काशीपुर: आज हम आपको ऐसी हकीकत से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने या तो कहानियों में सुना होगा या फिल्मों में देखा होगा. जी हां ठीक सुना आपने. हम आपको आज भूतिया हॉस्पिटल के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां जाने की हिम्मत कोई नहीं करता. आज हम भूतिया हॉस्पिटल के हर राज से पर्दा उठाएंगे. जिसे आप जानना और सुनना चाहते हैं.
जी हां हम बात कर रहे हैं काशीपुर के बीचों-बीच स्थित सीतापुर आंखों के अस्पताल की. जिसे स्थानीय लोग भूतिया बंगला कहते हैं, जो आज जर्जर हालत में है. जिसका उद्घाटन तक नहीं हो सका. दरअसल, जब उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी थे. तब उन्होंने इस जमीन को सीतापुर आंख ट्रस्ट को दान कर दी थी और इसके निर्माण के लिए 25 से 30 लाख रुपए भी दिए थे. लेकिन जब ये अस्पताल बनकर तैयार हुआ तो कोई नहीं जानता था कि अस्पताल एक नया इतिहास लिखने जा रहा है.
एन डी तिवारी की बड़ी इच्छा थी कि इस अस्पताल का उद्धाटन किसी बड़े नेता के हाथ से हो. जिसके लिए खुद तिवारी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी को काशीपुर आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन कुछ समय के बाद ही उनकी हत्या कर दी गयी. जिससे इसका उद्धाटन नहीं हो सका. फिर बाद में तिवारी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी बुलाने का प्रयास किया गया. उन्होंने इसके लिए हामी भी कर दी थी, लेकिन कुछ समय बाद वे भी इस दुनिया को अलविदा कह गए. उस समय तिवारी इन सब बातों से बिल्कुल अनजान थे कि आखिर इस अस्पताल का उद्धाटन क्यों नहीं हो पा रहा है. फिर कुछ समय के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने तिवारी जी का न्योता स्वीकार किया.
लेकिन उनकी भी विदेश में ही आकस्मिक मौत हो गई. जिसके बाद इन सब के पीछे इस अस्पताल का मिथक शुरू हो गया कि इस अस्पताल के लिए जो भी नेता आगे आएगा, वह दुनिया को ही अलविदा कह देगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय हॉस्पिटल के कमरों से घुंघरू और डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक सीतापुर आंखों के अस्पताल में आत्माओं का साया मंडराता है और जो कोई भी रात के समय यहां आता है उसे डरावनी आवाज सुनाई देती है. लेकिन इस खबर में ईटीवी भारत का किसी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है. जो भी हॉस्पिटल के बारे में कहानी बयां की जा रही है वे स्थानीय लोगों का मानना है.