नई दिल्ली: वामपंथी जनता दल के उग्र कार्यकर्ता से लेकर कट्टर कांग्रेसी और दक्षिणपंथी हिंदुत्व के कट्टर समर्थक तक, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. इस हफ्ते वह शीर्ष दो संवैधानिक पदों में से एक पर आसीन पहले व्यक्ति बन गए, जिन्हें महाभियोग की संभावना का सामना करना पड़ा, क्योंकि विपक्ष ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस पेश किया.
उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि यह कोई छोटी बात नहीं है. अगर इसे पेश किया जाता है, तो संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, इसे राज्यसभा के सभी सदस्यों के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होगी और फिर लोकसभा में भी इसकी सहमति की जरूरत पडे़गी.
हालांकि, प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि विपक्षी दलों के पास संख्या की कमी है, लेकिन राजनीतिक संदेश स्पष्ट है - उन्हें राज्यसभा के अध्यक्ष और पीठासीन अधिकारी जगदीप धनखड़ द्वारा बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है. गौरतलब है कि विपक्ष और उपराष्ट्रपति के बीच कई बार विवाद देखने को मिला है. ऐसे में आज हम आपको 10 ऐसे मौकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जब विपक्ष और धनखंड़ के बीच विवाद हुआ.
1- किसान विरोध के मुद्दे पर आपत्ति
पिछले हफ्ते धनखड़ ने किसान विरोध के मुद्दे को उठाने की विपक्ष की मांग पर आपत्ति जताई थी और इसे 'मगरमच्छ के आंसू' करार दिया था. इसने विपक्षी नेताओं के एक वर्ग को सदन से बाहर जाने के लिए प्रेरित किया.
2- विनेश फोगट के मुद्दे पर विपक्ष को लगाई फटकार
पहलवान विनेश फोगट को पेरिस ओलंपिक 2024 से अयोग्य ठहराए जाने पर मचे ड्रामे पर, जब विपक्षी नेताओं ने इस मामले पर चर्चा करने की अनुमति मांगी, तो धनखड़ ने उन्हें फटकार लगाई. बाद में उन्होंने राज्यसभा में कहा, "वे (विपक्ष) सोचते हैं कि केवल उनके दिल में ही खून बह रहा है. लड़की की वजह से पूरा देश दर्द में है. हर कोई इस स्थिति को साझा कर रहा है, लेकिन इसका राजनीतिकरण करना, लड़की का सबसे बड़ा अपमान है"
3- पीएम मोदी को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश पर विवाद
अगस्त 2023 में धनखड़ ने विपक्ष से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में उपस्थित रहने का निर्देश नहीं दे सकते और न ही देंगे, क्योंकि संसद में आना किसी भी अन्य सांसद की तरह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. उन्होंने यह बयान तब दिया जब विपक्षी बेंच मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर उन्हें संबोधित करने के लिए राज्यसभा में प्रधानमंत्री की उपस्थिति की मांग कर रहे थे.
4- 46 सांसदों को निलंबन
2023 के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा के सभापति और विपक्ष के बीच संबंध एक नए निम्न स्तर पर पहुंच गए, जब संसद के दोनों सदनों से 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जिनमें से अधिकतर संसद सुरक्षा उल्लंघन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर निलंबित किए गए. संसद सत्र में निलंबन की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या थी.