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इस सीट पर सबसे अधिक महिला वोटर्स लेकिन आजतक नहीं मिला टिकट, पहली बार दिवंगत विधायक की पत्नी ने ठोंकी ताल

साल 2022 विधानसभा चुनाव के के लिए गंगोत्री विधानसभा सीट से दिवंगत विधायक गोपाल रावत की पत्नी शांति रावत ने टिकट की दावेदारी की है. राज्य गठन के बाद यह पहली बार है जब गंगोत्री विधानसभा सीट से किसी महिला प्रत्याशी ने टिकट की दावेदारी की है.

gangotri assembly seat
गोपाल रावत की पत्नी शांति रावत
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Published : Dec 26, 2021, 3:19 PM IST

Updated : Dec 27, 2021, 5:59 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) के लिए दिवंगत विधायक गोपाल रावत (Late MLA Gopal Rawat) की पत्नी शांति रावत ने विधायक पद के लिए दावेदारी की है. शांति रावत कहती है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार महिला प्रत्याशियों पर विश्वास जताएगी. उन्होंने कहा कि बहुत आवश्यक है कि राजनीति में भी महिलाओं को पुरूषों के समकक्ष वरीयता दी जाए.

टिकट देने में पार्टियां दिखीं कंजूस: उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा ही बेहद सीमित रहा है. इसकी बड़ी वजह राष्ट्रीय दलों का महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी बरतना भी है. स्थिति यह है कि एक तरफ विधानसभा में राज्य स्थापना के बाद अब तक कभी महिलाओं के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा 8% भी नहीं पहुंचा है. वहीं, राष्ट्रीय दलों ने टिकट देने में कभी 12% से ज्यादा हिम्मत नहीं दिखाई.

गंगोत्री सीट से दिवंगत गोपाल रावत की पत्नी ने की दावेदारी.

उत्तराखंड में महिलाएं किसी भी सरकार को बनाने के लिए अहम भूमिका में है. राज्य की आधी आबादी सभी विधानसभाओं पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करती हैं. लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय दल महिलाओं को तवज्जों देने में कुछ खास गंभीर नहीं दिखाई देते हैं. स्थिति यह है कि राज्य स्थापना से अब तक हुए 4 विधानसभा चुनाव में कभी भी किसी दल ने 8 से ज्यादा महिला प्रत्याशी नहीं बनाए हैं. इस मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने महिलाओं को टिकट देने में आंकड़ा 5 से 8 के बीच का रखा है.

गंगोत्री विधानसभा का इतिहास: उत्तरकाशी की गंगोत्री विधानसभा से पहली बार किसी महिला प्रत्याशी ने टिकट की दावेदारी की है. शांति रावत दिवंगत विधायक गोपाल रावत की पत्नी हैं. 22 अप्रैल,2021 को गोपाल रावत के निधन से बाद से ही गंगोत्री सीट रिक्त चल रही है. गंगोत्री सीट उस समय भी चर्चा में रही जब पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत को गंगोत्री विधानसभा से ही उपचुनाव लड़ाने की बात उठी लेकिन कोविड के खतरे के कारण चुनाव आयोग ने उपचुनाव की इजाजत नहीं दी.

उत्तरकाशी जनपद की यमुनोत्री विधानसभा पर बीजेपी ने दो बार 2002 और 2007 में ने महिला प्रत्याशियों पर दांव खेला, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई. बीजेपी ने 2002 में सुलोचना गौड़ को टिकट दिया लेकिन कामयाबी नहीं मिली, सुलोचना गौड़ तीसरे नंबर पर रहीं. इस चुनाव में निदर्लयी चुनाव लड़े प्रीतम सिंह पंवार को जीत मिली. यमुनोत्री विधानसभा सीट से बीजेपी ने साल 2007 चुनाव में विमला नौटियाल को टिकट दिया, लेकिन विमला नौटियाल हार गईं. विमला नौटियाल भी तीसरे नंबर पर रहीं. इस चुनाव में जीत कांग्रेस के प्रत्याशी केदार रावत को मिली.

