ETV Bharat / state

इस अस्पताल में कोई नहीं जाना चाहता, वजह जानकर आप भी थर-थर कांपने लगेंगे, इंदिरा गांधी से भी जुड़ी हैं यादें

काशीपुर के बीचों-बीच स्थित सीतापुर आंखों के अस्पताल की. जिसे स्थानीय लोग भूतिया बंगला कहते हैं, जो आज जर्जर हालत में है. जिसका उद्घाटन तक नहीं हो सका. जहां जाने से आज भी लोग कतराते हैं.

हॉस्पिटल में जाने से कतराते हैं लोग.
author img

By

Published : May 12, 2019, 2:23 PM IST

Updated : May 12, 2019, 5:31 PM IST

काशीपुर: आज हम आपको ऐसी हकीकत से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने या तो कहानियों में सुना होगा या फिल्मों में देखा होगा. जी हां ठीक सुना आपने. हम आपको आज भूतिया हॉस्पिटल के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां जाने की हिम्मत कोई नहीं करता. आज हम भूतिया हॉस्पिटल के हर राज से पर्दा उठाएंगे. जिसे आप जानना और सुनना चाहते हैं.

भूतिया अस्पताल के नाम से है फेमस.
चलिए आज आपको एक ऐसे भूतिया हॉस्पिटल के बारे में बताते हैं, जहां जानें के लिए हर शख्स का कलेजा कांप उठाता है. स्थानीय लोग आत्मा को देखे जाने का दावा भी करते हैं. जो आज भी पहेली बना हुआ है.

जी हां हम बात कर रहे हैं काशीपुर के बीचों-बीच स्थित सीतापुर आंखों के अस्पताल की. जिसे स्थानीय लोग भूतिया बंगला कहते हैं, जो आज जर्जर हालत में है. जिसका उद्घाटन तक नहीं हो सका. दरअसल, जब उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी थे. तब उन्होंने इस जमीन को सीतापुर आंख ट्रस्ट को दान कर दी थी और इसके निर्माण के लिए 25 से 30 लाख रुपए भी दिए थे. लेकिन जब ये अस्पताल बनकर तैयार हुआ तो कोई नहीं जानता था कि अस्पताल एक नया इतिहास लिखने जा रहा है.

एन डी तिवारी की बड़ी इच्छा थी कि इस अस्पताल का उद्धाटन किसी बड़े नेता के हाथ से हो. जिसके लिए खुद तिवारी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी को काशीपुर आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन कुछ समय के बाद ही उनकी हत्या कर दी गयी. जिससे इसका उद्धाटन नहीं हो सका. फिर बाद में तिवारी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी बुलाने का प्रयास किया गया. उन्होंने इसके लिए हामी भी कर दी थी, लेकिन कुछ समय बाद वे भी इस दुनिया को अलविदा कह गए. उस समय तिवारी इन सब बातों से बिल्कुल अनजान थे कि आखिर इस अस्पताल का उद्धाटन क्यों नहीं हो पा रहा है. फिर कुछ समय के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने तिवारी जी का न्योता स्वीकार किया.

लेकिन उनकी भी विदेश में ही आकस्मिक मौत हो गई. जिसके बाद इन सब के पीछे इस अस्पताल का मिथक शुरू हो गया कि इस अस्पताल के लिए जो भी नेता आगे आएगा, वह दुनिया को ही अलविदा कह देगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय हॉस्पिटल के कमरों से घुंघरू और डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक सीतापुर आंखों के अस्पताल में आत्माओं का साया मंडराता है और जो कोई भी रात के समय यहां आता है उसे डरावनी आवाज सुनाई देती है. लेकिन इस खबर में ईटीवी भारत का किसी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है. जो भी हॉस्पिटल के बारे में कहानी बयां की जा रही है वे स्थानीय लोगों का मानना है.

काशीपुर: आज हम आपको ऐसी हकीकत से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने या तो कहानियों में सुना होगा या फिल्मों में देखा होगा. जी हां ठीक सुना आपने. हम आपको आज भूतिया हॉस्पिटल के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां जाने की हिम्मत कोई नहीं करता. आज हम भूतिया हॉस्पिटल के हर राज से पर्दा उठाएंगे. जिसे आप जानना और सुनना चाहते हैं.

