काशीपुर: जिले में शराब के कुछ व्यापारी हड़ताल करने का मन बना रहे हैं, तो कुछ अपने आवंटन को सरेंडर करने की सोच रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने इस ओर अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई है. जिससे कि शराब के व्यापारी घाटे से उभर सकें. अधिभार की राशि व्यापारी पहले ही सरकारी खातों में जमा करा चुके हैं. लेकिन शराब की खरीद कम हो रही है. वहीं, लाखों रुपए का उन पर कर्ज भी है, जिससे वे उबर नहीं पा रहे हैं.
केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन लागू किए जाने जाने के बाद से शराब की दुकानें काफी वक्त तक बंद थी. जिसकी वजह से शराब व्यापारियों को लाखों रुपए का घाटा हुआ है. उधर, सरकारी अधिभार में भी अभी तक कोई कमी नहीं की गई है. व्यापारियों को पूरा पैसा जमा करने को कहा गया है. दुकानदारों ने सरकारी राजस्व तो बढ़ा दिया. लेकिन शराब की बिक्री कम होने की वजह से व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं, आधा दर्जन दुकानदारों ने तो अपनी दुकानों को सरेंडर करने का भी मन बना लिया है.
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व्यापारियों ने बताया कि सरकार सभी तरह के टैक्स उन पर पहले की तरह थोप रही है. साथ ही कोविड-19 टैक्स के नाम पर एक और भार उन पर लाद दिया गया है. ऐसे में जहां बिक्री एक चौथाई भी नहीं हुई. वहीं, व्यवसायियों को सरकारी टैक्स देना भी अब भारी पड़ रहा है. शराब के व्यापारी सरकार से अब गुहार लगा रहे हैं कि या तो उनको टैक्स में छूट दी जाए या फिर अधिभार की राशि में कटौती की जाए. व्यापारियों ने अगर दुकानों को सरेंडर कर दिया तो आबकारी विभाग को कड़ा झटका लगना तय है.
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वहीं, आबकारी अधिकारी कैलाश विन्जोला ने बताया कि यह मामला शासन स्तर का है. अधिकारियों द्वारा मामले को शासन तक पहुंचाया जा गया है. शासन जो भी निर्णय लेगा उसका पालन अधिकारियों द्वारा कराया जाएगा.