बात करें पुरोला विधानसभा सीट की तो साल 2002 में कांग्रेस ने शांति जुआंठा को टिकट दिया लेकिन शांति जुआंठा हार गईं. जीत बीजेपी प्रत्याशी मालचंद को मिली. बता दें, शांति जुवांठा यूपी में पर्वतीय विकास मंत्री रहे बर्सिया लाल जुवांठा की पत्नी हैं.

महिला नेताओं ने किया समर्थन: साल 2022 में शांति रावत के दावेदारी के बाद अन्य पार्टी की महिला नेताओं ने भी उनका समर्थन किया है. आम आदमी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पुष्पा चौहान कहती हैं कि आज तक प्रदेश में दो राजनीतिक दलों ने महिलाओं को शुरू से ही बड़ी राजनीति से दूर रखा है. यही कारण है कि महिलाओं में काबिलियत होने के बावजूद भी उन्हें सीढ़ी दर सीढ़ी राजनीतिक परिपक्व नहीं किया गया. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शांति ठाकुर कहती हैं कि महिलाओं को 50 प्रतिशत बराबर के दर्जा देने की बात होती है, लेकिन जनपद ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर भी आज भी महिलाओं को बैकफुट पर रखा गया है.

पढ़ें- Uttarakhand Year Ender 2021: उत्तराखंड ने इन 10 खबरों ने बटोरी सुर्खियां, बनीं हेडलाइन

2022 में 40 फीसदी टिकट देने की मांग: उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी महिलाओं ने विधानसभा चुनाव 2022 में 40 फीसदी टिकट देने की मांग की है. महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य महिलाओं को राजनीति में सम्मान जनक भागीदारी दिए जाने की बात कर चुकी हैं. उधर, बीजेपी भी इस बार चुनाव में महिलाओं और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिए जाने बात कर चुकी है.

गंगोत्री सीट से दो बार विधायक रहे गोपाल: कैंसर से ग्रसित चल रहे गंगोत्री विधायक गोपाल रावत ने 22 अप्रैल (गुरुवार) को देहरादून के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. गोपाल रावत गंगोत्री विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक रहे. वो कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में उपचार करवाया. उससे पहले तीन जनवरी को गोपाल रावत को मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद वे देहरादून लौटे और जांच व उपचार के लिए बीच-बीच में मुंबई आते-जाते रहे.

पढ़ें- अपनी ही विधानसभा में घिरे महेश जीना, हुआ विरोध, लगे 'GO BACK' के नारे

पिछले चुनावों के आंकड़ों की बात करें तो उत्तरकाशी जनपद की गंगोत्री, यमुनोत्री और पुरोला विधानसभाओं में महिला मतदाताओं के हाथ में ही प्रत्याशियों का भाग्य कैद होता है. उसके बाद भी आज तक उत्तरकाशी जनपद की इन तीनों सीटों से प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला है. दो सीटों पर पूर्व में महिलाओं टिकट तो मिले लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाई. राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं का मानना है कि अभी भी विधानसभा स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का वह सम्मान महिलाओं को नहीं मिल पाया है, जिसकी हमेशा बात की जाती है.

महिला मतदाताओं की भागीदारी: उत्तरकाशी जनपद में कुल 2 लाख 27 हजार 378 मतदाता हैं, जिसमें से गंगोत्री विधानसभा में 40,278, यमुनोत्री में 35,366 और पुरोला में 34,593 महिला मतदाता हैं. इन तीनों विधानसभाओं में महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है. साल 2012 विधानसभा चुनाव की बात करें तो पुरोला विधानसभा में पुरुषों का मतदान 77.65 प्रतिशत और महिलाओं का 77.84 प्रतिशत रहा. यमुनोत्री में पुरुष 68.11 और महिलाओं का 74.48, जबकि गंगोत्री में पुरुष 66.27 और महिला मतदाताओं के मतदान का 75.10 प्रतिशत रहा था.

