हनुमाकोंडा: तेलंगाना के हनुमाकोंडा जिले के एक छोटे से गांव, कुम्मारिगुडेम को राज्य के एक आदर्श गांव में बदल दिया गया है. इस गांव के हर घर में एक गाय आपको देखने को जरूर मिल जाएंगी. वैसे भी गाय को कई धर्मों में पवित्र माना गया है. वहीं, जब बाहर से आए लोग इस गांव में पहुंचते हैं तो उन्हें दूध की प्राकृतिक सुगंध का एहसास होता है. घर के दालान (बरामदा) से गाय के घी की खुशबू आती है, जो लोगों की आत्मा और मन को तरोताजा कर देती है.
2014 में यहां के किसान साधारण खेती करते थे. इसलिए उन्हें बहुत कम आय होती थी. बदलाव की शुरुआत स्थानीय किसान मरुपका कोटी से हुई, जिन्होंने लागत कम करने और आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती को अपनाया. कहते हैं कि, कुम्मारिगुडेम गांव दूसरों को कर्ज से मुक्त होने के लिए डेयरी फार्मिंग में नवाचार करने के लिए प्रेरित कर रहा है. यहां हर घर में कम से कम एक गाय होने के कारण, यह गांव अब धन और समृद्धि से भरा एक संपन्न समुदाय बन गया है.
संघर्षशील किसानों से सफल उद्यमी तक
कृषि से जुड़े प्रशिक्षित लोगों ने उन्हें जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. वर्षों के संघर्ष के बाद, कोटी ने डॉ. सर्जना रमेश, कूरापति वेंकटनारायण और एक जर्मन परोपकारी मोनिका रिटरिंग से मदद मांगी और गांव में सतत डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की.
मदद का हाथ
पुट्टापर्थी साईबाबा की भक्त और जर्मन नागरिक, रिटरिंग ने किसान आत्महत्या के शिकार परिवारों की मदद करना शुरू किया. शुरुआत में, उन्होंने 30 परिवारों को एक-एक गाय दी, जिससे उन्हें दूध बेचकर कमाई शुरू करने में मदद मिली. अगले चरण में, उन्होंने दूध संग्रह और घी बनाने की मशीनें लगाईं, जिससे उत्पादों और आय में वृद्धि हुई.