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उत्तरकाशी आपदा: 16 दिन बाद भी हालत जस के तस, करोड़ों के सेब बर्बाद होने से मुश्किल में ग्रामीण

उत्तरकाशी में आपदा को आए हुए 16 दिन हो गए हैं. फिर भी हालात जस के तस हैं. कई सड़क मार्ग अभी भी बंद हैं, जिससे करोड़ों के सेब बर्बाद हो रहे हैं.

आपदा के 16 दिन बाद भी हालत जस के तस
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Published : Sep 3, 2019, 9:12 PM IST

उत्तरकाशी: तेज बारिश के कारण आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोटिगाड़ में 18 अगस्त को जलप्रलय ने ऐसी तबाही मचाई कि ग्रामीण अभी तक सदमे से उभर नहीं पाए हैं. वहीं, आपदा के 16 दिन बाद भी हालात तज के जस हैं. स्थानीय लोगों के आरोप ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है.

पढ़ें:शाहजहांपुर मामला : स्वामी चिन्मयानंद पर लगे आरोपों की जांच के लिए SIT का गठन

बता दें कि आराकोट बंगाण में आए जलप्रलय के 16 दिन बाद भी हालात वैसे के वैसे हैं. आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है. ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग के बंगले की 50 मीटर सड़क के लिए विभाग की चार-चार जेसीबी मशीने लगी हैं, लेकिन सड़क अभी मोल्डी से आगे नहीं खुल पाई है. जिस कारण ग्रामीणों के सेब बर्बाद हो गए हैं. तो वही अब ग्रामीणों ने सरकार से सेब के समर्थन मूल्य की मांग की है. इसको देखते हुए महिलाओं के आंसू भी झलक उठे.

उत्तरकाशी में बढ़ी ग्रामीणों की मुश्किलें

प्रशासन की टीम एडीएम तीर्थंपाल के नेतृत्व में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची. जहां पर जलप्रलय के 16 दिन बाद भी सड़क न खुल पाने और मीट्रिक टन सेब बर्बाद होने से गुस्साए लोगों ने प्रशासन का घेराव किया. आपदा प्रभावित महिला ने भावुक होकर कहा कि कैसे अब परिवार चलाएं और कैसे बच्चों का पेट पालें, क्योंकि उनके परिवार का सालभर का खर्च मात्र सेबों पर ही निर्भर है. इस साल सेब नहीं बिके तो परिवार का लालन पोषण करना मुश्किल हो जायेगा.

पढ़ें:भारतीय छात्र की लंदन में मौत, तेलंगाना में बीजेपी नेता हैं पिता

वहीं, आपदा प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी अभी तक बरनाली से आगे नहीं बढ़े हैं. ग्रामीण ने कहा कि डीएम को सूचित किया है कि गांव की सड़कें अभी भी नहीं खुली हैं. जिससे स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सड़के नहीं खुल पाने के कारण सेब खेतों में सड़ गए हैं. ग्रामीणों ने सरकार से सेब का समर्थन मूल्य देने की मांग की है.

उत्तरकाशी: तेज बारिश के कारण आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोटिगाड़ में 18 अगस्त को जलप्रलय ने ऐसी तबाही मचाई कि ग्रामीण अभी तक सदमे से उभर नहीं पाए हैं. वहीं, आपदा के 16 दिन बाद भी हालात तज के जस हैं. स्थानीय लोगों के आरोप ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है.

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बता दें कि आराकोट बंगाण में आए जलप्रलय के 16 दिन बाद भी हालात वैसे के वैसे हैं. आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों की पोल खोल कर रख दी है. ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग के बंगले की 50 मीटर सड़क के लिए विभाग की चार-चार जेसीबी मशीने लगी हैं, लेकिन सड़क अभी मोल्डी से आगे नहीं खुल पाई है. जिस कारण ग्रामीणों के सेब बर्बाद हो गए हैं. तो वही अब ग्रामीणों ने सरकार से सेब के समर्थन मूल्य की मांग की है. इसको देखते हुए महिलाओं के आंसू भी झलक उठे.

