यदि सभी पार्टियों वहां से हिंदू उम्मीदवार उतारती है और ओवैसी सिर्फ मुसलमान उम्मीदवार उतारने हैं तो इनका पलड़ा भारी रहेगा. यह एनडीए और महागठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं.

सीतामढ़ी -सीतामढ़ी सीट पर महागठबंधन से कौन चुनाव लड़ेगा अभी तक तय नहीं हो पाया है. लेकिन, जेडीयू की तरफ से बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर चुनाव लड़ रहे हैं. जदयू को ऊंची जाति, वैश्य, ईबीसी के वोट पर भरोसा है. वहीं महागठबंधन माय समीकरण पर भरोसा करेंगी. ऐसे में ओवैसी की पार्टी यदि मुसलमान उम्मीदवार को यहां से टिकट देती है तो, वह मुकाबला त्रिकोणीय कर सकते हैं.

कराकाट- कराकाट सीट पर ओवैसी की पार्टी हिंदू उम्मीदवार उतार सकती है. क्योंकि यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है. यादव, कुशवाहा, राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, दलित, महादलित, कुर्मी वैसे यहां डिसाइडिंग फैक्टर हैं. कुशवाहा और राजपूत यहां दो-दो लाख है ब्राह्मण 75000 हैं और भूमिहार की संख्या 50 हजार है हालांकि, मुसलमान की संख्या यहां डेढ़ लाख है. लेकिन, जो डिसाइडिंग फैक्टर हैं वह हिंदू हैं. यहां ओवैसी यदि अपनी उम्मीदवार उतारने हैं तो एमवाय समीकरण को नुकसान होगा.

महाराजगंज- महाराजगंज लोकसभा सीट पर राजपूत और यादव का दबदबा रहा है लेकिन, यहां सबसे ज्यादा बार राजपूत उम्मीदवार ही जीते हैं. हालांकि मुस्लिम अति पिछड़ा और दलित वोट यहां गेम को बदल सकते हैं. ऐसे में ओवैसी को यहां हिंदू उम्मीदवार देने चाहिए. ऐसे में यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. भाजपा अपने पुराने उम्मीदवार जनार्दन सिंह अग्रवाल को उतारी है तो वही महागठबंधन की तरफ से अभी तक डिसीजन नहीं हो पाया है.

समस्तीपुर- समस्तीपुर आरक्षित सीट है. यहां से आरक्षित उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. एनडीए के तरफ से लोजपा आर ने शांभवी चौधरी को टिकट दिया गया है तो, वहीं महागठबंधन से कुछ तय नहीं हुआ है. यहां कुशवाहा और यादव जाति का दबदबा है. अगड़ी जाति अनुसूचित जाति भी कम संख्या में नहीं है. मुस्लिम भी डिसाइडिंग फैक्टर है. ऐसे में ओवैसी यहां हिंदू उम्मीदवार उतार सकते हैं. जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.

पश्चिम चंपारण -पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट पर भले हिंदू उम्मीदवार जीत रहे हो लेकिन, लगभग 4 लाख की संख्या में यहां मुसलमान वोटर हैं. यदि दूसरी पार्टियों यहां से हिंदू उम्मीदवार उतारती है और ओवैसी यहां से मुसलमान उम्मीदवार उतारते हैं तो, मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. भाजपा ने यहां से अपने पुराने उम्मीदवार संजय जायसवाल को मैदान में उतारा है.

वाल्मीकि नगर- वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर ज्यादातर राजनीतिक दल ब्राह्मण और कुशवाहा उम्मीदवार ही उतारते हैं. अभी जदयू के सुनील कुमार कुशवाहा यहां से सांसद हैं. एक बार फिर से उन्हें टिकट दिया गया है. महागठबंधन से कांग्रेस की तरफ से किसी ब्राह्मण को टिकट दिए जाने की चर्चा है. यहां के डिसाइडिंग वोटर मुस्लिम, यादव, थारू, कुशवाहा हैं. यदि ओवैसी यहां से किसी मुसलमान उम्मीदवार को उतरते हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में मोदी को पटखनी देने की 'लालू' की 'चाणक्य नीति', एक क्लिक में जानिए क्या है पूरा गेम प्लान - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः AIMIM बिहार में 11 सीटों पर लड़ेगी चुनाव, पढ़ें विस्तार से आखिर महागठबंधन की क्यों उड़ी नींद!

इसे भी पढ़ेंः अल्पसंख्यकों के रहनुमा बनने की राह पर ओवैसी! जानें उनका मिशन सीमांचल

इसे भी पढ़ेंः एआईएमआईएम का लक्ष्य मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकना है: असदुद्दीन ओवैसी

ABOUT THE AUTHOR

...view details