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AIIMS में 10 घंटे की सर्जरी से गंभीर कैंसर मरीज की बची जान, ऑपरेशन से 9.8 किलो का निकला ट्यूमर

दिल्ली एम्स में कैंसर पीड़ित महिला की जटील सर्जरी की गई, 9.8 किलो के फैले ट्यूमर को आंत, मूत्राशय और अन्य अंगों से किया अलग.

एम्स में 10 घंटे की सर्जरी से गंभीर कैंसर मरीज की बची जान
एम्स में 10 घंटे की सर्जरी से गंभीर कैंसर मरीज की बची जान (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 5 hours ago

नई दिल्ली :दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में एक जटिल कैंसर के मामले में 49 वर्षीय महिला की जान बचाई गई. पीड़ित महिला पहले से ओवरी के ग्रैनुलोसा सेल ट्यूमर से पीड़ित थीं. 2011 में उनका पहला ऑपरेशन हुआ था और ट्यूमर का इलाज किया गया था. इसके बाद 5 साल तक उनकी स्थिति ठीक रही, लेकिन 2017 में फिर से ट्यूमर फैलने लगा.इस बार, उनकी बीमारी का इलाज करने के बाद कुछ समय तक उनकी स्थिति स्थिर रही, लेकिन 3 साल बाद जब वह फिर से डॉक्टर के पास आईं, तो उनकी हालत बहुत गंभीर हो गई थी.

एम्स में जोखिम भरे ऑपरेशन को 10 घंटों में दिया अंजाम :सीटी स्कैन में पाया गया कि उनका ट्यूमर अब पेट और मूत्राशय से जुड़ चुका है, जिससे दोनों गुर्दों में सूजन आ गई थी. इस स्थिति में ऑपरेशन बहुत जोखिम भरा था, क्योंकि ट्यूमर का आकार बहुत बड़ा था और यह आंत, मूत्राशय और अन्य अंगों से चिपका हुआ था.

एम्स में 10 घंटे की सर्जरी से गंभीर कैंसर मरीज की बची जान (ETV BHARAT)

2 दिसंबर 2024 को सर्जनों की टीम ने की सफल सर्जरी :2 दिसंबर 2024 को उन्हें एक जटिल सर्जरी के लिए एम्स नई दिल्ली में भर्ती किया गया. इस ऑपरेशन में कुल 10 घंटे लगे और सर्जन की टीम ने बहुत मेहनत से 9.8 किलो का ट्यूमर निकाला. ऑपरेशन के दौरान, प्रभावित आंतों के हिस्से को भी हटाया गया और मूत्राशय का कुछ हिस्सा काटकर फिर से जोड़ा गया. इस सर्जरी में 1.5 लीटर रक्त का नुकसान हुआ, लेकिन सर्जरी सफल रही.

दिल्ली एम्स में कैंसर पीड़ित महिला की जटिल सर्जरी की गई (ETV BHARAT)

सर्जरी से पीड़ित महिला की जीवनकाल बढ़ने की संभावना :डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के जटिल कैंसर के मामलों में यदि विशेषज्ञ सर्जन और अनुभवी टीम का नेतृत्व हो, तो इलाज संभव होता है.पीड़ित महिला की सर्जरी के बाद उनका जीवनकाल बढ़ने की संभावना है और वह अब बेहतर महसूस कर रही हैं. अगर यह ऑपरेशन नहीं होता, तो उनकी हालत और बिगड़ सकती थी और वे कुछ महीनों में गंभीर स्थिति का सामना कर सकती थीं.

विशेषज्ञ सर्जन और ऑनकोलॉजिस्ट टीम की साझेदारी में ऑपरेशन :विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के जटिल कैंसर के मामलों में अगर किसी मरीज का ऑपरेशन किया जाए तो इसे ऑपरेशनेबल मानकर इलाज किया जाए, खासकर जब एक सक्षम और विशेषज्ञ सर्जन और ऑनकोलॉजिस्ट टीम मौजूद हो.

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