अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: पर्यावरण संरक्षण की वो 'मशाल', जो बन गई मिसाल - महिला दिवस स्पेशल
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नारी को शक्ति का प्रतीक यूं ही नहीं कहा जाता है. अगर वो कुछ ठान ले तो करके ही दिखाती है, ऐसी ही कुछ कहानी है 76 वर्षीय बसंती नेगी की. जिन्होंने 90 के दशक में हर्षिल घाटी में ऐसी क्रांति का ऐसा बिगुल फूंका. जिसका लोहा प्रदेश ही नहीं अपितु देश ने भी माना. दो बार ग्राम प्रधान रह चुकी बंसती नेगी को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.