टिहरी: टिहरी झील का जलस्तर बहुत बढ़ गया है. जलस्तर 820 RL मीटर पहुंचने से गांव को खतरा पैदा हो गया है. झील से रौलाकोट गांव के तीनों ओर भूस्खलन होने लगा है. गांव वालों का कहना है कि मकानों और जमीन में दरारें पड़ने लगी हैं. गांव के लोग दहशत में जी रहे हैं.
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रौलाकोट में करीब 200 परिवार रहते हैं
रौलाकोट गांव में 200 के करीब परिवार रहते हैं. इन लोगों का कहना है कि दहशत के मारे वो रात को सो नहीं पा रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि वो विस्थापन की मांग को लेकर अधिकारियों के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने रौलाकोट गांव के विस्थापन के निर्देश दिए थे. लेकिन टीएचडीसी और पुनर्वास विभाग ने अब तक विस्थापन नहीं किया है. गांव वालों का कहना है कि वो 20 साल से मुश्किल हालात में रह रहे हैं.
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ग्रामीणों ने अब शासन और प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर 15 दिन के अंदर विस्थापन नहीं हुआ तो वो धरने पर बैठ जाएंगे. फिर भी मांग नहीं मानी गई तो जल समाधि ले लेंगे.
अधिवक्ता शांति भट्ट का कहना है कि रौलाकोट गांव का विस्थापन किए बिना झील का जलस्तर 820 RL मीटर तक भरने की अनुमति कैसे दी गई. रौलाकोट गांव का विस्थापन 20 साल से नहीं हो सका है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था विस्थापन का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार और टीएचडीसी के अधिकारियों को 2009 और 2010 में अलग-अलग अन्तरिम आदेशों में एक जनहित याचिका संख्या 22885/2005 किशोर उपाध्याय व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य में आदेश पारित किया था. इस आदेश में तत्काल रौलाकोट आदि गावों के विस्थापन के निर्देश दिये थे. परन्तु 10 साल बीत गये आज तक रौलाकोट आदि गावों का विस्थापन नहीं हुआ.
क्या कहते हैं डीएम
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि टिहरी झील से जिन गांवों को नुकसान हुआ है उनका सर्वे भू-वैज्ञानिकों की टीम करती है. उसके बाद ही गावों के विस्थापन की कार्रवाई होती है. रौलाकोट गांव के ग्रामीणों का विस्थापन पात्रता के आधार पर टीएचडीसी में विचाराधीन है.