काशीपुर: आज विश्व नदी दिवस के अवसर पर लुप्त होती नदियों की चुनौतियां के विषय पर जन गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो नैनीताल से आईं श्रद्धा गुरुरानी तिवारी ने किया.
कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुधी, आईआईएम डायरेक्टर डॉ. कुलभूषण बलूनी और केडीएफ ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. गोष्ठी में नगर निगम सभागार में 15 संस्थाओं ने प्रतिभाग किया. नदियों को बचाने के लिए आमजन तक जन जागरूकता पहुंचाने को लेकर चर्चा किया गया.
एसपी सुबुधी ने कहा कि अगर हम प्रदूषित नदियों बात करें तो 2019 में एनजीटी ने पूरे भारत मे 351 नदियों को प्रदूषित नदियों के रूप में चिन्हित किया, जिसमें उत्तराखंड की 9 नदियां भी शामिल हैं. काशीपुर के मुहानों पर बह रही ढेला और बहला नदी भी दुर्भाग्यवश शामिल है. हम कोशिश कर रहे हैं कि ढेला और बहला को नदी की श्रेणी में न रखा जाए. क्योंकि बरसात के बाद मार्च आते-आते यह नदियां सूख जाती हैं.
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उन्होंने कहा जब इस पर एनालाइसिस किया गया तो मालूम हुआ कि इसमें सालभर पानी बहता तो है, लेकिन वह सीवरेज का पानी ज्यादा होता है. क्योंकि काशीपुर में सीवरेज का कोई सिस्टम नहीं है. हमने नमामि गंगे योजना के अंतर्गत बदरीनाथ से लेकर हरिद्वार तक 131 नालों को टैग करके 34 सीवरेज सिस्टम बनाकर बनाया है. उसके माध्यम से वहां के सभी सीवरेज को टैग किया गया.
इसी क्रम में प्रदेश की 9 प्रदूषित नदियों के साथ-साथ काशीपुर, रुद्रपुर, किच्छा, हल्द्वानी में बह रही प्रदूषित नदियों के सीवरेज सिस्टम के लिए 228 करोड़ रुपये मंजूर हो गया है. आगामी 2 से 3 वर्षों में सीवरेज की समस्या भी दूर हो जाएगी. वहीं, वक्ताओं ने कहा नदियां जीवन दायिनी होती हैं. नदियों के संरक्षण पर बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन नतीजा शून्य है.