लखनऊ:देश में तेजी से विकास होने का दावा किया जा रहा है. हम हाईटेक तकनीक की मदद से चांद और मंगल पर पहुंच चुके हैं. लेकिन सीवरेज और सेफ्टी टैंक की सफाई को लेकर आज भी मैनुअल तरीका अपनाया जा रहा है. मजदूरों को सीवरेज और सेफ्टी टैंक में उतार कर सफाई कराई जाती है. जिससे लगातार मजदूरों की मौत हो रही है. सीवरेज सफाई के दौरान मजदूरों की मौत रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक सख्त रुख अपना चुका है. इसके बावजूद सीवरेज की सफाई के दौरान जहरीली गैस से मजदूरों की मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को चंदौली में चार मजदूरों की सेफ्टी टैंक में जहरीली गैस से मौत हो गई. चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश में 15 साल में 700 सफाई कर्मी या मजदूरों की मौत सेफ्टी टैंकों के अंदर सीवरेज की जहरीली गैस की चपेट में आने से काल के गाल में समा चुके हैं. आखिर असमय इन मौत का जिम्मेदार कौन है..
तीन साल में सबसे अधिक हुई मौतें
गौरतलब है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के तहत देश में सीवर सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति को सीवर में उतारना पूरी तरह से गैर कानूनी है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि ये आदेश महज कागजों पर ही है. सीवर सफाई के दौरान मरने वालों में यूपी नम्बर वन पर है. केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में सीवर की सफाई के दौरान 110 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 2018 में 68 और 2017 में 193 मजदूरों की सफाई के दौरान मौत हो गई थी. हाल ही में लखनऊ में भी चार मौतें इसी तरह से हुई हैं. दो दिन पहले चंदौली में भी ऐसी हुई घटना में चार मजदूरों की मौत हो गई है.
मंत्री और अधिकारियों की सख्ती का कोई असर नहींःसीवरेज में मजदूरों की मौत का सबसे बड़ा कारण है कि ज्यादातर नगर निगमों में सफाई का काम निजी कम्पनियों को आउटसोर्स कर दिया जा रहा है. प्राइवेट कम्पनियां पैसा बनाने के चक्कर में सफाई कर्मचारियों को समय से भुगतान भी नहीं करती और सारे नियम कायदों की धज्जियां भी उड़ाती हैं. योगी 2.0 में नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने सफाई कर्मचारी के मरने के बाद से इस मामले पर कड़ाई की है साथ ही हर अधिकारी को ये निर्देश भी दिया है कि वो अपने इलाकों, जहां वो रहते हैं, की साफ सफाई पर ध्यान दें. इसके बाद कुछ कम्पनियां शासन के तय मानकों के हिसाब काम करवा रही हैं. लेकिन छोटे ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं.