झालावाड़ : डग के पाड़ला गांव में रविवार को खेलने के दौरान करीब 250 फीट बोरवेल गड्ढे में गिरे पांच वर्षीय बालक प्रहलाद की सोमवार तड़के मौत हो गई. करीब 16 घंटे से अधिक समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी मासूम को बचाया नहीं जा सका. सोमवार तड़के करीब 3:45 एसडीआरएफ और एनडीआरफ की टीम ने बालक को रेस्क्यू कर बोरवेल गड्ढे से बाहर निकाला था. इसके बाद मौके पर मौजूद एंबुलेंस की सहायता से उसे डग के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भिजवाया गया, जहां डॉक्टर की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया.
जिला परिषद के सीईओ शंभू दयाल मीणा ने बताया कि डग के पालड़ा गांव में रविवार को खेलने के दौरान 5 वर्षीय मासूम बालक प्रहलाद 250 फीट गहरे खुले बोरवेल में जा गिरा था. सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंची और बालक को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान दो एनएलटी मशीनों सहित पांच जेसीबी मशीनों को बोरवेल के पास खुदाई करने के लिए लगवाए गए थे. पथरीला इलाका होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में मिट्टी के नीचे धसने का लगातार खतरा बना हुआ था.
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ऐसे में जिला प्रशासन ने इस तरह के हालातों में काम करने वाले लोगों से संपर्क किया. वहीं, प्रशासन ने भी झालावाड़ से एसडीआरएफ और कोटा जिले से एनडीआरएफ टीम की मदद ली. मौके पर चिकित्सा विभाग की ओर से बालक को ऑक्सीजन सिलेंडर के माध्यम से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी. रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग में बोरवेल में करीब 30 फीट पर बालक फंसा हुआ था. करीब 16 घंटे चले लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आज तड़के 3:45 बजे बालक को बोरवेल गड्ढे से बाहर निकाल लिया गया था. इसके बाद मौके पर मौजूद स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस से उसे डग के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने प्रहलाद को मृत घोषित कर दिया.
जिम्मेदार कौन ?: हाईकोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी स्थान पर बोरवेल का गड्डा करवाने के लिए प्रशासन और ग्राम पंचायत की अनुमति लेनी आवश्यक होती है. इसके बावजूद बिना अनुमति के ग्रामीण क्षेत्रों में कई बोरवेल के गड्ढे किए जाते रहे हैं. ऐसे में कई बार बोरवेल से पानी न निकलने के बाद इन गड्ढो को खुला ही छोड़ दिया जाता है, जिसके कारण प्रदेश में कई मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
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