पटना: बिहार देश में राजनीति की प्रयोगस्थली रही है. इसी प्रयोग की वजह से देश की दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां भी बिहार में आकर प्रयोग करती रहती है. हैदराबाद से बिहार पहुंचे एआईएमआईएम के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी का प्रयोग सफल भी हो रहा है. ओवैसी की पार्टी पहले तो एक सीट पर विधानसभा का उपचुनाव जीती थी. उसके बाद पिछले बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 5 सीटों पर जीत हासिल की.
16 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणाः इस बार ओवैसी एक दो या पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं बल्कि बिहार में 16 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं. ये वो लोकसभा सीट है जहां लाख-दो लाख मुस्लिम वोटर हैं. ओवैसी की पार्टी वैसे तो प्रो मुसलमान की पार्टी कही जाती है लेकिन, असदुद्दीन ओवैसी बिहार में अपनी छवि बदलने वाले हैं. यहां मुसलमान के अलावा गैर मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में उतारेंगे.
ओवैसी की पार्टी से लड़ने वाले सीटों का समीकरणः
दरभंगा- दरभंगा लोकसभा सीट ओवैसी के लिए खास है. यहां सबसे अधिक मुस्लिम वोट है. उसके बाद दूसरी जातियां आती हैं. यहां साढ़े तीन लाख मुस्लिम वोटर हैं. जबकि यादव लाख और ब्राह्मण तीन-तीन लाख हैं. ऐसे में यादव और ब्राह्मण जिस तरफ जाएंगे उसका पलड़ा तो भारी रहेगा लेकिन, यदि यह दोनों बंट जाएंगे और मुसलमान ने एक मुश्त वोट दे दिया तो उस पार्टी का फायदा हो जाएगा. लालू यादव ने यादव उम्मीदवार उतारा है तो वहीं भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में ओवैसी यदि मुसलमान उम्मीदवार देते हैं तो बहुत फायदा नहीं होगा. क्योंकि इसके अलावे और भी जातियां हैं जो लालू यादव की पार्टी और भाजपा को वोट देगी और वही निर्णायक हो जाएगी.
पाटलिपुत्र- पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से भी ओवैसी की पार्टी अपने उम्मीदवार को उतारने की तैयारी कर रही है. इस लोकसभा सीट पर मुसलमान का वोट 8.022 प्रतिशत है. जबकि यादव 24.37 प्रतिशत है. ऐसे में यदि मुसलमान एकमुश्त ओवैसी को वोट दे भी देते हैं तो बहुत बड़ा फायदा नहीं हो पाएगा. जबकि लालू यादव और बीजेपी ने यादव उम्मीदवार दिए हैं. बीजेपी की तरफ से रामकृपाल यादव चुनाव लड़ रहे हैं तो, वहीं राजद की तरफ से लालू यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में यहां भूमिहार और कुर्मी डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. भूमिहार लगभग सारे 10 फ़ीसदी है तो वहीं कुर्मी का लगभग 7 फ़ीसदी वोट है.
किशनगंज- एआईएमआईएम के लिए किशनगंज दिलचस्प सीट होने वाली है. यहां 70 फ़ीसदी मुसलमान वोटर हैं. तो वहीं 30 फीसदी हिंदू वोटर हैं. ऐसे में डिसाइडिंग फैक्टर मुस्लिम वोटर ही हैं. लेकिन, जो बिहार की दूसरी पार्टियों है वह किशनगंज में मुसलमान उम्मीदवार ही उतरती हैं. ऐसे में मुसलमान का वोट बंट जाता है और 30 फ़ीसदी हिंदू वाटर डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. फिर ओवैसी के लिए यह सीट महत्वपूर्ण भी है और चुनौती भरा भी साबित होने वाला है.
मधुबनी-मधुबनी में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. वजह साफ है भाजपा अपने पुराने उम्मीदवार को उतार रही है तो, वहीं राजद की तरफ से निर्णय नहीं हुआ है. उम्मीद जतायी जा रही है कि किसी मुसलमान उम्मीदवार को यहां से उतारा जाएगा. सबकी निगाह यहां की 19 फ़ीसदी मुसलमान वोटरों पर है. जबकि इस इलाके में 35 फ़ीसदी ब्राह्मण वोट है. निषाद वोट 10 फीसदी है. लेकिन, पिछले कई बार से भाजपा अपने यादव उम्मीदवार को यहां से उतारती रही है और वह वहां जीत हासिल करते रहे हैं. ऐसे में यह सीट ओवैसी की पार्टी के लिए चुनौती भरा तो रहेगा ही यहां का चुनाव काफी दिलचस्प हो जाएगा.
कटिहार- कटिहार लोकसभा सीट पर मुसलमान वोटरों का दबदबा रहा है. लगभग 54 फ़ीसदी मुसलमान वोटर हैं. इसके बावजूद यहां से हिंदू उम्मीदवार जीतते रहे हैं. जेडीयू ने पिछली बार दुलालचंद गोस्वामी को यहां से टिकट दिया था और उसने जीत हासिल की थी. इस बार भी दुलाल चंद्र गोस्वामी पर जेडीयू ने अपना दांव खेला है. ऐसे में ओवैसी की पार्टी यहां भी किसी मुसलमान उम्मीदवार को उतारेगी. लेकिन, जो ट्रैक रिकॉर्ड है उसके मुताबिक बाकी 46% वोटर डिसाइडिंग फैक्टर हो जाते हैं. और वह वोटर हिंदू होते हैं जो हिंदू प्रत्याशी को जीत दिला देते है.
मुजफ्फरपुर-असदुद्दीन ओवैसी अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बदलने की कोशिश मुजफ्फरपुर में कर सकते हैं. यहां हिंदू उम्मीदवार दे सकते हैं. क्योंकि यहां 3.50 लाख सवर्ण और मतदाता है. 2 लाख के करीब यादव मतदाता है. मुसलमान दो लाख हैं. वैश्य भी ढाई लाख के करीब हैं. ऐसे में दूसरी पार्टियों यदि हिंदू उम्मीदवार उतरती है तो ओवैसी मुसलमान के चेहरा होने के साथ-साथ किसी मजबूत हिंदू उम्मीदवार को अपना टिकट देते हैं तो यहां का मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा.
गोपालगंज - गोपालगंज सीट भले आरक्षित सीट हो लेकिन, यहां मुस्लिम, यादव, राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार का दबदबा रहा है. ओवैसी यहां किसी दलित महादलित उम्मीदवार को टिकट दे सकते हैं. यदि, वह यहां हिंदू उम्मीदवार देते हैं तो मुस्लिम उनके लिए डिसाइडिंग फैक्टर हो जाएगा और यह सीट दिलचस्प हो जाएगा.
शिवहर - शिवहर में यदि दूसरी पार्टियां हिंदू उम्मीदवार देती हैं और ओवैसी की पार्टी हिन्दू उम्मीदवार उतारती है तो यहां मुसलमान का वोट बैंक 18 फ़ीसदी है. तो वहीं वैश्य 25 फीसदी वोट रखते हैं. अनुसूचित जाति जनजाति के 20 फीसदी वोट है और पिछड़ी जातियों के 20 फीसदी वोट हैं. तो ऐसे में यहां चुनाव दिलचस्प हो जाएगा. एनडीए और महागठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.