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निजी स्कूल की मनमानी: बदले की भावना से KG के छात्र को निकाला, बाल आयोग पहुंचा मामला

बच्चे के पिता का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने बदले की भावना से बिना नोटिस दिए उनके बेटे को निकाल दिया है. इस मामले में बाल संरक्षण आयोग ने मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून को जांच के आदेश दिए है.

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Published : Jul 17, 2019, 10:59 AM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी किस तरह से पूरे सरकारी सिस्टम पर हावी है. इसका ताजा उदाहरण मंगलवार को सामने आया. आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने केजी क्लास के छात्र को बदले की भावना से निष्कासित कर दिया. बच्चे के पिता ने इस मामले की शिकायत बाल आयोग से की है. बाल आयोग ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं.

दरअसल, 12 मई 2019 को प्रेमनगर थाना क्षेत्र के भाऊवाला गांव में स्थित दून हेरिटेज स्कूल की बस से केजी क्लास छात्र गिर गया था. जिससे उसके चेहरे पर गंभीर चोट आई थी. उस समय स्कूल प्रबंधन पर आरोप भी लगा था कि उन्होंने इस मामले को दबाने की कोशिश की. वहीं मीडिया में खबर आने बाद बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने इस मामले का संज्ञान लिया था.

पढ़ें- बारिश के चलते यात्रियों की संख्या में कमी, लंबे रूट की कई बसें की गई बंद

इस मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पर 23 मई को थाना प्रेम नगर में किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. आयोग ने इस मामले में सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग से घटना की शिकायत भी की थी. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग को एक शपथ पत्र दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा और भविष्य में इस तरह की गलती नहीं दोहराई जाएगी. लेकिन अब बच्चे के पिता का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने बदले की भावना से बिना नोटिस दिए उनके बेटे को निकाल दिया है.

छात्र के पिता ने बाल संरक्षण आयोग से इसकी शिकायत भी की है. जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र द्वारा निर्देशित करते हुए इस मामले की जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें- मामूली विवाद के बाद संदिग्ध परिस्थियों में महिला की मौत, घर के लोगों पर शक की सूई

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को 5 बिंदुओं पर स्कूल के दस्तावेजों के अनुसार जांच करते हुए 15 दिनों में रिपोर्ट प्रेषित करने का आदेश गया है.

  1. विद्यालय को संचालित करने वाली संस्था या ट्रस्ट का पंजीकृत प्रमाण पत्र व स्कूल की नियमावली के अनुसार उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  2. स्कूल को आयकर विभाग द्वारा प्रद्धत प्रमाण पत्र की प्रति एवं धारा 12 (क) के अंतर्गत दिए गए उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  3. स्कूल को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रति एवं उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  4. स्कूल को सीबीईएसई या आईसीएससी बोर्ड द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र व नियमावली के उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  5. बालक के अभिभावकों की बिना सहमति स्कूल से निष्कासन के संबंध में नियमानुसार जांच.

देहरादून: राजधानी देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी किस तरह से पूरे सरकारी सिस्टम पर हावी है. इसका ताजा उदाहरण मंगलवार को सामने आया. आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने केजी क्लास के छात्र को बदले की भावना से निष्कासित कर दिया. बच्चे के पिता ने इस मामले की शिकायत बाल आयोग से की है. बाल आयोग ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं.

दरअसल, 12 मई 2019 को प्रेमनगर थाना क्षेत्र के भाऊवाला गांव में स्थित दून हेरिटेज स्कूल की बस से केजी क्लास छात्र गिर गया था. जिससे उसके चेहरे पर गंभीर चोट आई थी. उस समय स्कूल प्रबंधन पर आरोप भी लगा था कि उन्होंने इस मामले को दबाने की कोशिश की. वहीं मीडिया में खबर आने बाद बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने इस मामले का संज्ञान लिया था.

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इस मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पर 23 मई को थाना प्रेम नगर में किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था. आयोग ने इस मामले में सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग से घटना की शिकायत भी की थी. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग को एक शपथ पत्र दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा और भविष्य में इस तरह की गलती नहीं दोहराई जाएगी. लेकिन अब बच्चे के पिता का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने बदले की भावना से बिना नोटिस दिए उनके बेटे को निकाल दिया है.

छात्र के पिता ने बाल संरक्षण आयोग से इसकी शिकायत भी की है. जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र द्वारा निर्देशित करते हुए इस मामले की जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

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उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को 5 बिंदुओं पर स्कूल के दस्तावेजों के अनुसार जांच करते हुए 15 दिनों में रिपोर्ट प्रेषित करने का आदेश गया है.

