नई दिल्ली: दिल्ली में अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गहमा गहमी तेजी से बढ़ती जा रही है. इसी क्रम में मंगलवार को असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पार्टी AIMIM से आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया. हालांकि, ताहिर हुसैन दिल्ली दंगे से संबंधित कई मुकदमों में अभी जेल में बंद हैं. लेकिन, ताहिर हुसैन की पत्नी परिवार के अन्य सदस्यों और ताहिर हुसैन के समर्थकों के साथ AIMIM में शामिल हो गई हैं.
ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद से ओवैसी ने क्यों दिया टिकट : अब ऐसे में यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि आखिर ताहिर हुसैन ने मुस्तफाबाद विधानसभा को चुनाव लड़ने के लिए क्यों चुना और ऐसी क्या बात रही कि ओवैसी ने भी तुरंत उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया. अगर मुस्तफाबाद विधानसभा की बात करें तो इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी है. फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगे के दौरान मुख्य दंगा इसी विधानसभा क्षेत्र के इलाकों शिव विहार, चांद बाग की पुलिया, बृजपुरी, महालक्ष्मी एंक्लेव और अन्य इलाकों में हुआ मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र के लोग दिल्ली दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित रहे.
ताहिर हुसैन को 2017 में आप टिकट पर पार्षद चुना गया : वहीं, ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद विधानसभा के ही नेहरू विहार वार्ड से वर्ष 2017 में आप टिकट पर पार्षद चुना गया था. बता दें कि मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में 40% आबादी मुस्लिम हैं, जबकि 60% हिंदू हैं. ओवैसी द्वारा ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाने से आम आदमी पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है और भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है.
ताहिर हुसैन मुस्लिम वोटों को खींचने में सफल रहे तो क्या होगा : अगर ताहिर हुसैन मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींचने में सफल रहे तो मुस्तफाबाद विधानसभा में मुस्लिम वोटो के बंटवारे का फायदा वर्ष 2015 में भाजपा को मिल चुका है. जब 2015 में पूरे दिल्ली में 70 सीटों में से भाजपा को सिर्फ तीन सीट मिली थीं तो उस समय भी मुस्तफाबाद विधानसभा पर कमल खिला था और भाजपा प्रत्याशी जगदीश प्रधान ने जीत दर्ज की थी. अगर यहां लड़ाई त्रिकोणीय हुई और मुस्लिम वोट आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम और कांग्रेस में बंटा तो भाजपा की राह आसान होना तय है, क्योंकि वर्ष 2015 में हुए चुनाव के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं.
2020 में आप प्रत्याशी हाजी यूनुस ने 20704 वोटों से जीत की थी दर्ज : 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हाजी यूनुस ने 20704 वोटों से जीत दर्ज की थी. लेकिन, उनकी जीत का प्रमुख कारण मुस्लिम वोटो का बंटवारा न होना रहा. यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे अली मेहंदी मात्र 5300 वोटों पर ही सिमट गए. इससे साफ है कि मुसलमान ने उन्हें बहुत कम ना के बराबर वोट दिया जिससे आम आदमी पार्टी आसानी से जीत गई. जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 98850 वोट मिले. वहीं, भाजपा के जगदीश प्रधान को 78146 वोट मिले थे.
2015 में भाजपा के जगदीश प्रधान ने 58388 वोटों से जीत की थी दर्ज : 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा के जगदीश प्रधान ने 58388 वोट हासिल करके 6061 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी हसन अहमद को पराजित किया था. कांग्रेस के हसन अहमद को 52357 वोट मिले थे और आप के हाजी यूनुस को 49791 वोट मिले थे. इन आंकड़ों से साफ है कि कांग्रेस और आप प्रत्याशी के बीच वर्ष 2015 में मुस्लिम वोटो का लगभग बराबर का बंटवारा होने की वजह से भाजपा को उसका बड़ा फायदा हुआ था और भाजपा मुस्तफाबाद सीट जीतने में सफल हो गई थी. अगर 2025 के विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ तो भाजपा एक बार फिर इस सीट को जीतने में सफल हो सकती है.
2008 में बनी मुस्तफाबाद सीट : मुस्तफाबाद सीट की बात करें तो इस सीट का गठन वर्ष 2008 में हुआ था तब से अब तक हुए चार चुनाव में से तीन चुनाव में मुस्लिम प्रत्याशी विजयी रहे और एक चुनाव में हिंदू प्रत्याशी को जीत मिली.अगर पार्टियों की बात करें तो दो बार कांग्रेस और एक-एक बार भाजपा और आम आदमी पार्टी को इस सीट पर जीत मिली है. कुल मतदाताओं की बात करें तो मुस्तफाबाद विधानसभा में 2020 के आंकड़ों के अनुसार 2,63,348
मतदाता हैं. इनमें से करीब एक लाख मुस्लिम मतदाता हैं.