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ग्राम पंचायतों के संगठित होने पर फंसा पेंच, इन विकासखंडों में पूरा नहीं हो रहा दो तिहाई का आंकड़ा - उत्तराखंड पंचायती राज एक्ट

टिहरी के थौलधार और जौनपुर विकासखंडों में ग्राम पंचायतों के संगठित होने पर पेंच फंस गया है. वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने की वजह से दो-तिहाई का आंकड़ा पूरा नहीं हो पा रहा है. इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.

पंचायत चुनाव
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Published : Nov 14, 2019, 12:57 PM IST

धनौल्टी: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2019 प्रक्रिया समाप्त होने के बाद चुने गये प्रतिनिधियों में अब शपथ ग्रहण को लेकर उत्सुकता है. वहीं कुछ ग्राम पंचायतों के अभी भी संगठित होने में पेंच फंसा हुआ है. क्योंकि थौलधार और जौनपुर विकासखंड में वार्ड सदस्यों के पद रिक्त हैं. ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने से पंचायतें संगठित नहीं हो पा रही हैं. इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.

बात विकासखंड थौलधार की करें तो यहां 312 वार्ड सदस्यों के पद अभी भी रिक्त हैं, जिससे 46 ग्राम पंचायत ऐसी हैं, जहां पर प्रधान तो चुन लिए गये लेकिन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण अभी भी ये ग्राम पंचायतें संगठित नहीं मानी जाएंगी.

तो वहीं जौनपुर विकासखंड में भी 2 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद रिक्त हैं. जिसमें एक कांडाजाख एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी, लेकिन गांव में एक भी परिवार एसटी वर्ग का न होने के कारण कोई भी ग्रामीण उम्मीदवारी नहीं कर पाया. वहीं, अलमस में प्रधानपद के लिए एक ही नामांकन किया गया, लेकिन किन्हीं कारणों से वह भी निरस्त हो गया.

जौनपुर विकासखंड में कुल 360 वार्ड सदस्यों के पद खाली हैं. जिसमें 60 ग्राम पंचायतों में से दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण पंचायतें संगठित नहीं हो पाई. इसकी जानकारी भी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.

ग्राम पंचायत संगठित होने का आंकड़ा

ग्राम पंचायतों को संगठित होने में वार्ड सदस्यों की दो तिहाई संख्या होनी जरूरी है, यानि जिस ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्यों के निर्धारित पद 7 हैं वहां पर कम से कम 5 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है. उसी प्रकार जिस ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्यों के पद 9 हैं वहां पर 6 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है. तभी वह ग्राम पंचायत संगठित मानी जाएगी और गांव में होने वाले विकास कार्यों के प्रस्तावों पर मुहर लग पाएगी.

धनौल्टी: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2019 प्रक्रिया समाप्त होने के बाद चुने गये प्रतिनिधियों में अब शपथ ग्रहण को लेकर उत्सुकता है. वहीं कुछ ग्राम पंचायतों के अभी भी संगठित होने में पेंच फंसा हुआ है. क्योंकि थौलधार और जौनपुर विकासखंड में वार्ड सदस्यों के पद रिक्त हैं. ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने से पंचायतें संगठित नहीं हो पा रही हैं. इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.

बात विकासखंड थौलधार की करें तो यहां 312 वार्ड सदस्यों के पद अभी भी रिक्त हैं, जिससे 46 ग्राम पंचायत ऐसी हैं, जहां पर प्रधान तो चुन लिए गये लेकिन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण अभी भी ये ग्राम पंचायतें संगठित नहीं मानी जाएंगी.

तो वहीं जौनपुर विकासखंड में भी 2 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद रिक्त हैं. जिसमें एक कांडाजाख एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी, लेकिन गांव में एक भी परिवार एसटी वर्ग का न होने के कारण कोई भी ग्रामीण उम्मीदवारी नहीं कर पाया. वहीं, अलमस में प्रधानपद के लिए एक ही नामांकन किया गया, लेकिन किन्हीं कारणों से वह भी निरस्त हो गया.

जौनपुर विकासखंड में कुल 360 वार्ड सदस्यों के पद खाली हैं. जिसमें 60 ग्राम पंचायतों में से दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण पंचायतें संगठित नहीं हो पाई. इसकी जानकारी भी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.

ग्राम पंचायत संगठित होने का आंकड़ा

ग्राम पंचायतों को संगठित होने में वार्ड सदस्यों की दो तिहाई संख्या होनी जरूरी है, यानि जिस ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्यों के निर्धारित पद 7 हैं वहां पर कम से कम 5 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है. उसी प्रकार जिस ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्यों के पद 9 हैं वहां पर 6 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है. तभी वह ग्राम पंचायत संगठित मानी जाएगी और गांव में होने वाले विकास कार्यों के प्रस्तावों पर मुहर लग पाएगी.

Intro: ग्राम पंचायतों के संगठित होने पर फंसा पेंचBody:
धनोल्टी (टिहरी)
स्लग-पंचायतों के संगठित होने पर फंसा पेंच

एंकर-जहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद नये चुने गये प्रतिनिधियों मे अब शपथ ग्रहण को लेकर उत्सुकता है वही कुछ ग्राम पंचायतों के अभी भी संगठित होने मे पेंच फंसा हुआ है बात विकासखण्ड थौलधार की करें तो यहां 312वार्ड सदस्यों के पद अभी भी रिक्त है जिससे 46 ग्रामपंचायत ऐसी है जहां पर प्रधान तो चुन लिए गये है लेकिन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण अभी भी ये ग्रामपंचायते संगठित नही मानी जाएगी ऐसे ही जौनपुर विकास खण्ड मे भी 2 ग्रामपंचायतो मे प्रधान पद रिक्त है जिसमें एक काण्डाजाख एसo टीo वर्ग के लिए आरक्षित थी लेकिन गाँव में एक परिवार एस० टी० वर्ग का न होने के कारण कोई भी ग्रामीण उम्मीदवारी नही कर पाया वही अलमस मे प्रधान पद के लिए एक मात्र किया गया नामंकन किन्ही कारणो से निरस्त हो गया था तो 360 वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने से 60 ग्रामपंचायते मे दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण संगठित नही हो पाई जिनकी सूचि राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी गई है

असंगठित ग्राम पंचायतों को संगठित होने मे वार्ड सदस्यों का दो तिहाई संख्या होना जरूरी है यानि जिस ग्रामपंचायत मे वार्ड सदस्यों के निर्धारित पद 7 है वहाँ पर कम से कम 5 वार्ड सदस्यों का एवं जिस ग्रामपंचायत मे वार्ड सदस्यों के पद 9 है वहां पर 6 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है तभी वह ग्राम पंचायंत संगठित मानी जाएगी और गाँव सम्बन्धी होने वाले प्रस्तावो पर मुहर लग पायेगी

Conclusion:असंगठित ग्राम पंचायतों को संगठित होने मे वार्ड सदस्यों का दो तिहाई संख्या होना जरूरी है यानि जिस ग्रामपंचायत मे वार्ड सदस्यों के निर्धारित पद 7 है वहाँ पर कम से कम 5 वार्ड सदस्यों का एवं जिस ग्रामपंचायत मे वार्ड सदस्यों के पद 9 है वहां पर 6 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है तभी वह ग्राम पंचायंत संगठित मानी जाएगी और गाँव सम्बन्धी होने वाले प्रस्तावो पर मुहर लग पायेगी तभी ग्रामपंचायते अपने मूल स्वरूप मे आ पायेगींं
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