उत्तरकाशी: भारतीय संस्कृति में योग का विशेष महत्व है. योग तन और मन से जुड़े तमाम तरह के रोग और विकारों को दूर कर मनुष्य का जीवन आसान कर देता है. यह मानव की हर तरह की शुद्धि का आसान उपकरण है. योग भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है और योग विज्ञान में जीवन शैली का पूर्ण सार समाहित किया गया है.
देवभूमि उत्तराखंड और योग का भी आदिकाल से संबंध रहा है. गगन चूमते हिमशिखरों के बीच बसे उत्तरकाशी की पहचान हिमालय योग नगरी के रूप में भी है. देश-विदेशों से हजारों लोग हर साल उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम आते हैं और योग सीखते हैं. उत्तरकाशी के कोटबंगला में स्थित विष्णुदेवानन्द आश्रम में स्वामी जनार्दन और हरिओमानंद बीते 11 साल से योग और ऋषिकुल की परंपरा निर्वहन कर रहे हैं. विष्णुदेवानन्द आश्रम में कोटबंगला, क्षत्रपाल, संग्राली, बग्याल गांव और पाटा गांव के युवक-युवतियों को निशुल्क रोजगार दिया जा रहा है. आश्रम से योग सीखकर बच्चे देश के विभिन्न इलाकों में योग सीखा रहे हैं और रोजगार के नए आयाम छू रहे हैं.
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वर्तमान में स्वामी जनार्दन और स्वामी हरिओमानंद के आश्रम में करीब 80 युवक-युवतियां योग का प्रशिक्षण ले रहे हैं. स्वामी हरिओमानंद 28 साल पहले केरल से गंगोत्री धाम साधना के लिए आए थे. स्वामी हरिओमानंद के मुताबिक गंगोत्री में योग करने के दौरान वे विष्णुदेवानन्द आश्रम में जुड़े और स्थानीय बच्चों को योग सिखाकर रोजगार से जोड़ रहे हैं.