बस्ते के बोझ तले दबा देश का भविष्य, सेहत पर भी पड़ रहा असर
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स्कूली बच्चों के भारी भरकम बस्ते के बोझ तले दबते जा रहे हैं. लगभग सभी स्कूल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर माहौल देने का दावा करते हैं. लेकिन उनकी ओर से बस्तों के बोझ को कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. केजी से लेकर कक्षा पांच तक के बच्चों को रोजाना कई किमी भारी बस्ते को ढोकर स्कूल आना-जाना पड़ता है. लेकिन हैरानी की बात है कि उनकी इस परेशानी पर किसी की नजर नहीं पड़ती है. जिसका असर बच्चों की सेहत पर भी पड़ रहा है.