  1. विद्यालय को संचालित करने वाली संस्था या ट्रस्ट का पंजीकृत प्रमाण पत्र व स्कूल की नियमावली के अनुसार उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  2. स्कूल को आयकर विभाग द्वारा प्रद्धत प्रमाण पत्र की प्रति एवं धारा 12 (क) के अंतर्गत दिए गए उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  3. स्कूल को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रति एवं उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  4. स्कूल को सीबीईएसई या आईसीएससी बोर्ड द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र व नियमावली के उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.
  5. बालक के अभिभावकों की बिना सहमति स्कूल से निष्कासन के संबंध में नियमानुसार जांच.
Intro:pls नोट डेस्क- इस खबर से संबंधित सभी पेपर्स ई-मेल द्वारा भेजे गए हैं।


summary_ देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी जारी, आरोप हैं कि 2 माह पहले स्कूल बस से गिरने वाले KG के छात्र को बदले की भावना पर स्कूल से जबरन निकाला गया, स्कूल रवैया को लेकर पीड़ित पिता ने बाल आयोग से की शिकायत, आयोग ने मुख्य शिक्षा अधिकारी से जांच कर मांगी रिपोर्ट।

देहरादून में निजी स्कूलों की मनमानी किस तरह से पूरे सरकारी सिस्टम पर हावी है इसका ताजा उदाहरण मंगलवार को सामने आया... जब आरोप अनुसार स्कूल ने बदले की भावना से KG कक्षा में पढ़ने वाले मासूम छात्र को स्कूल से जबरन निष्कासित फरमान जारी कर दिया .. दरसल 12 मई 2019 को थाना प्रेमनगर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भाऊवाला गाँव स्थित "दून हैरिटेज" स्कूल बस से गिरने वाले K.g के छात्र मामलें पर संबंधित विभाग द्वारा स्कूल के ख़िलाफ़ कार्रवाई से नाराज होते हुए स्कूल प्रबंधन ने मंगलवार k.g. कक्षा में पढ़ने वाले छात्र को आरोप के तहत स्कूल से जबरन निष्कासित कर दिया। स्कूल के इस मनमानी रवैया को देख पीड़ित छात्र के पिता ने बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की। जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग ने देहरादून मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र द्वारा निर्देशित करते हुए इस मामले की जांच पड़ताल कर 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।


उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को इन 5 बिंदुओं पर स्कूल के दस्तावेजों के अनुसार जांच करते हुए आयोग को 15 दिनों में रिपोर्ट प्रेषित करने का आदेश हुआ है।

1- विद्यालय को संचालित करने वाली संस्था या ट्रस्ट का पंजीकृत प्रमाण पत्र व स्कूल की नियमावली के अनुसार उद्देश्यों की पूर्ति की जांच।
2- स्कूल को आयकर विभाग द्वारा प्रद्धत प्रमाण पत्र की प्रति एवं धारा 12 (क) के अंतर्गत दिए गए उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.

3- स्कूल को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा प्रद्धत अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रति एवं उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.

4- स्कूल को सीबीईएसई आईसीएससी बोर्ड द्वारा प्रद्धत
अनापत्ति प्रमाण पत्र व नियमावली के उद्देश्यों की पूर्ति की जांच.

5- बालक के अभिभावकों की बिना सहमति स्कूल से निष्कासन के संबंध में नियमानुसार जांच.




Body: स्कूल ने बदले की भावना से की बच्चे को निष्कासित करने की कार्रवाई: अभिवाहक

2 माह पहले भाऊवाला स्थित एक निजी स्कूल के बस चालक की लापरवाही से KG में पढ़ने वाला मासूम छात्र बस गिर गया जिसके चलते उसके चेहरे पर चोटे आई गनीमत रहा कि वो बाल बाल बच गया। इतना ही नहीं इस घटना की जानकारी स्कूल द्वारा छुपाने का भी आरोप हैं। उधर इस घटना की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए इस मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पर 23 मई को थाना प्रेमनगर में किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया। आयोग ने इस मामले में सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग घटना के संबंधित शिकायत की। जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सीबीएसई बोर्ड व परिवहन विभाग के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार पालन करते हुए स्कूल वाहन संबंधी सुरक्षा निर्देशों के एवज में भविष्य में इस तरह की गलती ना दोहराने को लेकर बाल आयोग को शपथ पत्र प्रेषित किया।
उधर इन सब कार्रवाई के बाद लगभग 2 माह तक ग्रीष्म काल के लिए स्कूल बंद रहे और उसके बाद सोमवार स्कूल खुलने के बाद आरोप हैं कि, मंगलवार पीड़ित छात्र को स्कूल से निष्कासित करने का फरमान जारी किया गया।




Conclusion:पीड़ित पिता ने बाल आयोग से की न्याय की मांग

उधर इस मामले में पीड़ित पिता का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा इस पूरे घटनाक्रम में बदले की भावना के दृष्टिगत बच्चे को स्कूल से जबरन निष्कासित करने का काम किया गया है,जबकि स्कूल प्रबंधन द्वारा इस बारे में अभिभावकों को किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में साल के बीच में पढ़ाई के आधे कोर्स के बाद बच्चा दूसरे स्कूल में जाने असमर्थ है।
पीड़ित पिता ने इस मामले में उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग को स्कूल की मनमानी रवैया के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है।



pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628












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