भूतिया अस्पताल के नाम से है फेमस.
चलिए आज आपको एक ऐसे भूतिया हॉस्पिटल के बारे में बताते हैं, जहां जानें के लिए हर शख्स का कलेजा कांप उठाता है. स्थानीय लोग आत्मा को देखे जाने का दावा भी करते हैं. जो आज भी पहेली बना हुआ है.

जी हां हम बात कर रहे हैं काशीपुर के बीचों-बीच स्थित सीतापुर आंखों के अस्पताल की. जिसे स्थानीय लोग भूतिया बंगला कहते हैं, जो आज जर्जर हालत में है. जिसका उद्घाटन तक नहीं हो सका. दरअसल, जब उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी थे. तब उन्होंने इस जमीन को सीतापुर आंख ट्रस्ट को दान कर दी थी और इसके निर्माण के लिए 25 से 30 लाख रुपए भी दिए थे. लेकिन जब ये अस्पताल बनकर तैयार हुआ तो कोई नहीं जानता था कि अस्पताल एक नया इतिहास लिखने जा रहा है.

एन डी तिवारी की बड़ी इच्छा थी कि इस अस्पताल का उद्धाटन किसी बड़े नेता के हाथ से हो. जिसके लिए खुद तिवारी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी को काशीपुर आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन कुछ समय के बाद ही उनकी हत्या कर दी गयी. जिससे इसका उद्धाटन नहीं हो सका. फिर बाद में तिवारी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी बुलाने का प्रयास किया गया. उन्होंने इसके लिए हामी भी कर दी थी, लेकिन कुछ समय बाद वे भी इस दुनिया को अलविदा कह गए. उस समय तिवारी इन सब बातों से बिल्कुल अनजान थे कि आखिर इस अस्पताल का उद्धाटन क्यों नहीं हो पा रहा है. फिर कुछ समय के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने तिवारी जी का न्योता स्वीकार किया.

लेकिन उनकी भी विदेश में ही आकस्मिक मौत हो गई. जिसके बाद इन सब के पीछे इस अस्पताल का मिथक शुरू हो गया कि इस अस्पताल के लिए जो भी नेता आगे आएगा, वह दुनिया को ही अलविदा कह देगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय हॉस्पिटल के कमरों से घुंघरू और डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक सीतापुर आंखों के अस्पताल में आत्माओं का साया मंडराता है और जो कोई भी रात के समय यहां आता है उसे डरावनी आवाज सुनाई देती है. लेकिन इस खबर में ईटीवी भारत का किसी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है. जो भी हॉस्पिटल के बारे में कहानी बयां की जा रही है वे स्थानीय लोगों का मानना है.

Intro:खबर से सम्बंधित विसुअल और बाइट्स लाइव यु से भेज दिए हैं। काशीपुर में घनी आबादी के बीच बने सीतापुर आंखों का अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है तो वहीं भूतिया खंडहर में तब्दील हो चुके इस आंखों के अस्पताल के सुध लेने वाला कोई नहीं है। आखिर कोई इस अस्पताल की सुध लेने की हिम्मत क्यों नहीं करता आज तक इस सीतापुर आंखों के अस्पताल को बने 30 साल से भी ऊपर हो चुके हैं लेकिन इसके उद्घाटन ना होने के पीछे क्या है राज। आज जानेंगे ईटीवी भारत के लिए काशीपुर से भागीरथ शर्मा की विशेष रिपोर्ट में।


