टिहरी: नरेंद्रनगर तहसील के अंतर्गत खांखर गांव के ग्रामीणों ने कुछ बाहरी लोगों के निर्माण कार्य का विरोध किया है. ग्राम प्रधान ने मौके पर पहुंचकर काम रुकवा दिया है. ग्रामीणों का आरोप है कि बिना दाखिला खारिज और नक्शा पास किए बिना यहां कुछ लोग निर्माण कार्य में जुटे हैं. कॉटेज निर्माण में जो जेनरेटर चलाया जा रहा है, उससे जंगल के आसपास धुआं फैल रहा है, जिससे पूरा वातावरण दूषित हो रहा है.
ग्राम प्रधान युद्धबीर सिंह भंडारी का कहना है कि नरेंद्रनगर तहसील के अंतर्गत आमशेरा के समीप बिडोन के ऊपर खाकर गांव में कुछ लोग कॉटेज बनवा रहे हैं. यह निर्माण सरकारी मानकों को ताक पर रखकर बिना दाखिला खारिज और नक्शा पास किए बिना करवाया जा रहा है. उन्होंने इसकी शिकायत जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री से की है. साथ ही इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है.
ग्राम प्रधान का कहना है यह लोग गरीबों की जमीन औने पौने दामों में खरीदकर बाहरी लोगों को ऊंचे दामों में बेच रहे हैं. साथ ही खुद को उत्तराखंड का निवासी बताकर 250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन खरीदकर बाहरी लोगों को बेच कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. युद्धबीर सिंह का आरोप है कि इन लोगों ने खांखर गांव के एक गरीब वृद्ध को बहला फुसला कर सस्ते में 6 नाली से अधिक जमीन अपने नाम करवा ली. जिसके बाद वह ग्रामीण सदमे के कारण मर गया. उसके बाद नोएडा के तुषार नाम के व्यक्ति को और उनके परिवार के सदस्यों को 250-250 वर्गमीटर जमीन बेच दी. इस जमीन का दाखिला खारिज भी नहीं हुआ है. बिना दाखिला खारिज और नक्शा पास किये कॉटेज बनाये जा रहे हैं.
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ग्राम प्रधान ने काम रुकवाया: बीते रोज खांखर गांव के ग्राम प्रधान ने मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य रुकवा दिया. उन्होंने कहा कि जब तक शासन प्रशासन के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते और इन पर कार्रवाई नहीं करते, तब तक काम नहीं होने दिए जाएगा. नरेंद्र नगर के उपजिलाधिकारी से फोन पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि गांव के ही लोगों ने जमीन बेची है, जिनको जमीन बेची है. वह अपना वहां पर काम करवा रहे हैं. ग्राम प्रधान की शिकायत आई है, इसको लेकर पटवारी को जांच के लिए मौके पर भेजा गया है.
उत्तराखंड में जमीन लेने का नियम: अगर कोई व्यक्ति ऐसा भी है, जिसके पास 12 सितंबर 2003 से पहले उत्तराखंड राज्य में कोई संपत्ति नहीं है, तो उसके लिए एक सीमा बांधी गई है. वह व्यक्ति स्थानीय निकायों में तो जितनी चाहे उतनी जमीन खरीद सकता है, लेकिन निकायों से बाहर वह सिर्फ 250 वर्ग मीटर ही जमीन खरीद पाएगा. इसके साथ ही शर्त यह भी है कि जो व्यक्ति निकायों से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदता है, तो उस व्यक्ति की पत्नी, अविवाहित बेटी व अविवाहित बेटा जमीन नहीं खरीद पाएंगे.
उत्तराखंड राज्य में जमीन खरीदने के लिए जो एक्ट साल 2003 में बनाया गया था, वही एक्ट आज भी राज्य में लागू है. इसके साथ ही इस एक्ट में यह भी बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति उत्तराखंड राज्य में पिछली पांच पीढ़ियों से भी रह रहा है और उसकी कोई अचल संपत्ति 12 सितंबर, 2003 से पहले नहीं है, तो वह व्यक्ति भी नगर निकायों से बाहर 250 वर्ग मीटर से ज्यादा संपत्ति नहीं खरीद सकता है.