काशीपुरः वो बेटी जो अपने फर्राटा दौड़ से राज्य को दर्जनों मेडल दिला चुकी है, लेकिन सरकार के झूठे वादों और दिलासों के बीच इस युवा एथलीट का दम उसे दगा दे गया है. मैदान पर कभी न हारने वाली ये लड़की सरकारी सिस्टम से हारती हुई नजर आ रही है. उसकी उपलब्धियों को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पुलिस कांस्टेबल के लिए अनुंशसा भी कर चुके हैं. बावजूद इसके उसे आज तक नौकरी नहीं मिली. यह दर्द भरी दास्तां है काशीपुर की प्रतिभाशाली एथलीट अनीता कुमारी की. जिसने जूनियर और सीनियर स्तर पर अब तक राज्य को दर्जनों पदक दिलाए हैं, लेकिन इन दिनों सरकार और मंत्रियों के चक्कर काटने को मजबूर है.
अनीता मानपुर रोड पर रहने वाले बलबीर सिंह जोकि पेशे से कुम्हार हैं, की बेटी है. अनीता अपने भाइयों और बहनों में सबसे छोटी है. अपने हौसलों और जज्बे से अनीता ने पहले जूनियर लेवल पर राज्यस्तर पर कई पदक जीते. फिर नेशनल स्तर कई पदकों पर कब्जा जमाया. सरकार की उपेक्षा के चलते अनीता का हौसला अब जबाव देने लगा है. उसका परिवार तंगहाली के दौर से गुजर रहा है.
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इतना ही नहीं साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खेलों में उपलब्धियों को देखते हुए अनीता को उत्तराखंड उदय सम्मान से भी नवाजा. साथ ही कांस्टेबल पद के लिए अनुशंसा भी की, लेकिन आज तक उसे नौकरी नहीं मिली. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अनीता ने बताया कि अब वो अपने पिता पर बोझ बनकर नहीं रह सकती है.
अनीता ने कहा कि नौकरी के लिए विधायक हरभजन सिंह चीमा, खेल मंत्री अरविंद पांडेय समेत कई मंत्रियों के चक्कर काट चुकी है. कई बार मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख चुकी है, लेकिन आश्वाशन के अलावा कुछ नहीं मिला. वहीं, अनीता की मां संतोष देवी का कहना है कि उनकी बेटी को आज तक किसी भी तरह की सरकारी नौकरी के रूप में कोई मदद नहीं मिली.
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उनके मुताबिक अनीता ने 14 साल की उम्र से ही मैदान का रुख कर दिया था. उस दौरान अनीता ने न तो गर्मी, न ही ठंड और न ही बरसात देखी. अपनी कड़ी मेहनत से और लगन से राज्य के लिए कई पदक और मेडल जीते. उन्होंने कहा कि सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देती है, लेकिन सरकार बेटियों के लिए कुछ नहीं कर रही है.