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انگلیوں سے معذور، لیکن جذبہ جڈیجا سے کم نہیں

ہاتھ کی انگلیوں اور پنجے سے محروم تمل ناڈو سے تعلق رکھنے والے رمیش معذوروں کے عالمی کپ میں بھارت کی نمائندگی کریں گے۔

رمیش
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Published : Jul 5, 2019, 11:59 AM IST

جسمانی طور سے معذور رمیش سبرمنیہ نائڈو کو آل انڈیا کرکٹ ایسوسی ایشن نے 2 جولائی سے 13 اگست تک انگلینڈ میں کھیلے جانے والے پہلے عالمی کپ میں بھارت کی نمائندگی کر نے والی ٹیم میں شامل کیا ہے۔

رمیش
رمیش

قدرت نے بھلے ہی رمیش کو پیدائشی طور پر پیر کی انگلیوں سےمحروم رکھا ہو، لیکن رمیش نے کبھی بھی اپنی اس معذوری کو اپنے مقصد کی حصولیابی کے بیچ حائل ہونے نہیں دیا۔

انگلیوں سے معذور، لیکن جذبہ جڈیجا سے کم نہیں

عالمی کپ میں بہتر کر گزرنے کا خواب
ای۔ٹی۔وی بھارت سے بات کر تے ہو ئے رمیش کا کہنا تھا کہ انہیں اپنی معذوری کو لیکر کوئی ملال نہیں ہے، انکا خواب ہےکہ وہ عالمی کپ میں بہتر کارکردگی کا مظاہرہ کر سکیں۔
دونوں ہاتھوں اور پیروں میں انگلیاں اور انگوٹھے نہیں ہونے کے باوجود رمیش ہر گیند کو لپک کر پکڑنے کا حوصلہ رکھتے ہیں۔
پنجے اور انگلیوں سے محروم رمیش لیگ اسپنر ہیں، وہ بلے بازی میں بھی مہارت رکھتے ہیں۔

بین الاقوامی سطح کے کھلاڑی کی فہرست میں اپنا نام درج کرا نے کے لیے رمیش نے کافی پسینہ بہایا ہے۔
رمیش کا اب تک کا بہترین ریکارڈ ایک میچ میں 78 رنز اور 5 وکٹ حاصل کرنا رہا ہے۔
تمل ناڈو کے اس معذور کھلاڑی کے جذبے کو ہر کوئی سلام کر رہا ہے۔

رمیش
رمیش

کھیل کے ساتھ ساتھ تعلیمی میدان میں بھی اول
رمیش نے صرف کرکٹ کے ہی میدان میں نام نہیں کمایا، وہ تعلیمی میدان میں بھی اول نظر آتے ہیں۔
انہوں نے انٹر میں 95 فیصد نمبرات حاصل کیے، جبکہ آئی۔آئی۔ٹی جیسے مشکل امتحان میں پورے ملک میں 41 واں مقام حاصل کیا تھا۔ فی الحال وہ ایم۔ٹیک بھی کر رہے ہیں۔

جسمانی طور سے معذور رمیش سبرمنیہ نائڈو کو آل انڈیا کرکٹ ایسوسی ایشن نے 2 جولائی سے 13 اگست تک انگلینڈ میں کھیلے جانے والے پہلے عالمی کپ میں بھارت کی نمائندگی کر نے والی ٹیم میں شامل کیا ہے۔

رمیش
رمیش

قدرت نے بھلے ہی رمیش کو پیدائشی طور پر پیر کی انگلیوں سےمحروم رکھا ہو، لیکن رمیش نے کبھی بھی اپنی اس معذوری کو اپنے مقصد کی حصولیابی کے بیچ حائل ہونے نہیں دیا۔

