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काशीपुर मंडी समिति में अव्यवस्थाओं का अंबार, स्वच्छ भारत अभियान को लग रहा पलीता - नगर निगम की लापरवाही

एक तरफ केंद्र सरकार देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दे रही है, वहीं, काशीपुर में स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाया जा रहा है. मामला मुरादाबाद रोड पर ढेला पुल के पास फल व सब्जी मंडी परिसर का है.

नाली में बह रहे आम
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Published : Jul 25, 2019, 7:01 AM IST

काशीपुरः एक तरफ केंद्र सरकार देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दे रही है वहीं, काशीपुर में स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाया जा रहा है. मामला मुरादाबाद रोड पर ढेला पुल के पास फल व सब्जी मंडी परिसर का है. यहां नगर निगम की लापरवाही के कारण रोजाना सब्जी व फल बर्बाद हो रहे हैं. इतना ही नहीं मंडी में दुर्गंध तो फैलती ही है, गंभीर बीमारी फैलने का भी खतरा बढ़ गया है.
ये तस्वीर है काशीपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति की है जहां सड़कों के बीच में आलू, टमाटर और आम नाली में बह रहे हैं. फल व सब्जी मंडी में ये नजारा आपको रोज देखने को मिल जाएगा.

काशीपुर मंडी समिति में अव्यवस्थाओं का अंबार.
प्रतिदिन भारी संख्या में यहां सड़े हुए फल व सब्जियों को सड़कों पर फेंक दिया जाता है. मंडी के अंदर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. निगम व मंडी समिति की अनदेखी से मंडी परिसर में लगे कूड़े के ढेर स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोल रहे है.शहर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित कृषि उत्पादन मंडी समिति के अंदर प्रतिदिन लाखों रूपये का व्यापार होता है. भारी संख्या में आस-पास के क्षेत्रों से बागवान व किसान अपने उत्पाद लेकर मंडी में आते हैं. व्यापारी व किसान सड़े हुए फल व सब्जियों को मंडी की सड़को पर छोड़ कर चले जाते है. जिससे मंडी में जगह जगह कूड़े का ढेर लग जाता है. हालत तब और बदतर हो जाते हैं, जब कूड़े के ढेर को न तो निगम और न ही मंडी समिति के द्वारा उठवाया जाता है.
उधर, गंदगी की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. 80 फीसदी जैविक कूड़ा मंडी में प्रतिदिन निकलता है, जिसमें से 80 फीसद यानी करीब 15 से 18 टन तक जैविक कूड़ा होता है. सब्जियों के तने, हरी सब्जियां, फल, आदि होती है, जो शुद्ध जैविक कूड़ा है. सब्जी मंडी का कूड़ा वैकल्पिक ऊर्जा का सबसे अच्छा स्त्रोत है. कूड़े से जैविक खाद बनाये जाने को लेकर मंडी के अंदर ही लाखों खर्च कर प्लांट लगाया गया है, जो बंद पड़ा है. मंडी समिति इस ओर ध्यान भी नही देती. निगम सीमा में आने के बाबजूद निगम इसे व्यवसायिक स्थल कहकर व मंडी समिति की जिम्मेदारी बता कर पल्ला झाड़ रहा है. स्वच्छ भारत अभियान को लेकर देश भर में सफाई पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, काशीपुर स्थित मंडी में लोग गंदगी के बीच ही व्यापार करने को विवश है. प्रदेश सरकार जहां स्वस्थ सेहत, तंदुरूस्त उत्तराखंड व सुंदर सिटी को लेकर अभियान चला रही है, दूसरी ओर निगम की लापरवाही पूरे अभियान को मुंह चिढ़ाने का काम कर रही है.

काशीपुरः एक तरफ केंद्र सरकार देशभर में स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दे रही है वहीं, काशीपुर में स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाया जा रहा है. मामला मुरादाबाद रोड पर ढेला पुल के पास फल व सब्जी मंडी परिसर का है. यहां नगर निगम की लापरवाही के कारण रोजाना सब्जी व फल बर्बाद हो रहे हैं. इतना ही नहीं मंडी में दुर्गंध तो फैलती ही है, गंभीर बीमारी फैलने का भी खतरा बढ़ गया है.
ये तस्वीर है काशीपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति की है जहां सड़कों के बीच में आलू, टमाटर और आम नाली में बह रहे हैं. फल व सब्जी मंडी में ये नजारा आपको रोज देखने को मिल जाएगा.