उत्तरकाशी में बढ़ी ग्रामीणों की मुश्किलें

प्रशासन की टीम एडीएम तीर्थंपाल के नेतृत्व में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची. जहां पर जलप्रलय के 16 दिन बाद भी सड़क न खुल पाने और मीट्रिक टन सेब बर्बाद होने से गुस्साए लोगों ने प्रशासन का घेराव किया. आपदा प्रभावित महिला ने भावुक होकर कहा कि कैसे अब परिवार चलाएं और कैसे बच्चों का पेट पालें, क्योंकि उनके परिवार का सालभर का खर्च मात्र सेबों पर ही निर्भर है. इस साल सेब नहीं बिके तो परिवार का लालन पोषण करना मुश्किल हो जायेगा.

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वहीं, आपदा प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी अभी तक बरनाली से आगे नहीं बढ़े हैं. ग्रामीण ने कहा कि डीएम को सूचित किया है कि गांव की सड़कें अभी भी नहीं खुली हैं. जिससे स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सड़के नहीं खुल पाने के कारण सेब खेतों में सड़ गए हैं. ग्रामीणों ने सरकार से सेब का समर्थन मूल्य देने की मांग की है.

Intro:आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोटिगाड़ में बीती 18 अगस्त को जलप्रलय ने ऐसी तबाही मचाई की अभी भी ग्रामीण इससे नहीं उभर पाए हैं। तो वहीं आपदा के 16 दिन भी हालात नहीं सुधरे हैं। ग्रामीणों की माने तो प्रशासन मात्र कुछ दूरियों तक भी पहुंच पाया। उत्तरकाशी। बीती 18 अगस्त को आराकोट बंगाण में आई जलप्रलय के 16 दिन बाद कोटिगाड़ क्षेत्र में आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने प्रशासन के राहत और बचाव कार्यों में हो रहे कार्यों की पोल खोल कर रख दी है। ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग के बंगले की 50 मीटर सड़क के लिए विभाग की चार-चार जेसीबी लगा रखी है। लेकिन सड़क अभी मोल्डी से आगे नहीं खुल पाई है। जिस कारण ग्रामीणों के सेब बर्बाद हो गए हैं। तो वहीं अब सेब बागवानों ने सरकार सेब के समर्थन मूल्य की मांग की है। तो वहीं महिलाओं के आंसू झलक उठे। Body:वीओ-1, प्रशासन की टीम एडीएम तीर्थपाल के नेतृत्व में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। जहां पर जलप्रलय के 16 दिन बाद भी सड़क न खुल पाने और गांव- गांव में बर्बाद हो रहे कई मीट्रिक टन सेब से गुस्साए लोगों ने प्रशासन की टीम का घेराव किया। साथ ही स्थानीय महिलाओं का दर्द प्रशासन के सामने आंशुओ के रुप में दिखा। आपदा प्रभावित महिला भावुक हो उठी और बोली कि कैसे अब परिवार चलाएं, कैसे बच्चों का पेट पालें। क्योंकि उनके परिवार का साल भर का खर्चा मात्र सेबों पर ही निर्भर है। लेकिन इस साल सेब नहीं बिके। तो परिवार का लालन पोषण करना मुश्किल हो गया है। Conclusion:वीओ-2, वहीं आपदा प्रभावित ग्रामीण का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी अभी तक बरनाली से आगे नहीं बढ़े हैं। ग्रामीण ने कहा कि उन्होंने डीएम उत्तरकाशी को भी कहा था कि बरनाला तक तो ट्रेलर है। पिक्चर तो अभी पूरी आपदा प्रभावित वो गांव दिखा रहे हैं। जहां सड़के नहीं खुल पाई है। सेब खेतों में सड़ गए हैं। वहीं ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि सेबों का समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाए और काश्तकारों को दिया जाए। बाइट- ग्रामीण। बाइट- ग्रामीण 1। बाइट- ग्रामीण 2। बाइट- तीर्थपाल, एडीएम उत्तरकाशी।
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