انگلیوں سے معذور، لیکن جذبہ جڈیجا سے کم نہیں

عالمی کپ میں بہتر کر گزرنے کا خواب
ای۔ٹی۔وی بھارت سے بات کر تے ہو ئے رمیش کا کہنا تھا کہ انہیں اپنی معذوری کو لیکر کوئی ملال نہیں ہے، انکا خواب ہےکہ وہ عالمی کپ میں بہتر کارکردگی کا مظاہرہ کر سکیں۔
دونوں ہاتھوں اور پیروں میں انگلیاں اور انگوٹھے نہیں ہونے کے باوجود رمیش ہر گیند کو لپک کر پکڑنے کا حوصلہ رکھتے ہیں۔
پنجے اور انگلیوں سے محروم رمیش لیگ اسپنر ہیں، وہ بلے بازی میں بھی مہارت رکھتے ہیں۔

بین الاقوامی سطح کے کھلاڑی کی فہرست میں اپنا نام درج کرا نے کے لیے رمیش نے کافی پسینہ بہایا ہے۔
رمیش کا اب تک کا بہترین ریکارڈ ایک میچ میں 78 رنز اور 5 وکٹ حاصل کرنا رہا ہے۔
تمل ناڈو کے اس معذور کھلاڑی کے جذبے کو ہر کوئی سلام کر رہا ہے۔

رمیش
رمیش

کھیل کے ساتھ ساتھ تعلیمی میدان میں بھی اول
رمیش نے صرف کرکٹ کے ہی میدان میں نام نہیں کمایا، وہ تعلیمی میدان میں بھی اول نظر آتے ہیں۔
انہوں نے انٹر میں 95 فیصد نمبرات حاصل کیے، جبکہ آئی۔آئی۔ٹی جیسے مشکل امتحان میں پورے ملک میں 41 واں مقام حاصل کیا تھا۔ فی الحال وہ ایم۔ٹیک بھی کر رہے ہیں۔

Intro:रिपोर्ट इंदरवेश भिवानी

NEWS --ऊपर वाले ने भलेही रमेश के दोनों हाथों और पैरों की उंगलियां नहीं दी,लेकिन फिर भी रमेश का होशला काबिलेतारीफ है
-रमेश दिव्यांग क्रिकेट से जुड़ा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है जो अगस्त में भारत की तरफ से वर्ल्ड कप खेलने जा रहा है
-जज्बा है रमेश के पैर और हाथों में,क्रिकेट जगत में किया है रिकॉर्ड कायम
तमिलनाडु का यह खिलाड़ी इस दिव्यांगता को दरकिनार कर 10 वर्ष से खेल रहे क्रिकेट
-रमेश आईआईटी इंजीनियरिंग मैं इण्डिया में 41 वे रैंक पर रहे हैं ,हालही में कर रहे हैं एमटैक
AN-----ऑल इंडिया क्रिकेट एसोसिएशन फॉर दा फिजिकल चैलेजंड ( आईकैप ) के बैनर के नीचे 2 से 13 अगस्त तक इंग्लैंड में खेले जाने वाले पहले विश्व कप की तैयारियों में जुटे तमिलनाडु के खिलाड़ी रमेश सुब्रमण्युं नायडू के भले ही भगवान ने हाथ पैर की उंगलियां जन्म से ही नहीं दी ,लेकिन फिर रमेश ने हिम्मत नहीं हारी और वे भगवान की इस दिव्य देन को लेकर आगे बढ़ते रहे और क्रिकेट जगत में जी तौड़ मेहनत की और वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी वाले पायदान पर खड़े हो गए हैं जो जल्द ही भारत की टीम में शामिल हो कर अगस्त माह में वर्ल्ड कप खेलने जा रहा है। यह बड़े गर्व की बात है। गौरतलब है की तमिनाडु से 24 वर्षीय रमेश नायडू हालही में भिवानी में ऑल इंडिया क्रिकेट एसोसिएशन फॉर दा फिजिकल चैलेजंड के अधिकारीयों के पास आए हुए थे ,जिन्होंने अपनी दिव्यांगता की जज्बे भरी कहानी सुनाई तो हर कोई एक हैरान हुए। रमेश को बचपन से ही यह दिव्यांगता नशीब हुई लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे। रमेश के दोनों हाथों और पैरों में उंगलिया और अँगूठे नहीं है ,लेकिन फिर भी वे आमान आने वाली लैदर की गेंद को क्रिकेट के मैदान में लपक लेने का हौशला रखते हैं। यही नहीं रमेश का एक पैर का पूरा पंजा नहीं है वे एक पैर के सहारे और बिना उंगलियों के सहारे लैग स्पिन बॉलिंग करता है और साथ में जबरदस्त बल्लेबाजी भी करता है। जिनका अबतक अपने आप में 78 रनों और 5 विकेट का रिकॉर्ड भी रहा है।