वहीं, साल 2017 के विधानसभा चुनाओं की बात करें तो पुरोला से पुरुष मतदान 70.92 प्रतिशत और महिलाओं का 74.59 प्रतिशत मतदान रहा था. यमुनोत्री में पुरुषों का 60.91 प्रतिशत और महिलाओं का 71.87 प्रतिशत, जबकि गंगोत्री में पुरुष मतदाताओं का मतदान 60.06 प्रतिशत और महिलाओं का मतदान प्रतिशत 73.22 प्रतिशत रहा था.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) के लिए दिवंगत विधायक गोपाल रावत (Late MLA Gopal Rawat) की पत्नी शांति रावत ने विधायक पद के लिए दावेदारी की है. शांति रावत कहती है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार महिला प्रत्याशियों पर विश्वास जताएगी. उन्होंने कहा कि बहुत आवश्यक है कि राजनीति में भी महिलाओं को पुरूषों के समकक्ष वरीयता दी जाए.

टिकट देने में पार्टियां दिखीं कंजूस: उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा ही बेहद सीमित रहा है. इसकी बड़ी वजह राष्ट्रीय दलों का महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी बरतना भी है. स्थिति यह है कि एक तरफ विधानसभा में राज्य स्थापना के बाद अब तक कभी महिलाओं के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा 8% भी नहीं पहुंचा है. वहीं, राष्ट्रीय दलों ने टिकट देने में कभी 12% से ज्यादा हिम्मत नहीं दिखाई.

गंगोत्री सीट से दिवंगत गोपाल रावत की पत्नी ने की दावेदारी.

उत्तराखंड में महिलाएं किसी भी सरकार को बनाने के लिए अहम भूमिका में है. राज्य की आधी आबादी सभी विधानसभाओं पर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करती हैं. लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय दल महिलाओं को तवज्जों देने में कुछ खास गंभीर नहीं दिखाई देते हैं. स्थिति यह है कि राज्य स्थापना से अब तक हुए 4 विधानसभा चुनाव में कभी भी किसी दल ने 8 से ज्यादा महिला प्रत्याशी नहीं बनाए हैं. इस मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने महिलाओं को टिकट देने में आंकड़ा 5 से 8 के बीच का रखा है.

गंगोत्री विधानसभा का इतिहास: उत्तरकाशी की गंगोत्री विधानसभा से पहली बार किसी महिला प्रत्याशी ने टिकट की दावेदारी की है. शांति रावत दिवंगत विधायक गोपाल रावत की पत्नी हैं. 22 अप्रैल,2021 को गोपाल रावत के निधन से बाद से ही गंगोत्री सीट रिक्त चल रही है. गंगोत्री सीट उस समय भी चर्चा में रही जब पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत को गंगोत्री विधानसभा से ही उपचुनाव लड़ाने की बात उठी लेकिन कोविड के खतरे के कारण चुनाव आयोग ने उपचुनाव की इजाजत नहीं दी.

उत्तरकाशी जनपद की यमुनोत्री विधानसभा पर बीजेपी ने दो बार 2002 और 2007 में ने महिला प्रत्याशियों पर दांव खेला, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई. बीजेपी ने 2002 में सुलोचना गौड़ को टिकट दिया लेकिन कामयाबी नहीं मिली, सुलोचना गौड़ तीसरे नंबर पर रहीं. इस चुनाव में निदर्लयी चुनाव लड़े प्रीतम सिंह पंवार को जीत मिली. यमुनोत्री विधानसभा सीट से बीजेपी ने साल 2007 चुनाव में विमला नौटियाल को टिकट दिया, लेकिन विमला नौटियाल हार गईं. विमला नौटियाल भी तीसरे नंबर पर रहीं. इस चुनाव में जीत कांग्रेस के प्रत्याशी केदार रावत को मिली.

बात करें पुरोला विधानसभा सीट की तो साल 2002 में कांग्रेस ने शांति जुआंठा को टिकट दिया लेकिन शांति जुआंठा हार गईं. जीत बीजेपी प्रत्याशी मालचंद को मिली. बता दें, शांति जुवांठा यूपी में पर्वतीय विकास मंत्री रहे बर्सिया लाल जुवांठा की पत्नी हैं.

