रांची: झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उनके घरेलू नौकर जहांगीर आलम ने ईडी की पूछताछ में कई अहम खुलासे किये हैं. संजीव लाल ने सरकारी विभाग में होने वाले टेंडर कमीशन की पोल खोल कर रख दी है. टेंडर कमीशन में करोड़ रुपए की उगाही की गई है जिसका निवेश राज्य के अंदर और बाहर तक किया गया है.
टेंडर दिलाओ कमीशन कमाओ का खेल
ग्रामीण विकास कार्य विभाग के पूर्व चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम से शुरू हुई टेंडर घोटाले की कहानी का नया पन्ना संजीव लाल और उसकी टीम है. वीरेंद्र राम ने टेंडर कमीशन के जरिए करीब 125 करोड़ रुपए की संपत्ति जमा की थी. बीरेंद्र राम के गिरफ्तार होने के बाद ही यह तय हो गया था कि टेंडर घोटाले की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ेगी इसमें और कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे.
दरअसल, ग्रामीण विकास विभाग में निकलने वाले हर टेंडर का कमीशन तय रहता था. जिस किसी ठेकेदार को टेंडर हासिल करना होता था वह टेंडर की रकम का एक निश्चित कट मनी संजीव, बीरेंद्र राम और उनके अन्य सहयोगियों के पास जमा करवा देता था, जिसके बाद उस ठेकेदार को विभाग में टेंडर मिल जाता था. ईडी सूत्रों के अनुसार पहले बीरेंद्र राम और अब संजीव लाल ने भी टेंडर के कट मनी के जरिये करोड़ों की उगाही की बात स्वीकार की है.
संजीव के पास जमा होता था पैसा, पर्ची में मिला सबूत
टेंडर दिलवाने के एवज में करोड़ों रुपए रिश्वत के तौर पर लिए जाते थे वह सभी पैसे संजीव के पास जमा होते थे. ईडी की टीम ने जब संजीव और उसके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी तब बरामद करोड़ों रुपये के बंडल के साथ अलग-अलग नामों की पर्ची भी बरामद हुई थी. पर्चियां पर कमीशन देने वाले ठेकेदारों का नाम और टेंडर में किस व्यक्ति से कितना पैसा लिया गया है इसका जिक्र किया गया है. नोटों के बंडल के साथ एजेंसी को कुछ ऐसी पर्चियां भी हासिल हुई हैं जिसमें सचिव स्तर के अधिकारियों से लेकर बड़े राजनेताओं के नाम और उनको पैसों में मिलने वाली हिस्सेदारी का जिक्र किया गया है.
वैसे तो पिछले साल ही जेल में बंद ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम से पूछताछ में टेंडर के कट मनी को लेकर करोड़ों की उगाही का खुलासा हो गया था. बीरेंद्र राम मामले में ही अगली कड़ी के रूप में संजीव लाल ईडी के निशाने पर आया. सूत्रों के अनुसार संजीव लाल और जहांगीर आलम ने राज्य के कई राजनेताओं को भी ठेकेदारी में कमीशन के तौर पर बड़ी रकम देने की बात स्वीकारी है.
ईडी के रांची जोनल आफिस में संजीव से ईडी के अधिकारी रिमांड पर लेकर लगातार पूछताछ कर रहे हैं, जिसमें संजीव ने बताया है कि एक योजना में पांच फीसदी तक कमीशन लिया जाता था. जिसमें प्वाइंट तीन फीसदी हिस्सेदारी सिर्फ उनकी होती थी, बाकी का हिस्सा बड़े नेताओं, नौकरशाहों, अधीनस्थ इंजीनियरों और विभागीय अफसरों तक जाता था.
सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात भी सामने आई है कि विभाग में अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई थीं. इस दौरान उन्होंने विभागीय चपरासी से लेकर मंत्री और सचिव स्तर के अधिकारियों को भी कमीशन का कट मनी दिया जाता था. संजीव के द्वारा जो तथ्य बताए गए हैं, उन्हीं तथ्यों के आधार पर ईडी साक्ष्य जुटा रही है. अब ईडी इस मामले में कई लोगों को आमने सामने बैठाकर संजीव से पूछताछ करेगी.
पद का जमकर उठाया फायदा
ईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि संजीव के द्वारा अपने पद का फायदा उठाते हुए अकूत संपत्ति जमा की गई है. इसी वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. ईडी की छापेमारी के दौरान संजीव और उसके सहयोगियों के ठिकानों से 35 करोड़ रुपये और लाखों के हीरे-जेवरात बरामद किए गए थे. वहीं अलग अलग जगहों पर छापेमारी के दौरान करोड़ों के निवेश के सुराग ईडी को मिले हैं. ईडी को अंदेशा है कि कई शेल कंपनियों में भी अवैध कमाई की मनी लॉन्ड्रिंग की गई है. इससे संबंधित दस्तावेज भी ईडी को मिले हैं. संजीव के द्वारा कमाई गई अकूत काली कमाई का स्रोत क्या है, इसमें कौन-कौन लोग भागीदार हैं यह ईडी जानने का प्रयास कर रही है.
ईडी के द्वारा संजीव लाल, जहांगीर आलम की आय व्यय का हिसाब किताब लगाया जा रहा है. ईडी संजीव लाल और जहांगीर से उनके और उनके आश्रितों के तमाम बैंक खातों की जानकारी इकट्ठा कर रही है. इन खातों के जरिए भी बैंक खातों में आए पैसों के स्रोत की जानकारी जुटाई जा रही है. फ्लैट की खरीद में कितने पैसों का भुगतान हुआ, भुगतान के तरीके कौन से थे, इसकी पड़ताल भी हो रही है. वहीं ईडी ने रडार पर आए ठेकेदार राजीव कुमार सिंह, मुन्ना सिंह, इंजीनियर विकास कुमार, कुलदीप मिंज, अर्जुन मुंडा, राजकुमार उरांव के बैंक खातों की जानकारी के साथ साथ आश्रितों के आय व्यय का पूरा ब्यौरा, चल-अचल संपत्तियों की जानकारी मांगी गई है.
ट्रांसफर-पोस्टिंग के कई पैरवी पत्र भी मिले