Body:VO---1 इसी के साथ रमेश ने जहाँ दिव्यांग क्रिकेट में नाम कमाया तो वे शिक्षा जगत में पीछे नहीं रहे। खेल के साथ साथ वे शिक्षा से भी जुड़े रहे और 10+12 में 95 प्रतिशत अंक प्राप्त कर माता लक्ष्मी और पिता रामु का नाम रोशन किया। यही नहीं वे यहाँ भी अपनी रुके नहीं और इसके बाद उन्होंने आईआईटी में वे पुरे भारत में 41 वे रैंक पर रहे और साथ में एम टैक भी कर रहे हैं। रामु के घर में बड़ा बेटा रमेश और छोटा बेटा हरिकृष्णा है। जिसमें हरी कृष्ण सामान्य है और दिनेश बचपन से ही दिव्यांग है।
-भिवानी ऑल इंडिया क्रिकेट एसोसिएशन फॉर दा फिजिकल चैलेजंड के उपप्रधान सुरेंद्र लोहिया और महा सचिव रवि चौहान के पास पहुंचे तमिलनाडु के खिलाड़ी रमेश सुब्रमण्युं नायडू ने बात करते हुए कहा कि उन्हें अपनी दिव्य देन पर कोई मलाल नहीं है उनके पास हौशला है जिसके बल पर वे अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ देते हैं। कहा कि वे 10 वर्ष से क्रिकेट खेल रहे हैं ,लेकिन जब वे 4 वर्ष पहले पीसीसीएआई से जुड़े तो उन्हें कुछ करने की हिम्मत जगी और वे उसी जज्बे को लेकर दिव्यांग जगत का इंग्लैण्ड में पहला वर्ल्ड कप अगस्त माह में खेलने जा रहे हैं। कहा कि यह जज्बा उन्हें भिवानी ऑल इंडिया क्रिकेट एसोसिएशन फॉर दा फिजिकल चैलेजंड के उपप्रधान सुरेंद्र लोहिया और महा सचिव रवि चौहान की स्पॉट से मिला। Conclusion: VO--2 अब उनका सपना है कि वे वर्ल्ड कप में कुछ अच्छा करके दिखाएगा और कप भारत को ही मिले यह उनका प्रयास होगा । जिसके लिए उन्होंने भिवानी में 21 से 25 जून तक फिटनेश कैम्प भी किया है। आज उन्होंने अपने सभी कागजात पुरे कर लिए है और इंग्लैण्ड की धरा पर एक अच्छे अभ्यास के साथ उतरेंगे। उन्होंने कहा कि इस मुकाम तक पहुँचाने के लिए उन्होंने मात्र 10 वर्ष की उम्र में संघर्ष भरा सफर शुरू कर दिया था । लेकिन पहले वे टेनिस बोल से खेलते थे ,लेकिन पीसीसीएआई से जुड़ने के बाद वे लैदर गेंद से मैदान में उतरे और संघर्ष किया और आज वे इण्डिया की दिव्यांग टीम में शामिल हैं। नायडू ने कहा कि वे तमिल नाडु क्रिकेट एसोसिएशन के बैनर के साथ भी खेले हैं और वे भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी दिनेश कार्तिक,विजय शंकर और रवि चंद्र अश्विन के साथ भी खेल चुके हैं। कहा कि भलेही उनके हाथ और पैरों में बचपन से उंगलियां नहीं हैं लेकिन वे अपने संघर्ष के बल पर हिम्मत नहीं हारते।
byte रमेश
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