हजारीबागः भारत देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. देश उन विभूतियों को नमन कर रहा है जिन्होंने आजादी की लड़ाई के साथ-साथ भारतीय गणतंत्र को स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इसके साथ ही उन महान विभूतियों को भी श्रद्धांजलि दी जा रही है जिन्होंने संविधान निर्माण में अहम योगदान दिया. हजारीबाग के दो ऐसे महान विभूति हुए जिन्होंने संविधान निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई. जिसमें हजारीबाग के पहले सांसद स्वर्गीय बाबू राम नारायण सिंह और एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री स्वर्गीय केबी सहाय शामिल हैं.
हजारीबाग का आजादी के पहले और आजादी के बाद देश निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. हजारीबाग से कई दिग्गज स्वतंत्रता सेनानी हुए जिन्होंने देश की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. देश जब आजाद हुआ तो संविधान निर्माण में भी हजारीबाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा. हजारीबाग के प्रथम सांसद स्वर्गीय बाबू राम नारायण सिंह और एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री स्वर्गीय केबी सहाय भारतीय संविधान सभा के सदस्य हुए. जिन्होंने संविधान निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
विनोबा भावे के राजनीतिक विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. प्रमोद सिंह (स्वर्गीय बाबू राम नारायण सिंह के पोते) बतातें है संविधान सभा में ही बाबू राम नारायण ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधानसेवक कहा जाए और नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाएं. ऐसा इसलिए कि राजतंत्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश न कर जाए. मंत्रिमंडल को सेवक मंडल के रूप में अपनाया जाए. स्वर्गीय बाबू राम नारायण सिंह के परिजन खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं.
उनके परिजनों कहना है कि 'हमारे दादा ने जो सपना देखा था, जो बातें कहीं थीं, आज के समय में चरितार्थ हो रहा है, जो उनके दूरदर्शी होने का परिचायक है'. वो इस बात को लेकर दुख भी जाहिर करते हैं कि दादाजी की बातों को अगर अच्छे तरीके से लागू किया जाता तो समाज में इतनी विसंगति नहीं दिखतीं.
आखिर उनका चयन संविधान सभा में कैसे हुआ यह भी जाना ना महत्वपूर्ण है. प्रमोद सिंह बताते हैं आजादी के पहले वह सेंट्रल एमएलए होते थे. उसे वक्त जो भी सेंट्रल एमएलए थे उनका सीधा मनोनयन संविधान सभा के लिए किया गया था. हजारीबाग से दो ऐसी विभूति थे इस कारण दोनों का चयन संविधान निर्माता सदस्य के रूप में किया गया.
स्वतंत्रता सेनानी के वंशज बटेश्वर मेहता भी कहते हैं कि यह हजारीबाग के लिए गर्व की बात है. दो विभूति का महत्वपूर्ण योगदान संविधान निर्माण में है. दूसरी ओर हजारीबाग के समाजसेवी और राजनीति के जानकार अमरदीप यादव भी कहते हैं कि पूरा समाज और देश उनका ऋृणी है.
बाबू राम नारायण सिंह ने दिया 'प्रधानसेवक' शब्द
हजारीबाग के लोगों के लिए यह गर्व कि बात है कि जिला की विभूति बाबू राम नारायण सिंह और केबी सहाय संविधान सभा के सदस्य रहे. उनके बताए हुए शब्द आज चरितार्थ हो रहे हैं, 'प्रधानसेवक' शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हमेशा जिक्र करते हैं, ये उनके ही शब्द थे. कहा जा सकता है कि 76 साल के बाद अगर उनके विचार दिख रहे हैं तो यह उनकी दूरदर्शिता को दिखाता है.
वर्तमान में झारखंड में चतरा जिला के तेतरिया गांव में 19 दिसंबर 1885 को बाबू राम नारायण का जन्म हुआ था. 1952 में सांसद बनने का उन्हें गौरव भी प्राप्त हुआ. आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया. भारतीय संविधान के निर्माण के बाद हस्ताक्षर और संविधान सभा सदस्य के बीच उनकी तस्वीर आज उनकी अहमियत और दूरदर्शिता को बताती है.
बाबू राम नारायण सिंह का जीवन परिचय
बाबू राम नारायण सिंह 1921 से लेकर 1944 तक अलग-अलग समय में जेल में रहे. बाबू राम नारायण सिंह 1927 से लेकर 1946 तक केंद्रीय विधानसभा के सदस्य के रूप में अपने विचारों से राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित करते रहे. संविधान सभा की प्रथम कार्यवाही 9 दिसंबर 1946 को शुरू हुई थी. संविधान सभा सदस्य के रूप में बाबू राम नारायण ने पंचायती राज, शक्तियों का विकेंद्रीकरण, मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन 500 करने की वकालत की थी.
हजारीबाग से वह पहले सांसद बने लेकिन उन्होंने चुनाव किसी पार्टी के बैनर तले न लड़ कर निर्दलीय लड़ा और इस बात को बताया कि व्यक्ति विशेष होता है, पार्टी विशेष नहीं होती. आज बाबू राम नारायण सिंह के लिखे दस्तावेज का अंश संविधान में इस बात का परिचायक है कि छोटे से घर में जन्म लेने वाले की सोच इतनी बड़ी थी कि उनके सामने महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता भी उनके विचारों का सम्मान करते थे.
बाबू राम नारायण सिंह के वंशज आज उनके लिखे हुए कागज को समझते हैं. उनके घर में संविधान सभा की पुस्तक और अन्य इस बात को बताते हैं कि यह घर कोई आम नहीं बल्कि संग्रहालय है उनका यह भी कहना है कि संविधान कोई पुस्तक नहीं है बल्कि यह ग्रंथ है. जिसमें सभी धर्म को सम्मान जगह प्रदान किया गया है जो हमारे धर्मनिरपेक्ष होने का साक्षी है पहले हम भारतीय हैं इसके बाद यह हमारा कोई धर्म या जात है.
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