उत्तरकाशीः नदियों की स्वच्छता के लिए पूरे देशभर में कई योजनाएं संचालित हो रही हैं, लेकिन योजनाएं धरातल पर खरा नहीं उतर पा रही है. इसकी बानगी यमुना नदी के मायके में देखने को मिल रही है. यहां पर यमुना की स्वच्छ्ता के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है. जानकीचट्टी के घोड़ा-खच्चर पार्किंग में बने शौचालयों का सीवरेज सीधे यमुना में गिर रहा है. ऐसे में नदी के दूषित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं, मामले पर प्रशासन आंखे मुंदे हुए है.
माना जाता है कि यमुना नदी भक्तों और श्रद्धालुओं को पाप और सभी दोषों से मुक्त करती है. लेकिन आज उपेक्षा के कारण यमुना नदी बीमार नजर आ रही है. यमुना की स्वच्छता को लेकर शासन-प्रशासन का हमेशा से उपेक्षापूर्ण रवैया रहा है. दरअसल, यमुनोत्री धाम से पहले जानकीचट्टी में शासन-प्रशासन के जनप्रतिनिधियों समेत आलाअधिकारियों के सामने ही खुलेआम यमुना नदी की स्वच्छ्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां पर घोड़ा-खच्चर पार्किंग में जिला पंचायत ने शौचालयों का निर्माण तो किया है, लेकिन उचित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था नहीं की गई है.
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Etv Bharat के Exclusive फुटेज में देखा जा सकता है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था नहीं होने से पहले सीवरेज सीधा यूपीसीएल के यात्रा कर्मचारियों के कमरे में जा रहा है. जहां से सीवरेज की गंदगी सीधे यमुना नदी में गिर रही है. जिससे यहां पहुंचे यात्री और श्रद्धालु दूषित जल पीने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं जानकीचट्टी में रोजाना प्रशासनिक अधिकारी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, लेकिन यमुना नदी में जा रहा सीवरेज किसी को नजर नहीं आ रहा है. जबकि शासन-प्रशासन की ओर से स्वच्छ्ता के नाम पर कई योजनाएं और अभियान चलाए जा रहे हैं.
वहीं, मामले पर जिम्मेदार अधिकारियों को अभी तक इसकी जानकारी नहीं है. आपदा प्रबधंन अधिकारी देवेंद्र पटवाल का कहना है कि मामला अभी संज्ञान में आया है. पहले भी आयोग के दिशा-निर्देश पर गंदगी, प्लास्टिक के निपटान और सीवरेज की व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिये जा चुके हैं. व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे हैं.
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ऐसे में सवाल उठना भी लाजिमी है कि 150 से 180 किमी दूर जिला मुख्यालय में बैठे आलाअधिकारियों को इसकी कैसे जानकारी होगी? लाखों करोड़ों लोगों की आस्था के साथ यमुना के मायके में ही खिलवाड़ किया जा रहा है.