जयपुर/अलवर.जिले के कठूमर क्षेत्र के मसारी गांव में एक 20 माह का बच्चा जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है. उसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक बीमार है. जयपुर के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान परिजनों की इसकी जानकारी हुई. उसके बाद से ही पूरा परिवार सदमे में है, क्योंकि इस बीमारी के इलाज के लिए जिस इंजेक्शन को देने की जरूरत है, उसकी कीमत साढ़े 17 करोड़ है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लिहाजा बच्चे के मां-बाप सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं. साथ ही मासूम की सलामती के लिए परिजन महामृत्युंजय मंत्र का जाप व हवन करा रहे हैं. वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि अगर चार महीने में बच्चे को इंजेक्शन नहीं दिया गया तो धीरे-धीरे उसके फेफड़ों के साथ ही पूरे शरीर में इन्फेक्शन फैल जाएगा.
इलाज के लिए चाहिए 17 करोड़ का इंजेक्शन :स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित मासूम हृदयांश शर्मा के पिता नरेश शर्मा राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. वो और उनके परिजन हृदयांश को जनेटिक बीमारी का पता लगने के बाद से ही परेशान हैं. परिजनों ने बताया कि 20 महीने का होने के बाद भी जब हृदयांश चल नहीं पाया तो उसके माता-पिता ने उसे जयपुर, दिल्ली समेत अन्य जगहों के चिकित्सकों को दिखाया. इस बीच जांच में अनुवांशिक बीमारी का पता चला, लेकिन परिवार की हालात ऐसी नहीं है कि वो आगे बच्चे का इलाज करा सके. वहीं, बताया गया कि बच्चे को लगने वाले इंजेक्शन की कीमत करीब साढ़े 17 करोड़ है. ऐसे में अब पूरा परिवार सरकार के साथ ही स्वयंसेवी संगठनों से मदद की आस लगाए बैठा है.
इसे भी पढ़ें -मदद की आस: दोनों किडनी गवां चुके 'गुलाब' के महकने का इंतजार, बच्चे और पत्नी को कलेक्टर से उम्मीद