रुद्रपुरः कोविड-19 से बचाव की आधी-अधूरी तैयारियों के बीच सोमवार को सीएम त्रिवेंद्र रावत जहां जिला प्रशासन की पीठ थपथपाते नजर आए वहीं, कलेक्ट्रेट से महज चंद किलोमीटर दूर एक मजदूर परिवार सरकार और जिला प्रशासन की तैयारियों को कोसता हुआ नजर आया. यहां मोर्चरी में तीन दिन से कोरोना की जांच रिपोर्ट ना आने से एक मजदूर का परिवार अपनी बेटी के शव को सड़ने से बचाने की जद्दोजहद करता रहा.
दरअसल, बीते रोज सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ऊधम सिंह नगर दौरे पर थे. इस दौरान सरकारी अमला मुख्यमंत्री को अपनी उपलब्धियों के बारे में बारीकी से जानकारी देते रहा. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से चर्चा के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार और जिला प्रशासन की सभी तैयारियां मुक्कमल हैं. इसी बीच कलेक्ट्रेट से महज 3 किलोमीटर दूर मोर्चरी में एक परिवार अपनी बेटी के शव को सड़ने से बचाने की कोशिश में लगा रहा.
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बता दें कि शुक्रवार की शाम गदरपुर के महतोश की रहने वाली शीतल के सीने में अचानक दर्द हुआ था. परिजन उसे अस्पताल ले गए. डॉक्टरों की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसके बाद शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए मौत के बाद कोरोना की जांच अनिवार्य है. ऐसे में उनकी बेटी का सैंपल स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए भेजा. लेकिन तीन दिन के बाद भी मोर्चरी में झुलसाती गर्मी के बीच उनकी बेटी का शव सड़ता रहा.
शीतल के मामा ओमकार ने बताया कि उसके पिता मजदूरी करते हैं. बीते तीन दिन से परिजनों ने बर्फ की सिल्ली लगा-लगा कर शव को सड़ने से बचाने का प्रयास किया. एसीएमओ और कोविड-19 के जिला नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना का कहना है कि जांच रिपोर्ट देरी से आने के पीछे सैंपलिंग बढ़ना है. कुमाऊं के 6 जिले सुशीला तिवारी अस्पताल पर निर्भर हैं. ऐसे में जांच रिपोर्ट में समय लग रहा है. साथ ही कहा कि मोर्चरी में जल्द ही डीप फ्रीजर का इंतजाम किया जाएगा.