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वैज्ञानिकों ने विकसित की मेंथा की नई प्रजाति, बढ़ेगी किसानों की आय

केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान के वैज्ञानिकों ने पांच सालों की कड़ी मेहनत के बाद मेंथा की नई प्रजाति विकसित की है. जिसकी खेती से किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी.

rudrapur
वैज्ञानिकों ने विकसित की नई प्रजाति
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Published : Feb 6, 2020, 10:38 AM IST

उधम सिंह नगर: वैज्ञानिकों ने मेंथा की नई प्रजाति विकसित की है. केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिकों ने पांच वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद ये सफलता हाथ लगी है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस नई प्रजाति की फसल से किसान 30 से 40 फीसदी तक से अधिक उत्पादन कर सकते हैं. जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा और उनकी आर्थिकी भी मजबूत होगी.

वैज्ञानिकों ने विकसित की नई प्रजाति.
केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान यानी कि (सीमैप) के वैज्ञानिकों की टीम ने मेंथा (मेंथा अर्वेन्सिस एल) की नई प्रजाति विकसित की है, जिसकी लॉन्चिंग भी 31 जनवरी को कर दी गई है, जिसके बाद संस्थान इस प्रजाति के बीज को किसानों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. बताया जा रहा है कि 7 फरवरी को संस्थान आयोजित होने वाले किसान मेले में इस नई प्रजाति के बीज को किसानों को नि:शुल्क देगा.

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वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्नति की फसल लगभग 4 महीने के अंदर तैयार हो जाएगी. उन्होंने बताया कि इसमें 1.0 प्रतिशत तक सुगंधित तेल मौजूद है, जो कि मेंथा की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 30-40 प्रतिशत अधिक है. इस प्रजाति के सुगंधित तेल में मेंथॉल की मात्रा करीब 74-75 प्रतिशत तक पाई जाती है, जिससे किसान एक हेक्टेयर खेत में इसका उत्पादन कर करीब डेढ़ लाख रुपए तक की आमदनी कर सकते हैं.

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वहीं, सीमैप के वैज्ञानिक राकेश उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि इस नई प्रजाति की मेंथा को तैयार करने में लगभग 5 साल का समय लगा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 1 हेक्टेयर में किसान अन्य मेंथा की फसल के मुकाबले नई मेंथा की फसल से करीब 30 से 40 फीसदी अधिक तेल उत्पादन कर सकते हैं जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड है और इसकी खेती से किसानों की आय निश्चित ही बढ़ेगी.

उधम सिंह नगर: वैज्ञानिकों ने मेंथा की नई प्रजाति विकसित की है. केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिकों ने पांच वर्षों तक कड़ी मेहनत के बाद ये सफलता हाथ लगी है. वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस नई प्रजाति की फसल से किसान 30 से 40 फीसदी तक से अधिक उत्पादन कर सकते हैं. जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा और उनकी आर्थिकी भी मजबूत होगी.

वैज्ञानिकों ने विकसित की नई प्रजाति.
केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान यानी कि (सीमैप) के वैज्ञानिकों की टीम ने मेंथा (मेंथा अर्वेन्सिस एल) की नई प्रजाति विकसित की है, जिसकी लॉन्चिंग भी 31 जनवरी को कर दी गई है, जिसके बाद संस्थान इस प्रजाति के बीज को किसानों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. बताया जा रहा है कि 7 फरवरी को संस्थान आयोजित होने वाले किसान मेले में इस नई प्रजाति के बीज को किसानों को नि:शुल्क देगा.

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वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्नति की फसल लगभग 4 महीने के अंदर तैयार हो जाएगी. उन्होंने बताया कि इसमें 1.0 प्रतिशत तक सुगंधित तेल मौजूद है, जो कि मेंथा की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 30-40 प्रतिशत अधिक है. इस प्रजाति के सुगंधित तेल में मेंथॉल की मात्रा करीब 74-75 प्रतिशत तक पाई जाती है, जिससे किसान एक हेक्टेयर खेत में इसका उत्पादन कर करीब डेढ़ लाख रुपए तक की आमदनी कर सकते हैं.

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वहीं, सीमैप के वैज्ञानिक राकेश उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि इस नई प्रजाति की मेंथा को तैयार करने में लगभग 5 साल का समय लगा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 1 हेक्टेयर में किसान अन्य मेंथा की फसल के मुकाबले नई मेंथा की फसल से करीब 30 से 40 फीसदी अधिक तेल उत्पादन कर सकते हैं जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड है और इसकी खेती से किसानों की आय निश्चित ही बढ़ेगी.

Intro:Summry - मेंथा की ’सिम उन्नति’ प्रजाति से बढ़ेगी किसानों की आय। पांच वर्षों के अथक परिश्रम से सीमैप के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया मेंथा की नई प्रजाति सिम उन्नति। 40 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन होने का दावा।

एंकर - भारत सरकार की महत्त्वकांक्षी योजना किसानों की आय दुगनी करने में सीमैप के वैज्ञानिकों ने एक कदम आगे बढ़ाया है। वैज्ञानिकों की टीम ने मेंथाल की नई उन्नत प्रजाति सिम उन्नति को तैयार किया है। इसके लिए सीमैप के वैज्ञानिकों ने पांच वर्षों तक अथक परिश्रम किया है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस नई प्रजाति की फसल से किसान 30 से 40 फीसदी तक अधिक उत्पादन प्राप्त हो सकता है।

Body:वीओ - केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौध संस्थान (सीमैप) के वैज्ञानिको की टीम ने मेंथा (मेंथा अर्वेन्सिस एल) की नई प्रजाति तैयार की है। इसकी लांचिंग भी 31 जनवरी को कर दी गयी है। अब किसानों को संस्थान इसकी जड़ो को मुहैया करने की तैयारी कर रहा है। 7 फरवरी को सीमैप में आयोजित होने वाले किसान मेले में इस प्रजाति के बीज प्रगतिशील किसानों को एक किग्रा. प्रति किसान निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। सीम उन्नति की फसल 4 माह में तैयार हो जाती है। इस विकसित प्रजाति से 185-190 किग्रा./हेक्टे. तेल का उत्पादन किया जा सकता है। इसके तेल में 1.0 प्रतिशत तक सुगन्धित तेल मौजूद होता है, जो मेंथा की अन्य प्रजातियों की अपेक्षा 30-40 प्रतिशत अधिक है। इस प्रजाति के सुगंधित तेल में मेन्थॉल की मात्रा 74-75 प्रतिशत है। किसान एक हेक्टेयर खेत से डेढ़ लाख रुपये की आमदनी कर सकता है।
सीमैप के वैज्ञानिक राकेश उपाध्याय ने बताया कि इस नई प्रजाति के मेंथा को तैयार करने में 5 साल का समय लगा है। एक हेक्टेयर में किसान अन्य मेंथा की फसल से 30 से 40 फीसदी अधिक तेल उत्पादन कर सकता है। जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड होने के चलते किसान अपनी आय को बड़ा भी सकता है।

बाइट - राकेश उपाध्याय, सीमैप वैज्ञानिक। Conclusion:
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