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उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में दिखने लगा गर्मी का असर, पानी की तलाश में आबादी की ओर आ रहे वन्यजीव - kashipur news

सूरज की बढ़ती तपिश के चलते जंगलों में बने प्राकृतिक जलस्रोत और तालाब सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में वन्यजीव अब अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. जिसके चलते मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष होने की संभावनाएं भी प्रबल होती जा रही है. पतरामपुर क्षेत्र में वन विभाग की ओर से वन्यजीवों को पीने के लिए पानी मुहैया करने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

wild animals
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Published : Mar 5, 2022, 10:13 AM IST

काशीपुर: गर्मी का मौसम शुरू होते ही वन्यजीवों के लिए पानी का संकट गहराने लगा है. ऐसे में जंगली जानवरों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. जिसके चलते मानव और वन्य जीव के बीच आपसी संघर्ष का खतरा बढ़ गया. इसी कड़ी में पतरामपुर क्षेत्र में गर्मी की शुरुआत होते ही पानी की तलाश में वन्यजीवों का रुख तराई क्षेत्रों व आबादी वाले इलाकों की ओर हो जाता है. इसी कड़ी में पतरामपुर क्षेत्र में वन विभाग की ओर से वन्यजीवों को पीने के लिए पानी मुहैया करने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

सूरज की बढ़ती तपिश के चलते जंगलों में बने प्राकृतिक जलस्रोत और तालाब सूखने की कगार पर हैं. काशीपुर के तराई वन प्रभाग की पतरामपुर रेंज में कच्चे और पक्के 15 वाटर हॉल बने हैं, जिनमें पानी के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. कुछ वाटर हॉलों में प्राकृतिक पानी है, जबकि कुछ वाटर हॉलों को टेंकरों की मदद से भरा जा रहा है. ताकि वन्यजीवों को पीने का पानी मिल सके और उन्हें किसी प्रकार की समस्या न हो.
पढ़ें: बागियों को लेकर सख्ती, नैनीताल में तीन कांग्रेस नेता छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित

यह प्रत्येक दो किलोमीटर की दूरी पर बनाए गए हैं. जिससे वन्यजीवों को जरूरत के मुताबिक पर्याप्त मात्र में पीने के लिए पानी मिल सके और वन्यजीवों को पानी की तलाश के लिए निचले ग्रामीण क्षेत्रों में न जाना पड़े और आबादी वाले इलाकों को जान माल की हानि से बचा जा सके.

काशीपुर: गर्मी का मौसम शुरू होते ही वन्यजीवों के लिए पानी का संकट गहराने लगा है. ऐसे में जंगली जानवरों ने अपनी प्यास बुझाने के लिए आबादी की ओर रुख करना शुरू कर दिया है. जिसके चलते मानव और वन्य जीव के बीच आपसी संघर्ष का खतरा बढ़ गया. इसी कड़ी में पतरामपुर क्षेत्र में गर्मी की शुरुआत होते ही पानी की तलाश में वन्यजीवों का रुख तराई क्षेत्रों व आबादी वाले इलाकों की ओर हो जाता है. इसी कड़ी में पतरामपुर क्षेत्र में वन विभाग की ओर से वन्यजीवों को पीने के लिए पानी मुहैया करने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

सूरज की बढ़ती तपिश के चलते जंगलों में बने प्राकृतिक जलस्रोत और तालाब सूखने की कगार पर हैं. काशीपुर के तराई वन प्रभाग की पतरामपुर रेंज में कच्चे और पक्के 15 वाटर हॉल बने हैं, जिनमें पानी के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. कुछ वाटर हॉलों में प्राकृतिक पानी है, जबकि कुछ वाटर हॉलों को टेंकरों की मदद से भरा जा रहा है. ताकि वन्यजीवों को पीने का पानी मिल सके और उन्हें किसी प्रकार की समस्या न हो.
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यह प्रत्येक दो किलोमीटर की दूरी पर बनाए गए हैं. जिससे वन्यजीवों को जरूरत के मुताबिक पर्याप्त मात्र में पीने के लिए पानी मिल सके और वन्यजीवों को पानी की तलाश के लिए निचले ग्रामीण क्षेत्रों में न जाना पड़े और आबादी वाले इलाकों को जान माल की हानि से बचा जा सके.

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