महिला नेताओं ने किया समर्थन: साल 2022 में शांति रावत के दावेदारी के बाद अन्य पार्टी की महिला नेताओं ने भी उनका समर्थन किया है. आम आदमी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पुष्पा चौहान कहती हैं कि आज तक प्रदेश में दो राजनीतिक दलों ने महिलाओं को शुरू से ही बड़ी राजनीति से दूर रखा है. यही कारण है कि महिलाओं में काबिलियत होने के बावजूद भी उन्हें सीढ़ी दर सीढ़ी राजनीतिक परिपक्व नहीं किया गया. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शांति ठाकुर कहती हैं कि महिलाओं को 50 प्रतिशत बराबर के दर्जा देने की बात होती है, लेकिन जनपद ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर भी आज भी महिलाओं को बैकफुट पर रखा गया है.

पढ़ें- Uttarakhand Year Ender 2021: उत्तराखंड ने इन 10 खबरों ने बटोरी सुर्खियां, बनीं हेडलाइन

2022 में 40 फीसदी टिकट देने की मांग: उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी महिलाओं ने विधानसभा चुनाव 2022 में 40 फीसदी टिकट देने की मांग की है. महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य महिलाओं को राजनीति में सम्मान जनक भागीदारी दिए जाने की बात कर चुकी हैं. उधर, बीजेपी भी इस बार चुनाव में महिलाओं और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिए जाने बात कर चुकी है.

गंगोत्री सीट से दो बार विधायक रहे गोपाल: कैंसर से ग्रसित चल रहे गंगोत्री विधायक गोपाल रावत ने 22 अप्रैल (गुरुवार) को देहरादून के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. गोपाल रावत गंगोत्री विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक रहे. वो कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में उपचार करवाया. उससे पहले तीन जनवरी को गोपाल रावत को मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद वे देहरादून लौटे और जांच व उपचार के लिए बीच-बीच में मुंबई आते-जाते रहे.

पढ़ें- अपनी ही विधानसभा में घिरे महेश जीना, हुआ विरोध, लगे 'GO BACK' के नारे

पिछले चुनावों के आंकड़ों की बात करें तो उत्तरकाशी जनपद की गंगोत्री, यमुनोत्री और पुरोला विधानसभाओं में महिला मतदाताओं के हाथ में ही प्रत्याशियों का भाग्य कैद होता है. उसके बाद भी आज तक उत्तरकाशी जनपद की इन तीनों सीटों से प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला है. दो सीटों पर पूर्व में महिलाओं टिकट तो मिले लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाई. राजनीतिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं का मानना है कि अभी भी विधानसभा स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का वह सम्मान महिलाओं को नहीं मिल पाया है, जिसकी हमेशा बात की जाती है.

महिला मतदाताओं की भागीदारी: उत्तरकाशी जनपद में कुल 2 लाख 27 हजार 378 मतदाता हैं, जिसमें से गंगोत्री विधानसभा में 40,278, यमुनोत्री में 35,366 और पुरोला में 34,593 महिला मतदाता हैं. इन तीनों विधानसभाओं में महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है. साल 2012 विधानसभा चुनाव की बात करें तो पुरोला विधानसभा में पुरुषों का मतदान 77.65 प्रतिशत और महिलाओं का 77.84 प्रतिशत रहा. यमुनोत्री में पुरुष 68.11 और महिलाओं का 74.48, जबकि गंगोत्री में पुरुष 66.27 और महिला मतदाताओं के मतदान का 75.10 प्रतिशत रहा था.

वहीं, साल 2017 के विधानसभा चुनाओं की बात करें तो पुरोला से पुरुष मतदान 70.92 प्रतिशत और महिलाओं का 74.59 प्रतिशत मतदान रहा था. यमुनोत्री में पुरुषों का 60.91 प्रतिशत और महिलाओं का 71.87 प्रतिशत, जबकि गंगोत्री में पुरुष मतदाताओं का मतदान 60.06 प्रतिशत और महिलाओं का मतदान प्रतिशत 73.22 प्रतिशत रहा था.

Last Updated : Dec 27, 2021, 5:59 PM IST
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