काशीपुर मंडी समिति में अव्यवस्थाओं का अंबार.
प्रतिदिन भारी संख्या में यहां सड़े हुए फल व सब्जियों को सड़कों पर फेंक दिया जाता है. मंडी के अंदर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. निगम व मंडी समिति की अनदेखी से मंडी परिसर में लगे कूड़े के ढेर स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोल रहे है.शहर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित कृषि उत्पादन मंडी समिति के अंदर प्रतिदिन लाखों रूपये का व्यापार होता है. भारी संख्या में आस-पास के क्षेत्रों से बागवान व किसान अपने उत्पाद लेकर मंडी में आते हैं. व्यापारी व किसान सड़े हुए फल व सब्जियों को मंडी की सड़को पर छोड़ कर चले जाते है. जिससे मंडी में जगह जगह कूड़े का ढेर लग जाता है. हालत तब और बदतर हो जाते हैं, जब कूड़े के ढेर को न तो निगम और न ही मंडी समिति के द्वारा उठवाया जाता है.
उधर, गंदगी की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. 80 फीसदी जैविक कूड़ा मंडी में प्रतिदिन निकलता है, जिसमें से 80 फीसद यानी करीब 15 से 18 टन तक जैविक कूड़ा होता है. सब्जियों के तने, हरी सब्जियां, फल, आदि होती है, जो शुद्ध जैविक कूड़ा है. सब्जी मंडी का कूड़ा वैकल्पिक ऊर्जा का सबसे अच्छा स्त्रोत है. कूड़े से जैविक खाद बनाये जाने को लेकर मंडी के अंदर ही लाखों खर्च कर प्लांट लगाया गया है, जो बंद पड़ा है. मंडी समिति इस ओर ध्यान भी नही देती. निगम सीमा में आने के बाबजूद निगम इसे व्यवसायिक स्थल कहकर व मंडी समिति की जिम्मेदारी बता कर पल्ला झाड़ रहा है. स्वच्छ भारत अभियान को लेकर देश भर में सफाई पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, काशीपुर स्थित मंडी में लोग गंदगी के बीच ही व्यापार करने को विवश है. प्रदेश सरकार जहां स्वस्थ सेहत, तंदुरूस्त उत्तराखंड व सुंदर सिटी को लेकर अभियान चला रही है, दूसरी ओर निगम की लापरवाही पूरे अभियान को मुंह चिढ़ाने का काम कर रही है.
Intro:Summary- एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दे रहे तो वही काशीपुर में मुरादाबाद रोड पर ढेला पुल के पास अस्तित्व स्थित फल व सब्जी मंडी में मंडी समिति वह नगर निगम की शिथिलता के चलते रोजाना काफी मात्रा में सब्जी व फल बर्बाद हो रहा है। जिसकी वजह से मंडी में दुर्गंध तो फैलती ही है तो वही गंभीर बीमारी फैलने का भी खतरा है।

एंकर - कूड़े के ढेर में फैला पडा ये आलू , सड़कों के बीच पड़े ये टमाटर , नाली में बह रहे आम ये तस्वीर है काशीपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति की। यहाँ की फल व् सब्जी मंडी में ये नजारा आपको रोज देखने को मिल जाएगा। रोजाना भारी संख्या में यहाँ सड़े हुए फल व सब्जियों को इस तरह सड़को पर फेंका दिया जाता है। जिस वजह से मंडी के अंदर कूड़े के ढेर लग गए है। निगम व मंडी समिति की अनदेखी से मंडी परिसर में जगह जगह लगे कूड़े के ढेर स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोल रहे है।

Body:बीओ - काशीपुर नगर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित काशीपुर की कृषि उत्पादन मंडी समिति स्थित फल व सब्जी मंडी के अंदर प्रतिदिन लाखों रूपये का व्यापार होता है। प्रतिदिन भारी संख्या में आस पास के क्षेत्रो से बागबान व किसान अपने उत्पाद लेकर मंडी में आते हैं। रोजाना होने वाले इस व्यापार के बाद व्यापारी व किसान सड़े हुए फल व सब्जियों को मंडी की सड़को पर ही छोड़ कर चले जाते है। जिससे मंडी में जगह जगह कूड़े के ढेर लग गए है। इन कूडो के ढेरों को न तो निगम और न हो मंडी समिति के द्वारा ही उठवाया जाता है। ऐसे में फैली गंदगी की वजह से संक्रमण फेलने का खतरा बढ़ गया है।साथ ही व्यापारियों व किसानों का यहां पर थोड़ी देर के लिए खड़ा होना भी दूभर हो रहा है।

बाईट - रामकिशोर ( सब्जी आढ़ती )

बाइट - अनीस ( व्यापारी )

बाईट - राम सिंह ( व्यापारी )

बी ओ - मंडी में प्रतिदिन कई टन कूड़ा-कचरा निकलता है, जिसमें से 80 फीसद यानी करीब 15 से 18 टन तक जैविक कूड़ा होता है। उसमें सब्जियों के तने, हरी सब्जियां, फल, आदि होती है, जो शुद्ध जैविक कूड़ा है। सब्जी मंडी का कूड़ा वैकल्पिक ऊर्जा का सबसे अच्छा स्त्रोत है। ऐसे में इस कूड़े से जैविक खाद बनाये जाने को लेकर मंडी के अंदर ही लाखों खर्च कर प्लांट लगाया गया जो आज बंद पड़ा है। जिसके बाद मंडी समिति द्वारा इस ओर ध्यान देना भी बंद कर दिया गया। उधर निगम सीमा में आने के बाबजूद निगम इसे व्यवसायिक स्थल कहकर व मंडी समिति की जिम्मेदारी बता कर पल्ला झाड़ रहा है।

बाईट - मोहन चंद्र जोशी ( सचिव मंडी समिति )
बाईट - बंशीधर तिवारी ( मुख्य नगर आयुक्त काशीपुर )

Conclusion:स्वच्छ भारत अभियान को लेकर देश भर में सफाई पर जहां जोर दिया जा रहा है वहीं काशीपुर की इस मंडी में लोग गंदगी के बीच ही व्यापार करने को विवश है। एक तरफ से प्रदेश सरकार जहाँ स्वस्थ सेहत, तंदरूस्त उत्तराखंड व सुंदर सिटी को लेकर अभियान चला रहा है, लेकिन दूसरी तरफ से उनके विभाग ही गंदगी फैला रहे हैऔर पूरे अभियान को मुंह चिढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।
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