Body:वीओ- काशीपुर में आबादी के बीचो-बीच स्थित यह खंडहर कोई भूतिया बंगला तो नहीं लेकिन बल्कि सीतापुर आंखों का अस्पताल है जहां रोजाना काफी मरीज अपनी आंखों का इलाज करवाने के लिए यहां आते हैं लेकिन यह सीतापुर आंखों का अस्पताल किसी भूत बंगले से भी कम नहीं है। यदि यहां कुछ तो है तो वह आखिर कौन सा रहस्य है जो इस अस्पताल के उद्घाटन से पहले ही ले लेता है उद्घाटन करने वालों की जिंदगी। लोगों को दृष्टि प्रदान करने के लिए बने इस रहस्यमय सीतापुर आंखों के अस्पताल की इस हकीकत से रूबरू कराते हैं। वीओ- रातों को घुंघरू की आवाज से गूंजता है यह सीतापुर आंखों का अस्पताल और इसके वीरान कमरों से आती है डरावनी आवाजें। यहां रात को रुकना मतलब अपनी मौत को दावत देने जैसा है। काशीपुर का सीतापुर आंखों का अस्पताल सभी के लिए एक रहस्य बना हुआ है। ऐसा हम नहीं यहां के आसपास रहने वाले लोग और यहां इलाज कराने वाले आने वाले मरीज खुद इसकी दास्तां बयां करते हैं। हालांकि इस अस्पताल के बारे में कहा जाता है कि इसके उद्घाटन करने के बारे में जिस राजनेता ने भी सोचा वह किसी ना किसी हादसे का शिकार हो गया कहा जाता है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी तथा उनके पुत्र स्वर्गीय राजीव गांधी जैसे कई बड़े नाम है ऐसे हैं जिनका इस अस्पताल के उद्घाटन से नाम जुड़ने के बाद ही उनके साथ हादसे हो गए कहा तो यहां तक जाता है कि इस अस्पताल की नींव रखने वाले भी एक सड़क हादसे में अकाल मृत्यु के शिकार हो गए। वयोवृद्ध पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी ने अस्पताल का उद्घाटन अपने जीवित रहते हैं करने की सोची लेकिन एक बार फिर उसी मिथक के चलते और पंडित नारायण दत्त तिवारी की पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को मृत्यु हो गई और इसका जीर्णोद्धार और उद्घाटन एक बार फिर लटक गया। वीओ- स्थानीय लोगों के मुताबिक सीतापुर आंखों के अस्पताल में आत्माओं का साया मंडराता है और जो कोई भी रात के समय यहां आता है उसे डरावनी आवाज सुनाई देती हैं। भले ही अस्पताल के अंदर कभी कोई घटना नहीं घटी हो मगर डरावनी आवाज़ों से क्षेत्र के लोग भी अनजान नहीं हैं। जहां इसके उद्घाटन को लेकर मिथक बना है कि उद्घाटन करने वाला कभी जिंदा ही नहीं बचा तो वही इस अस्पताल का जीर्णोद्धार करने की भी कई बार कोशिश की गई मगर नतीजा शून्य ही रहता है साथ ही आज तक कभी इसका जीर्णोद्धार ही नहीं हो पाया। वीओ- हालांकि इस आंखों के अस्पताल में रोजाना काफी मरीज अपनी आंखों का इलाज करवाने तथा अपनी आंखों को नई रोशनी प्रदान करवाने के लिए यहां आते तो हैं लेकिन खंडहर के रूप में तब्दील हो चुके इस अस्पताल में एक अजीब सा डर उनके मन में बना रहता है। बरसात के समय एस खंडहर की स्थिति और भी डरावनी इसलिए हो जाती है कि कहीं किसी भी वक्त यह खंडहर रूपी अस्पताल भरभरा कर गिर न जाए। वीओ- अस्पताल की चौकीदारी करने वाले चौकीदार राजेश भी इस अस्पताल में रात के समय आने वाली आवाजों के बारे में बताते हैं तो वही पास ही के रहने वाले स्थानीय निवासी भी इस अस्पताल से आने वाली आवाजों के बारे में खुलकर बताते हैं। उनके मुताबिक रात के समय आसपास के घरों के दरवाजे कोई खटखटाता तो है जब वह बाहर आकर देखते हैं तो दरवाजे पर कोई नहीं होता है। बाइट- राजेश, चौकीदार बाइट- हरजिंदर सिंह, मरीज़ बाइट- राशिद, स्थानीय निवासी पीटीसी भी है।


Conclusion:
Last Updated : May 12, 2019, 5:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.