धनौल्टी: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2019 प्रक्रिया समाप्त होने के बाद चुने गये प्रतिनिधियों में अब शपथ ग्रहण को लेकर उत्सुकता है. वहीं कुछ ग्राम पंचायतों के अभी भी संगठित होने में पेंच फंसा हुआ है. क्योंकि थौलधार और जौनपुर विकासखंड में वार्ड सदस्यों के पद रिक्त हैं. ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने से पंचायतें संगठित नहीं हो पा रही हैं. इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.
बात विकासखंड थौलधार की करें तो यहां 312 वार्ड सदस्यों के पद अभी भी रिक्त हैं, जिससे 46 ग्राम पंचायत ऐसी हैं, जहां पर प्रधान तो चुन लिए गये लेकिन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण अभी भी ये ग्राम पंचायतें संगठित नहीं मानी जाएंगी.
तो वहीं जौनपुर विकासखंड में भी 2 ग्राम पंचायतों में प्रधान पद रिक्त हैं. जिसमें एक कांडाजाख एसटी वर्ग के लिए आरक्षित थी, लेकिन गांव में एक भी परिवार एसटी वर्ग का न होने के कारण कोई भी ग्रामीण उम्मीदवारी नहीं कर पाया. वहीं, अलमस में प्रधानपद के लिए एक ही नामांकन किया गया, लेकिन किन्हीं कारणों से वह भी निरस्त हो गया.
जौनपुर विकासखंड में कुल 360 वार्ड सदस्यों के पद खाली हैं. जिसमें 60 ग्राम पंचायतों में से दो तिहाई वार्ड सदस्यों के पद रिक्त होने के कारण पंचायतें संगठित नहीं हो पाई. इसकी जानकारी भी राज्य निर्वाचन आयोग को दी गई है.
ग्राम पंचायत संगठित होने का आंकड़ा
ग्राम पंचायतों को संगठित होने में वार्ड सदस्यों की दो तिहाई संख्या होनी जरूरी है, यानि जिस ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्यों के निर्धारित पद 7 हैं वहां पर कम से कम 5 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है. उसी प्रकार जिस ग्राम पंचायत में वार्ड सदस्यों के पद 9 हैं वहां पर 6 वार्ड सदस्यों का होना जरूरी है. तभी वह ग्राम पंचायत संगठित मानी जाएगी और गांव में होने वाले विकास कार्यों के प्रस्तावों पर मुहर लग पाएगी.