उत्तरकाशी: तेज बारिश के कारण आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोटिगाड़ में 18 अगस्त को जलप्रलय ने ऐसी तबाही मचाई कि ग्रामीण अभी तक सदमे से उभर नहीं पाए हैं. वहीं, आपदा के 16 दिन बाद भी हालात तज के जस हैं. स्थानीय लोगों के आरोप ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है.
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बता दें कि आराकोट बंगाण में आए जलप्रलय के 16 दिन बाद भी हालात वैसे के वैसे हैं. आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है. ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग के बंगले की 50 मीटर सड़क के लिए विभाग की चार-चार जेसीबी मशीने लगी हैं, लेकिन सड़क अभी मोल्डी से आगे नहीं खुल पाई है. जिस कारण ग्रामीणों के सेब बर्बाद हो गए हैं. तो वही अब ग्रामीणों ने सरकार से सेब के समर्थन मूल्य की मांग की है. इसको देखते हुए महिलाओं के आंसू भी झलक उठे.
प्रशासन की टीम एडीएम तीर्थंपाल के नेतृत्व में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची. जहां पर जलप्रलय के 16 दिन बाद भी सड़क न खुल पाने और मीट्रिक टन सेब बर्बाद होने से गुस्साए लोगों ने प्रशासन का घेराव किया. आपदा प्रभावित महिला ने भावुक होकर कहा कि कैसे अब परिवार चलाएं और कैसे बच्चों का पेट पालें, क्योंकि उनके परिवार का सालभर का खर्च मात्र सेबों पर ही निर्भर है. इस साल सेब नहीं बिके तो परिवार का लालन पोषण करना मुश्किल हो जायेगा.
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वहीं, आपदा प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी अभी तक बरनाली से आगे नहीं बढ़े हैं. ग्रामीण ने कहा कि डीएम को सूचित किया है कि गांव की सड़कें अभी भी नहीं खुली हैं. जिससे स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सड़के नहीं खुल पाने के कारण सेब खेतों में सड़ गए हैं. ग्रामीणों ने सरकार से सेब का समर्थन मूल्य देने की मांग की है.