13 साल बाद जमुई के इस इलाके में लौटी रौनक (ETV Bharat) जमुई: विदेशी पक्षियों को कलरव करते देखना है तो आइऐ जमुई के नागी पक्षी आश्रयणी. यहां हर साल देश विदेश के पक्षी प्रेमी दुर्लभ पक्षियों के दीदार के लिऐ आते हैं. इस बार 13 साल बाद जमुई वापस लौटा विदेशी मेहमान काफी खास है. इसका नाम इंडियन स्किमर बर्ड है. जिसके बड़े और ला चोंच, सफेद गर्दन और काले पंख काफी आकर्षक लगते हैं. नदियों में प्रदूषण के चलते ये पक्षी भारत छोड़कर चीन और दूसरे विदेशी स्थानों पर चले गए थे. लेकिन अब इनकी वापसी ने पर्यटकों के चेहरे पर रौनक ला दी है.
इंडियन स्किमर पक्षी (Nagi Bird Sanctuary) इंडियन स्किमर बर्ड एक दुर्लभ प्रजाति : बिहार के विभिन्न जिलों में से केवल जमुई के नागी नकटी डैम के पास ही यह दुर्लभ प्रजाति का 'इंडियन स्किमर पक्षी' दिखाई दे रहा है जो नदियों, झील, डैम के आसपास बढ़ते प्रदूषण के कारण 'चीन' चला गया था. 13 साल बाद अब एक जोड़ा वापस लौट आया है. जानकारी के अनुसार पूरे विश्व में 5,000 की संख्या में ही इस प्रजाति के पक्षी बचे हैं.
पानी की सतह पर उड़ते इंडियन स्किमर पक्षी (Nagi Bird Sanctuary) 13 साल बाद लौटा भारत : जमुई जिले के झाझा स्थित नागी-नकटी डैम में एक झलक इंडियन स्किमर बर्ड की दिखी जो चीन से लौट आई है. 13 साल बाद यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है, लेकिन एक बार जमुई में देखा जाना लोगों को रोमांचित कर रहा है. एक झलक पाने के लिऐ लोग नागी नकटी डैम के पास पहुंच रहे हैं. इस पक्षी को इंटरनेशनल युनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के रिपोर्ट में इसे दुर्लभ प्रजाति का दर्जा दिया गया है.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat) क्या कहते हैं वन अधिकारी : जिला वन पदाधिकारी ने बताया इस पक्षी जोड़े के रूप में रहता है. ताजे पानी के जल स्रोत के आसपास इसका वास होता है. यह आमतौर पर मछली और छोटे-छोटे कीट पतंग को खाना पसंद करता है. इसका सिर काले रंग का और चोंच पीले रंग की होती है. यह पक्षी भोजन की तलाश में उड़ते हुऐ दूर तक चले जाते हैं. नागी-नकटी डैम में इस पक्षी के देखे जाने के बाद इसके संरक्षण के लिऐ वन विभाग के अधिकारी और कर्मियों की टीम बनाई गई है, जो इन पक्षियों के क्रियाकलापों पर नजर रखे हुऐ हैं.
13 वर्ष बाद विदेशी मेहमान पहुंचा भारत (Nagi Bird Sanctuary) ''इंडियन स्किमर पूर्व में भारत में काफी तायदाद में पाई जाती थी, लेकिन जल प्रदूषण के कारण यह पक्षी भारत से प्रवासित होकर चीन में वास करने लगी थी. यह बड़े-बड़े नदियों के पास अंड़ा देने का काम करती थी और वह अंड़ा पानी के प्रदूषण के कारण समुचित रूप से विकसित नहीं हो पाता था. अंड़े का समुचित तरीके से विकसित न हो पाना ही इन पक्षियों के प्रवास का मुख्य कारण था.''-अनीश कुमार, फॉरेस्टर
जमुई का नागी नकटी डैम बना बसेरा : जमुई के नागी-नकटी डैम के पास की जलवायु इन पक्षियों के प्रवास के लिए उपयुक्त है. आमतौर पर इस स्थान पर अक्टूबर माह के अंत से लेकर दिसंबर माह के अंत तक प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. इंडियन स्किमर के संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है. इसे वन्य प्राणी अधिनियम के अंतर्गत दुर्लभ प्रजाति का दर्जा दिया गया है. शिकार होने के कारण ये प्रजाति विलुप्त होने लगी थी. इसकी झलक मिलते ही संरक्षण के लिऐ जोर शोर से प्रयास शुरू कर दिऐ गए हैं.
नागी पक्षी आश्रयणी (ETV Bharat) सुकून देने वाली छवि: नागी पक्षी आश्रयणी की व्यवस्था देख रहे फोरेस्टर अनीश कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुऐ बताया कि "नबंवर माह से यहां सैलानी आने शुरू हो जाते हैं. जर्मनी, श्रीलंका सहित अन्य देशों के भी सैलानी पक्षी प्रेमी यहां एक साथ कई देशों के पक्षी को देखने के लिऐ आते हैं. उनकी सुविधाओं के लिऐ यहां कई प्रकार के यंत्र भी हैं. जिससे पक्षियों के एकदम पास गए बिना उनको डिस्टर्ब किऐ बिना पक्षियों के क्रिया कलाप को साफ-साफ देखा जा सकता है. डैम में नौका विहार के माध्यम से भी पक्षियों का दीदार कराया जाता है.''
पक्षियों के संरक्षण पर जोर: आगे बताया कि अक्टूबर महीना के अंतिम में विदेशी पक्षी आना शुरू हो जाता है. 15 नबंवर तक लगभग सभी पक्षी आ जाते हैं. चीन, साइबेरिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान आदि कई दूर देशों से पक्षी यहां पहुंचते हैं. काफी सालों बाद इंडियन स्किमर जो दुर्लभ प्रजाति का पक्षी है, उसका दर्शन हो पाया. ये हमलोगों के लिऐ भी सुखद अनुभव है. हमारी टीम लगातार विभिन्न पक्षियों की खोज उसकी पहचान और उसके संरक्षण को लेकर कार्य करती रहती है.
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