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पंचकोशी वारुणी यात्रा का आयोजन, असुविधाओं को लेकर लोगों में रोष

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Published : Apr 3, 2019, 3:46 AM IST

ज्ञानजा गांव की ग्राम प्रधान ने बताया कि यात्रा के लिए प्रशासन से पेयजल, स्वास्थ्य विभाग से मेडिकल की सुविधा और वन विभाग से रास्तों में छतरी की व्यवस्था की मांग की गई थी, लेकिन किसी भी विभाग ने कोई व्यवस्था नहीं की.

पंचकोशी वारुणी यात्रा का आयोजन

उत्तरकाशी: त्रयोदशी के अवसर उत्तरकाशी में पंचकोशी वारुणी यात्रा का आयोजन किया गया. इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी घाट से गंगाजल भरकर वरुणावत पर्वत की तलहटी पर बसे गांव के ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर में जल अर्पित कर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया. तो वहीं, यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को लेकर स्थानीय निवासियों ने प्रशसान के खिलाफ रोष प्रकट किया.

पढ़ें- लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डालेंगे इस गांव के लोग, ये है वजह

ज्ञानजा गांव की ग्राम प्रधान राजकुमारी देवी ने बताया कि यात्रा के लिए प्रशासन से पेयजल, स्वास्थ्य विभाग से मेडिकल की सुविधा और वन विभाग से रास्तों में छतरी की व्यवस्था की मांग की गई थी, लेकिन किसी भी विभाग ने कोई व्यवस्था नहीं की. जिससे यात्रा के दौरान यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.

ग्राम प्रधान ने बताया कि जिले की यह सबसे बड़ी पैदल यात्रा है लेकिन प्रशासन इस यात्रा को लेकर लगातार अनदेखा कर रहा है, जिसकी वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

बता दें, पंचकोशी वारुणी यात्रा वरुणा नदी में स्नान के साथ शुरू होती है. इस यात्रा के दौरान वरुणावत पर्वत की परिक्रमा की जाती है. जिससे 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और इस यात्रा को जो तीन बार लगातार करता है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

उत्तरकाशी: त्रयोदशी के अवसर उत्तरकाशी में पंचकोशी वारुणी यात्रा का आयोजन किया गया. इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी घाट से गंगाजल भरकर वरुणावत पर्वत की तलहटी पर बसे गांव के ज्ञानेश्वर महादेव मंदिर में जल अर्पित कर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया. तो वहीं, यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को लेकर स्थानीय निवासियों ने प्रशसान के खिलाफ रोष प्रकट किया.

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ज्ञानजा गांव की ग्राम प्रधान राजकुमारी देवी ने बताया कि यात्रा के लिए प्रशासन से पेयजल, स्वास्थ्य विभाग से मेडिकल की सुविधा और वन विभाग से रास्तों में छतरी की व्यवस्था की मांग की गई थी, लेकिन किसी भी विभाग ने कोई व्यवस्था नहीं की. जिससे यात्रा के दौरान यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.

ग्राम प्रधान ने बताया कि जिले की यह सबसे बड़ी पैदल यात्रा है लेकिन प्रशासन इस यात्रा को लेकर लगातार अनदेखा कर रहा है, जिसकी वजह से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

बता दें, पंचकोशी वारुणी यात्रा वरुणा नदी में स्नान के साथ शुरू होती है. इस यात्रा के दौरान वरुणावत पर्वत की परिक्रमा की जाती है. जिससे 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और इस यात्रा को जो तीन बार लगातार करता है तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

Intro:हेडलाइन- धार्मिक पौराणिक वारुणी यात्रा। Uk_uttarkashi_vipin negi_spritiual varuni yaatra_02 april 2019. उत्तरकाशी। हर वर्ष जनपद में आयोजित होने वारुणी(पंचकोशी यात्रा) का आयोजन मंगलवार को त्रयोदशी के अवसर पर किया गया। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी घाट से गंगाजल भर वरुणावत की तलहटी पर बसे गांव के मंदिरों में जल अर्पित कर भगवान शिव का आशीर्वाद लिया। वरुणावत पर्वत की परिक्रमा की इस पंचकोशी यात्रा में 33 कोटि देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और 3 बार जो इस यात्रा को लगातार करता है। उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही प्रशासन की और से यात्रा के दौरान न मिलने वाली सुविधाओं पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने रोष प्रकट किया। कहा कि यह जनपद की सबसे बड़ी पैदल यात्रा है। लेकिन फिर भी यात्रियों की सुविधा के लिए सम्बन्धित विभागों ने किसी प्रकार की व्यवस्थाएं नहीं की।


Body:वीओ-1, कहीं सड़क,तो कही खेतो के बीच और साथ बांज बुरांश के जंगलों के बीच होती है। वारुणी (पंचकोशी यात्रा) । श्रद्धालु त्रिवेणी घाट से जल भरते हैं और उसके बाद बसूँगा में वरुणेश्वर महादेव,कण्डार देवता सहित सालड गांव में भगवान जग्गनाथ उसके बाद ऊंचाई पर बसे ज्ञानजा गांव में भगवान शिंखलेश्वर,ज्वाला माँ और बांज बुरांश के जंगलों में बसे शिंखलेश्वर महादेव का दर्शन श्रद्धालु करते हैं। उसके बाद संग्राली गांव में विमलेश्वर महादेव और पाटा गांव में कण्डार देवता के दर्शन श्रद्धालु करते हैं। यह यात्रा गंगोरी में संगम पर समाप्त होती है। यह सब मंदिर वरुणावत पर्वत पर बसे हैं। इस यात्रा का वर्णन केदारखंड में किया गया है।


Conclusion:वीओ-2, इस यात्रा में बसूँगा,सालड,ज्ञानजा,संग्राली,पाटा, गंगोरी के ग्रामीण निःस्वार्थ भाव से पंचकोशी यात्रा में यात्रियों की सेवा करते हैं। प्रत्येक मन्दिर सहित घरों में ग्रामीण यात्रियों के लिए फलाहार,दही मट्ठा की व्यवस्था रखते हैं। ग्राम प्रधान ज्ञानजा राजकुमारी देवी ने बताया कि यात्रा के लिए प्रशासन से पेयजल,स्वास्थ और वन विभाग से रास्तों में छतरी की व्यवस्था की मांग की गई थी। लेकिन सम्बन्धित विभागों की और से किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई थी। जिससे ग्रामीणों और यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। बाईट- राजकुमारी पंवार,प्रधान ज्ञानजा। बाईट- वारुणी यात्री।
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